जब विजयादशमी यज्ञ, एक प्राचीन हिन्दू अनुष्ठान है जिसमें देवी दुर्गा की राक्षसों पर जीत का जश्न मनाया जाता है. विजयादशमी की बात आती है, तो कई लोग नवरात्रि, सात रात और सात दिन का पूजा चक्र है जो दुर्गा के विभिन्न रूपों को समर्पित है को याद करते हैं। अंत में दुर्गा पूजन, देवी की आराधना और मंत्रजप का समुच्चय है सामने आता है, क्योंकि वही यज्ञ का प्रमुख आधार है। ये तीनों इकाई आपस में जुड़ी हुई हैं: नवरात्रि के नौवें दिन विजयादशमी यज्ञ का अंत बिंदु है, और दुर्गा पूजन उसके रीतियों को परिभाषित करता है।
सदियों से यह यज्ञ दो मुख्य रूप में किया जाता है – घर में छोटी गली में और बड़े मंदिरों में सार्वजनिक रूप से। घर में लोग विजयादशमी यज्ञ को घी, चंदन और शुगर के पथर से सजाते हैं, फिर वर्त होते हुए दाल‑चावले का प्रसाद निकालते हैं। मंदिरों में तो रथीयाँ खींची जाती हैं, जहाँ पंडित मंत्र फूँकते हैं और धूप‑दीये जलते हैं। यह रीत न केवल आध्यात्मिक संतुलन लाती है, बल्कि सामाजिक समरसता भी बनाती है। आधुनिक शहरों में युवा वर्ग अब फेसबुक और इंस्टाग्राम पर अपने यज्ञ के क्षण साझा करता है, जिससे परम्परा डिजिटल रूप में भी जीवित रहती है।
यज्ञ के दौरान पाँच मुख्य वस्तुओं का प्रयोग होता है – घी, सफेद फूल, लाल वस्त्र, धूप और शंख। घी को होली के बाद की तरह लाहौर में जलाते हैं, जिससे शुद्धता का प्रतीक मिलता है। सफेद फूल वैदिक मंत्रों के साथ बिछाते हैं; यह शांति और शुद्धता को दर्शाता है। लाल वस्त्र दो प्रकार के होते हैं: एक शक्ति के रूप में, दूसरा समृद्धि के रूप में, क्योंकि विजयादशमी पर व्यापारियों का मनोबल भी ऊँचा होता है। धूप वायु को शुद्ध करती है, और शंख से प्रतिकूल ऊर्जा को दूर किया जाता है। ये सभी तत्व नवरात्रि के रंग‑गाइड में भी दिखते हैं, जहाँ हर दिन का रंग अलग‑अलग शक्ति को दर्शाता है।
भौगोलिक विविधता के कारण यज्ञ के स्वरूप में थोड़ा‑बहुत अंतर है, पर मुख्य सिद्धांत स्थिर रहता है: दुर्गा की जीत को स्मरण करना और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश फैलाना। उत्तर भारत में अक्सर बँसी के सात स्वर गाए जाते हैं, जबकि दक्षिण में कर्नाटक शैली की काव्यात्मक भजन गाए जाते हैं। चाहे कोई भी भाषा या संगीत हो, उद्देश्य वही रहता है – मन की शुद्धि और सामाजिक एकता।
इसी कारण इस टैग पेज पर आपको विभिन्न लेख मिलेंगे जो विजयादशमी यज्ञ की अलग‑अलग पहलुओं को उजागर करते हैं – इतिहास से लेकर आज के रिवाज़ तक, रंगों की महत्ता से लेकर पूजन के व्यावहारिक टिप्स तक। नीचे पढ़ते हुए आप न सिर्फ़ यज्ञ की गहरी समझ पाएंगे, बल्कि अपने घर या समुदाय में इसे बेहतरीन तरीके से मनाने के लिए actionable ideas भी ले जाएंगे। आइए, इस उत्सव की विविधता को एक साथ देखें।
अंबानी परिवार ने 2 अक्टूबर 2025 को रिवर गंगा किनारे पार्मथ निकेतन में विजयादशमी यज्ञ में भाग लिया, जहाँ अकाश अंबानी और श्लोका मेहता ने पटोला‑बैंडहामी प्रिंट के साथ परम्परागत पोशाक पहनी।
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