वोडाफोन आइडिया के शेयर 15% गिरे, सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर याचिका खारिज की

19 सितंबर 2024
वोडाफोन आइडिया के शेयर 15% गिरे, सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर याचिका खारिज की

वोडाफोन आइडिया के शेयरों में भारी गिरावट

19 सितंबर 2024 को, वोडाफोन आइडिया के शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। कंपनी के शेयर लगभग 15% गिर गए, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी क्युरेटिव याचिकाओं को खारिज कर दिया। इन याचिकाओं में कंपनी ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया की पुनः समीक्षा की मांग की थी।

क्युरेटिव याचिकाओं की मांग

वोडाफोन आइडिया ने अपनी याचिकाओं में एजीआर मांग में अंकगणितीय और क्लेरिकल त्रुटियों को सुधारने, पेनल्टी को 50% तक सीमित करने और पेनल्टी पर ब्याज दरों को भारतीय स्टेट बैंक की प्रमुख उधार दर से 2% ऊपर तक संशोधित करने की मांग की थी।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिससे पहले के निर्णय को बरकरार रखा गया। इस निर्णय के अनुसार, टेलीकॉम कंपनियों को अपने एजीआर बकाया का भुगतान करना अनिवार्य है।

वोडाफोन आइडिया पर प्रभाव

वोडाफोन आइडिया के मौजूदा एजीआर बकाया वर्तमान में ₹70,300 करोड़ है। क्युरेटिव याचिका की अस्वीकृति ने वोडाफोन आइडिया की वित्तीय स्थिति को और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया है, जिससे उनकी नकदी प्रवाह भी प्रभावित हुई है।

कंपनी की कर्ज उठाने की योजनाएं, जो उनके पूंजीगत व्यय के लिए महत्वपूर्ण हैं, अब संदेह में हैं।

प्रतिद्वंद्वियों पर प्रभाव

वोडाफोन आइडिया के विपरीत, भारती एयरटेल के शेयरों में हल्की वृद्धि देखी गई, शायद बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि के कारण।

इस निर्णय ने टेलीकॉम सेक्टर की वित्तीय स्वास्थ्य और नियामकीय आवश्यकताओं को बनाए रखा है, जो एजीआर गणनाओं के साथ अनुपालना को सुनिश्चित करता है।

शेयर बाजार में प्रतिक्रिया

वोडाफोन आइडिया के शेयर बीएसई पर ₹10.98 तक गिर गए, जबकि भारती एयरटेल के शेयर ₹1,706.35 के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गए।

टेलीकॉम इंडस्ट्री पर असर

यह निर्णय टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, जो एजीआर बकाया द्वारा लगाए गए भारी वित्तीय बोझ से राहत की उम्मीद कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला टेलीकॉम कंपनियों के सामने कई वित्तीय चुनौतियां खड़ी कर सकता है, विशेषकर वोडाफोन आइडिया के लिए।

10 टिप्पणि

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    Shaik Rafi

    सितंबर 20, 2024 AT 17:11
    इस फैसले के बाद सोचने को मिलता है कि क्या नियामक न्याय वास्तव में न्याय है... या सिर्फ एक बड़ी कंपनी को धीरे-धीरे निगलने का तरीका। वोडाफोन आइडिया ने जो अपील की, वो सिर्फ गणितीय त्रुटियों को सुधारने की थी, न कि भुगतान से बचने की। लेकिन अब ये सब बस एक बड़े बैंक के लिए एक अच्छा लोन बन गया है।

    क्या हम अपने टेलीकॉम नियमों को इतना अक्षम बना रहे हैं कि एक देश की सबसे बड़ी कंपनियाँ अपने निवेश के लिए भी नहीं बच पातीं?
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    Ashmeet Kaur

    सितंबर 21, 2024 AT 23:52
    मैंने देखा कि अगर ये फैसला नहीं होता, तो भारती एयरटेल भी अपने बकाया के लिए अपील करता। लेकिन वो तो पहले से ही बेहतर कैश फ्लो के साथ आ रहा है। ये फैसला असल में बाजार को एक तरह से साफ़ कर रहा है। जो कंपनी अच्छी तरह से चल रही है, वो आगे बढ़ेगी। जो नहीं, वो अपने गलत फैसलों के लिए जिम्मेदार होगी।
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    Nirmal Kumar

    सितंबर 23, 2024 AT 21:18
    एक बात समझ आ रही है - जब सुप्रीम कोर्ट कहता है 'नहीं', तो वो नहीं होता। इसका मतलब ये नहीं कि वो बुरा है, बल्कि ये कि नियमों का अनुपालन जरूरी है। वोडाफोन आइडिया के पास अब दो विकल्प हैं: या तो निवेश बढ़ाएं, या अपने बिजनेस मॉडल को बदलें। इस दौर में, बस बाजार पर भरोसा करना काफी नहीं है।
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    Sharmila Majumdar

    सितंबर 25, 2024 AT 18:01
    मैंने इस बारे में अपने भाई से बात की, जो एक बैंक में काम करता है, और उसने कहा कि ये सब बस एक बड़ा नियामक निर्णय है। लेकिन ये निर्णय जिस तरह से लिया गया, उसमें कोई न्याय नहीं है। क्योंकि वोडाफोन आइडिया के पास अब कोई विकल्प नहीं है - अगर वो भुगतान नहीं करेंगे, तो उनकी शेयर बाजार में कीमत शून्य हो जाएगी। और ये भी नहीं कि उन्होंने गलती नहीं की, लेकिन इतना भारी दंड तो बहुत है।
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    amrit arora

    सितंबर 27, 2024 AT 00:51
    अगर हम इसे दूर से देखें, तो ये फैसला टेलीकॉम इंडस्ट्री के लिए एक बड़ा संक्रमण का बिंदु है। हमने देखा है कि बाजार में अक्सर वो कंपनियाँ जीतती हैं जो अपने बकाये को ठीक से प्रबंधित करती हैं, न कि जो अपीलों पर निर्भर होती हैं। वोडाफोन आइडिया के पास अब एक अवसर है - वो अपने बिजनेस मॉडल को फिर से डिज़ाइन कर सकते हैं। शायद इस बार उन्हें निवेश करने के बजाय अपने खर्चों को कम करने की जरूरत है। ये निर्णय उनके लिए एक नया अध्याय शुरू कर रहा है - और शायद ये अध्याय उन्हें बेहतर बना दे।
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    Ambica Sharma

    सितंबर 27, 2024 AT 01:58
    ये सब बस एक बड़ा धोखा है... वोडाफोन आइडिया ने तो इतना कुछ दिया है, अब इतना भारी बोझ क्यों? मैं तो रो रही हूँ।
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    Hitender Tanwar

    सितंबर 27, 2024 AT 19:21
    अरे ये सब तो बस एक और बड़ा नियम है जिसे लागू करने के लिए किसी को डांटना है। कोई नहीं जानता कि एजीआर क्या है, लेकिन जो बोल रहा है, वो बहुत बड़ा लग रहा है।
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    pritish jain

    सितंबर 28, 2024 AT 12:10
    सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अनुपालन अनिवार्य है। वोडाफोन आइडिया की याचिका में गणितीय त्रुटियों का दावा बिल्कुल भी समर्थित नहीं था - उनके खातों में गलतियाँ थीं, और अदालत ने उन्हें नियम के अनुसार जवाबदेह ठहराया। यह एक न्यायिक निर्णय है, न कि एक व्यावसायिक दुर्भाग्य।
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    Gowtham Smith

    सितंबर 28, 2024 AT 20:38
    ये फैसला टेलीकॉम सेक्टर के लिए एक रिस्क-रिवॉर्ड रिकॉन्फिगरेशन है। वोडाफोन आइडिया के लिए, ये एक लिक्विडिटी क्राइसिस का संकेत है - उनका डीब्ट-टू-इक्विटी रेशियो अब अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच गया है। इसका मतलब है कि उन्हें एक बड़ा कैपिटल रेजुक्शन या एक स्ट्रैटेजिक एक्जिट स्ट्रैटेजी अपनानी होगी। अगर वो नहीं करते, तो ये एक नए एमए डील का अवसर बन जाएगा।
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    Shivateja Telukuntla

    सितंबर 29, 2024 AT 22:18
    मैंने देखा कि भारती एयरटेल के शेयर ऊपर गए। ये बाजार की बात है - जो तैयार है, वो आगे बढ़ता है। वोडाफोन आइडिया के लिए अब समय है अपनी रणनीति सोचने का। न तो गुस्सा करना है, न ही रोना है। बस बिजनेस करना है।

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