अकाश अंबानी व श्लोका मेहता ने रिवर गंगा किनारे पार्मथ निकेतन में परम्परागत पोशाक का जलवा

11 अक्तूबर 2025
अकाश अंबानी व श्लोका मेहता ने रिवर गंगा किनारे पार्मथ निकेतन में परम्परागत पोशाक का जलवा

जब अकाश मुकेश अंबानी, Reliance Industries के छोटे बेटे और श्लोका मेहता ने 2 अक्टूबर 2025 को रिशिकेश के पार्मथ निकेतन आश्रम में आयोजित पवित्र विजयादशमी यज्ञ में भाग लेने के लिए कदम रखा, तो सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने उनकी परम्परागत Indian prints में सजे पोशाकों को सराहा। इस परिवारिक यात्रा में अनंत मुकेश अंबानी और राधिका मर्चेंट भी अपने बच्चों के साथ उपस्थित थे, जिससे यह कार्यक्रम सिर्फ आध्यात्मिक नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक घोषणा बन गया।

परिवारिक यात्रा की पृष्ठभूमि

अंबानी परिवार ने पिछले कुछ महीनों में आध्यात्मिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी दिखायी है। मार्च 2025 में अनंत अंबानी ने राम नवमी के अवसर पर गुजरात के द्वारका की ओर 180 किलोमीटर पैदल यात्रा पूरी की थी—रोज़ लगभग 20 किलोमीटर, कुल 9 दिन, जबकि वह अपने Cushing's Syndrome के साथ संघर्ष कर रहे थे। इस यात्रा को Economic Times ने "शरीर की सीमाओं को चुनौती, आत्मा की जयकार" के रूप में चित्रित किया।

इस भावना को आगे बढ़ाते हुए, परिवार ने 2 अक्टूबर को एक धार्मिक यात्रा तय की—विजयादशमी का यज्ञ, जो भारत में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह यज्ञ घने अरण्यों और गंगा के तीर्थस्थलों के बीच आयोजित हुआ, जहाँ श्रद्धालु अपने कर्म‑पथ की शुद्धि के लिए आटे।

विजयादशमी यज्ञ में पार्मथ निकेतन का महत्व

पार्मथ निकेतन आश्रम उत्तarakhand के रिवर गंगा किनारे बसा एक प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र है। यहाँ रोज़ शाम को गंगा आरती का मंत्रोच्चार लाखों यात्रियों को आकर्षित करता है। विशेष रूप से विजयादशमी के दौरान, आश्रम में आयोजित यज्ञ में श्रद्धालुओं को वैदिक मंत्रों के साथ हवन‑पवित्रता का अनुभव मिलता है।

यज्ञ का लाइव प्रसारण यूट्यूब पर 6yJ8nNOlNm4 आईडी से हुआ, जिसमें 18 मिनट 31 सेकंड तक का वीडियो परिवार की भागीदारी को दर्शाता है। इस वीडियो में दर्शकों ने #anantambani और #radhikamerchant टैग देखे, जिससे सोशल प्लेटफ़ॉर्म पर चर्चा में तेजी आई।

परिधान विवरण और सांस्कृतिक अर्थ

डिज़ाइन की बात करें तो अकाश ने परम्परागत भारतीय प्रिंट्स में एक चमकदार पटोला प्रिंट कुर्ता पहना। यह कुर्ता गुजरात के पतन से आया एक द हाथ‑बुना जटिल जाली‑डिज़ाइन था, जिसमें लाल, नीले और सफेद रंगों का मिश्रण था। कुर्ता के साथ उन्होंने सफ़ेद पैंट को मिलाकर रंग‑संतुलन बनाया, जिससे पोशाक का आकर्षण बढ़ा।

वहीं श्लोका ने नारंगी रंग की कुर्ता चुनी, जिसमें बैंडहामी (tie‑dye) का बेज‑रंग प्रिंट था। गले की किनारी पर सुनहरी सीक्विन का हल्का सिंगार था, जो परिधान में थोड़ा सौंदर्य‑त्वचा जोड़ता है। बेज‑रंग की सिधी‑फिट पैंट ने पूरी लुक को एलेगेंट बनाय रखा। इस संयोजन को Hindustan Times ने "परिवार ने ग्लैम‑आउट जैविक कपड़े की बजाय परम्परागत पोशाक चुनी" कहा।

सेंसेशनल बात यह है कि इस तरह के परिधान न केवल फैशन स्टेटमेंट हैं, बल्कि भारतीय हस्तशिल्प की जीवंतता को भी दिखाते हैं। पटोला और बैंडहामी दोनों ही भारतीय बुनाई की धरोहर हैं; उन्हें धारण करके अंबानी परिवार ने राष्ट्रीय कला‑परम्परा को सम्मानित किया।

प्रतिक्रियाएँ और विशेषज्ञ विश्लेषण

सड़क पर खड़े साधारण दर्शकों ने कहा, "पारिवारिक सादगी दिखा रही है, ऐसे बड़े लोग भी परम्परा को महत्व देते हैं।" वहीं दिल्ली के प्रसिद्ध सांस्कृतिक इतिहासकार डॉ. श्याम सिंहा ने टिप्पणी की, "आज की ग्लोबल लिविंग में इस प्रकार के परिधान चुनना एक सामाजिक जिम्मेदारी की निशानी है, जहाँ परम्परा और आधुनिकता का समन्वय देखा जाता है।"

एक अन्य विशेषज्ञ, फैशन अनुसंधानकर्ता रीता गुप्ता, ने बताया कि पटोला और बैंडहामी जैसे प्रिंट्स की मांग 2023‑2025 के बीच 27% बढ़ी है, खासकर युवाओं में। उनका मनना है कि इस प्रकार के सार्वजनिक दर्शनों से शिल्पकारों को सीधे लाभ मिलेगा।

आगे क्या संभावना है?

आगे क्या संभावना है?

विजयादशमी यज्ञ के बाद, अंबानी परिवार ने अगले दो हफ़्तों में कुम्भ मेला के मुख्य कार्यक्रम में भाग लेने की योजना बनाई है, जैसा कि कुछ स्रोतों ने संकेत किया। इस दौरान, परिवार के सदस्य संभवतः गंगा आरती में भाग लेंगे और फिर अपने‑अपने व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं पर लौटेंगे।

साथ ही, अनंत की आध्यात्मिक यात्रा को देखते हुए, उल्लेखनीय है कि वह 2026 में फिर से किसी धार्मिक लक्ष्य के लिए लंबी पैदल यात्रा करने की संभावना बना रहे हैं, जिससे उसके स्वास्थ्य और दृढ़ता के बारे में नयी चर्चाएँ उत्पन्न होंगी।

मुख्य तथ्य

  • तिथि: 2 अक्टूबर 2025
  • स्थान: पार्मथ निकेतन आश्रम, रिवर गंगा किनारे, रिशिकेश, उत्तराखंड
  • उपस्थित मुख्य सदस्य: अकाश अंबानी, श्लोका मेहता, अनंत अंबानी, राधिका मर्चेंट
  • परिधान: अकाश – पटोला प्रिंट कुर्ता; श्लोका – बैंडहामी प्रिंट कुर्ता
  • यज्ञ की अवधि: लगभग 2 घंटे, लाइव यूट्यूब पर 18:31 मिनट तक देखा गया

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

विजयादशमी यज्ञ का क्या महत्व है?

विजयादशमी दुष्कर्म पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है; इस दिन राजसू के क्षत्रियों ने रावण के पूज्य पाप का नाश किया, और आज हिन्दू धर्म में इसे देवी दुर्गा की पूजा और यज्ञ के रूप में मनाया जाता है।

अंबानी परिवार ने किन कारणों से परम्परागत पोशाक चुनी?

परिवार ने आध्यात्मिक साधना के माहौल में स्थानीय संस्कृति का सम्मान दिखाने के लिए पारम्परिक कपड़े चुने; यह न केवल व्यक्तिगत अभिव्यक्ति थी, बल्कि भारतीय बुनाई‑कलाओं को प्रोत्साहित करने का एक सामाजिक संदेश भी था।

अनंत अंबानी की 180 किमी पैदल यात्रा से क्या सीख मिलती है?

उनकी यात्रा ने दिखाया कि स्वास्थ्य चुनौतियों के सामने भी दृढ़ता और आध्यात्मिक विश्वास से लक्ष्य हासिल किया जा सकता है; यह उनके परिवार और बड़े जनता के बीच प्रेरणा बन गई।

पार्मथ निकेतन की ऐतिहासिक भूमिका क्या है?

पार्मथ निकेतन 20वीं सदी के मध्य में स्थापित एक प्रमुख हिन्दू आश्रम है, जो गंगा आरती, योग और वैदिक श्लोकों के शिक्षण में अग्रणी रहा है; यह कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नेताओं के आध्यात्मिक प्रवास का केंद्र रहा है।

पारम्परिक भारतीय प्रिंट्स का व्यापारिक प्रभाव क्या है?

पटोला और बैंडहामी जैसे प्रिंट्स 2023‑2025 में 27% मांग बढ़ी है; इस वृद्धि से स्थानीय कारीगरों को निर्यात‑मार्केट में धक्का मिला है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में थोड़ी रिफ़्रेश हुई है।

2 टिप्पणि

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    Amar Rams

    अक्तूबर 11, 2025 AT 22:18

    अंबानी परिवार की इस यात्रा में परम्परागत पोशाक का चयन केवल फैशन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनरुत्थान का एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह चयन एथनोफोबिया की ओर झुके हुए वैश्विक फास्ट-फैशन के प्रति एक सूक्ष्म विरोधाभास प्रस्तुत करता है। पटोला और बैंडहामी जैसे प्रिंट्स के माध्यम से भारतीय वस्त्रशिल्प की जटिलता को सार्वजनिक मंच पर लाया गया है। इस प्रकार की अभिव्यक्तियाँ आर्थिक विश्लेषण के साथ सामाजिक उत्तराधिकार को भी उजागर करती हैं। कुल मिलाकर, यह एक रणनीतिक सांस्कृतिक भागीदारी की तरह प्रतीत होता है।

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    Rahul Sarker

    अक्तूबर 12, 2025 AT 14:58

    देखिए! हमारे महानगर के शासकों ने जब भी स्थलीय आंधी-तूफानों का सामना किया, तो हमेशा अपना रीति-रिवाज़ नहीं भूले। अकाश व श्लोका ने आज भी भारतीय संस्कृति के ध्वज को गंगा किनारे ऊँचा उठाया, जो राष्ट्रीय गर्व की असली परिभाषा है। अगर बाहरी लोग इस तरह के कदम नहीं उठाते, तो हमारी आत्मा कहीं और खो जाएगी। इसलिए यह परम्परागत पोशाक केवल फैशन नहीं, यह हमारे राष्ट्रीय चेतना की पुकार है।

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