बहुत सारे निवेशकों और एक्सपर्ट्स के बीच चर्चा का विषय इन दिनों SEBI के नए डेरिवेटिव्स नियम हैं, जिसमें साप्ताहिक ऑप्शन्स अनुबंध मात्र एक बेंचमार्क इंडेक्स तक सीमित किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। Crosseas Capital के विशेषज्ञ राजेश बाहेती ने इस प्रस्ताव का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया है और उसके संभावित प्रभावों पर प्रकाश डाला है।
राजेश बाहेती ने संकेत दिया कि SEBI का यह कदम बाजार की मात्रा को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। वर्तमान में, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) चार साप्ताहिक ऑप्शन्स अनुबंध प्रदान करता है, जबकि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) दो अनुबंध प्रदान करता है। यह नई प्रस्तावित सीमा NSE और BSE दोनों के व्यापारिक वॉल्यूम को प्रभावित कर सकती है, जिससे निवेशकों की गतिविधियों में कमी आ सकती है।
बाहेती ने प्रस्तावित किया कि SEBI को contracts की संख्या लिमिट करने के बजाय, सभी साप्ताहिक अनुबंधों के लिए एक सप्ताह में एक ही expiry day निर्धारित करना चाहिए। इससे निवेशक अलग-अलग expiry days पर एक ही पूंजी का प्रयोग करके विभिन्न अनुबंधों में छलांग लगाने से बच सकेंगे, जिससे जोखिम कम होगा और liquidity बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
राजेश बाहेती का मानना है कि यह नई विनियमों से NSE, जिसने सबसे सफल F&O अनुबंध पेश किए हैं, को असमानुपातिक रूप से प्रभावित करेगा। उन्होंने अनुमान लगाया कि SEBI के नए नियमों से NSE का व्यवसाय 60-70% तक प्रभावित हो सकता है।
बाहेती ने यह भी उल्लेख किया कि IIFL के विश्लेषकों के अनुसार, इन विनियमों से समग्र बाजार वॉल्यूम्स 30-40% तक प्रभावित हो सकते हैं। यह निष्कर्ष संभावित है कि नए नियमों के कारण बाजार की गतिशीलता धीमी हो सकती है और निवेशकों का रुझान प्रभावित हो सकता है।
राजेश बाहेती का विस्तृत इंटरव्यू इस निर्धारित करता है कि SEBI के इस प्रस्ताव का उद्देश्य क्या हो सकता है और यह कैसे मौजूदा निवेश परिवेश को प्रभावित करेगा। बाहेती का तर्क है कि SEBI द्वारा इस तरह का कदम उठाने के पीछे हो सकता है कि बाजार में स्थिरता लाने और बेवजह के जोखिम को कम करने का प्रयास हो।
फिर भी, बाहेती ने यह स्पष्ट किया कि यदि SEBI ने सभी पक्षों की प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाया तो यह नई विनियमों का प्रभाव कम हो सकता है।
राजेश बाहेती की राय में, SEBI के इस कदम के बाद, यह आवश्यक हो जाता है कि निवेशक और व्यापारी नई परिस्थितियों के अनुरूप अपनी रणनीतियों को समायोजित करें। SEBI की ओर से किसी भी अंतिम निर्णय लेने से पहले बाजार के सभी प्रमुख सहभागियों का दृष्टिकोण लेना महत्वपूर्ण होगा।
उनका सुझाव है कि यदि सही तरीके से नियम बनाए जाते हैं और उन्हें प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है, तो यह बाजार की स्थिरता में सुधार ला सकता है।