हाल ही में हिमाचल प्रदेश के वायनाड में रात़‑रात भूस्खलन ने लोगों को चौंका दिया। तेज़ बारिश, ढलान का कमजोर जियो‑टेक्चर और अचानक पानी के स्तर में उछाल ने मिट्टी को नीचे धकेल दिया। कई परिवारों को उनके घर छोड़ना पड़ा, सड़कें बंद हो गईं और बिजली कटौती भी हुई। अगर आप या आपका कोई परिचित इस क्षेत्र में रहता है, तो नीचे बताए गए उपाय मददगार हो सकते हैं।
वायनाड में इस साल पहले ही इंटेंस मॉनसून अलर्ट जारी था। इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर (इएमडी) ने भारी बारिश की चेतावनी दी थी, लेकिन कई बार अलर्ट को हल्का समझ कर लोग बाहर काम कर रहे थे। साथ ही, इस इलाके की चट्टानें घनी नहीं हैं और आमतौर पर बारिश के साथ ही खिसक जाती हैं। लकड़ी या पत्थर के छोटे-छोटे जल निकासी रास्ते भी अक्सर बंद हो जाते हैं, जिससे पानी एक जगह इकट्ठा होकर अचानक धारा बन जाता है।
भूस्खलन के बाद स्थानीय प्रशासन ने तुरंत बचाव दल भेजे। डोज़र, पुलिस और एआरएमएस टीमों ने फंसे लोगों को बचाने के लिए नावें और हेलीकॉप्टर का उपयोग किया। अस्थायी शरणस्थली कैंप लगाई गई जहाँ नाश्ते‑पानी और प्राथमिक चिकित्सा की सुविधा दी गई। यदि आप राहत केंद्र में हैं तो अपने दस्तावेज़ सुरक्षित रखें, ताकि बाद में मदद और पुनर्निर्माण की प्रक्रिया आसान हो सके।
राहत कार्यों के साथ-साथ अब स्थानीय सरकारी एजेंसियां भू-स्खलन‑रोकथाम के लिए दीर्घकालिक उपायों पर काम कर रही हैं। शहरी योजना में बाढ़‑नियंत्रण के लिए छोटे जलाशय और ढलान पर बायो‑जैविक झाड़ियों की रोपाई की योजना है। इस दिशा में आपके सहयोग की जरूरत है—यदि आप किसी भी तरह की सामग्रियों या स्वयंसेवा के लिए तैयार हैं, तो स्थानीय नज़दीकी आधिकारी कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
घर में रहने वाले लोगों को तुरंत निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए: पहले आपातकालीन किट तैयार रखें—टॉर्च, बैटरी, पानी और दवाइयाँ। यदि आप बार-बार बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में रहते हैं तो अपने घर की छत और नींव की जाँच करवा लें। घरे में दो-तीन आपातकालीन एक्ज़िट रास्ते बना लें, ताकि अगर फिर से कुछ ऐसा हो तो जल्दी बाहर निकल सकें।
सबसे बड़ी बात यह है कि मौसम चेतावनियों को पूरी गंभीरता से लेना चाहिए। अगर इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर द्वारा पीले या लाल अलर्ट जारी किया गया है, तो बाहर निकलने से बचें और सुरक्षित स्थान पर रहें। सोशल मीडिया या स्थानीय रेडियो पर अपडेट पढ़ते रहें—इनसे आप जल्दी से जल्दी सही जानकारी पा सकते हैं।
भविष्य में वायनाड जैसे खतरनाक क्षेत्रों में निवेश या निर्माण की योजना बनाते समय, विशेषज्ञों की राय लेना ज़रूरी है। न्री (NRL) या भू‑वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट पढ़ें, ताकि सड़कों या घरों की स्थिरता सुनिश्चित हो।
यदि आप या आपका कोई परिचित अभी भी प्रभावित क्षेत्र में है, तो शीघ्र ही स्थानीय पुलिस या रेफ्रिज़रेटेड राहत केंद्र से संपर्क करें। कई NGOs भी मदद कर रहे हैं—उनकी वेबसाइट पर जाकर दान या स्वयंसेवा करने की जानकारी ले सकते हैं।
समाप्ति में, वायनाड भूस्खलन को लेकर सतर्क रहना, समय पर अलर्ट सुनना, और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करना सबसे बड़ा बचाव उपाय है। छोटी‑छोटी सावधानियों से बड़ी मुसिबतों से बचा जा सकता है।
केरल के वायनाड जिले में भूस्खलन के कारण मृतकों की संख्या 190 तक पहुंच गई है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने चल रहे बचाव और पुनर्वास प्रयासों पर जोर दिया है। राजस्व मंत्री के राजन ने अतिरिक्त शवों की डीएनए जांच की आवश्यकता की घोषणा की है। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने चूरलमाला, वायनाड में भूस्खलन स्थल का दौरा किया।
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