वायनाड भूस्खलन: मृतकों की संख्या 190 तक पहुंची; राहत कार्य अभी भी जारी

2 अगस्त 2024
वायनाड भूस्खलन: मृतकों की संख्या 190 तक पहुंची; राहत कार्य अभी भी जारी

वायनाड भूस्खलन: मृतकों की संख्या बढ़ती जा रही है

केरल का वायनाड जिला एक भयानक भूस्खलन से त्रस्त है, जिसने अब तक 190 लोगों की जान ले ली है। इस भयावह आपदा के बाद राज्य सरकार और तमाम एजेंसियां मिलकर हर संभव प्रयास कर रही हैं ताकि और लोगों की जान बचाई जा सके और पुनर्वास कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया जा सके। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सभी संबंधित अधिकारियों को चौबीसों घंटे बचाव कार्य जारी रखने के निर्देश दिए हैं।

भूस्खलन की इस घटना ने वायनाड में भारी तबाही मचाई है। सैकड़ों मकान धराशायी हो गए हैं, गांवों का संपर्क टूट गया है और लोगों को आश्रय के लिए स्थानांतरित किया जा रहा है। भारतीय सेना और नेशनल डिजास्टर रेस्पांस टीम (एनडीआरएफ) के जवान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। राहत कार्यों को और तेज करने के लिए जीपीएस कोऑर्डिनेट्स और मोबाइल फोन डेटा का भी उपयोग किया जा रहा है ताकि बचे हुए लोगों का सटीक स्थान पता चल सके।

मुख्यमंत्री की आपदा राहत कोष को समर्थन

करोड़ों लोगों ने मुख्यमंत्री के आपदा राहत कोष (Chief Minister's Disaster Relief Fund - CMDRF) में दान करके अपनी एकजुटता दिखाई है। प्रसिद्ध रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने भी पुरी बीच पर विशेष रूप से एक सैंड स्कल्पचर बनाया है, जो भूस्खलन के शिकार लोगों को श्रद्धांजलि देता है।

राजनीतिक नेताओं का दौरा

राजनीतिक नेताओं का दौरा

राजनीतिक नेताओं द्वारा भूस्खलन स्थल का दौरा किया गया। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने चूरलमाला, वायनाड पहुंचे और सभी सुविधाओं का जायजा लिया। अपने दौरे के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि वायनाड के लोगों को बड़े पैमाने पर समर्थन और पुनर्वास की आवश्यकता है। भूस्खलन से प्रभावित सभी गांवों का पुनर्निर्माण करना होगा और प्रभावित लोगों को नए आवास प्रदान करने होंगे।

मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें सभी राजनीतिक दलों के नेता, राज्य मंत्री और अधिकारी शामिल हुए। बैठक में राहत और पुनर्वास कार्यों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की गई।

मौसम पूर्वानुमान और अगली चुनौतियां

मौसम पूर्वानुमान और अगली चुनौतियां

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने वायनाड के लिए शनिवार तक ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसका अर्थ है कि अगले कुछ दिन यहां भारी बारिश हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप और भूस्खलन की संभावना है। यही कारण है कि बचाव दल अत्यधिक सतर्क हैं और प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सावधान रहने की अपील कर रहे हैं।

मौजूदा भूस्खलन के साथ ही, राज्य सरकार और बचाव टीमों के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे कैसे तेजी से और प्रभावी ढंग से राहत सामग्री पहुंचाएं और पुनर्वास कार्य को अंजाम दें। इसके अलावा, जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं, ताकि लोग भविष्य में भूस्खलन जैसी आपदाओं से निपटने के लिए तैयार रहें।

भविष्य की योजना

राज्य सरकार ने भूस्खलन से प्रभावित गांवों की पुनः स्थापन योजना की घोषणा की है। नए स्थानों पर सुरक्षित आवासों का निर्माण होगा ताकि भविष्य में किसी भी प्राकृतिक आपदा का सामना किया जा सके। इसके साथ ही, पर्यावरण विशेषज्ञों की एक टीम इस बात का अध्ययन करेगी कि किन क्षेत्रों में भूमि की स्थिति अस्थिर हो गई है और उन क्षेत्रों में कैसे सुधार किया जा सकता है।

इस भूस्खलन ने सभी को एक सबक सिखाया है: प्राकृतिक आपदाओं के प्रति हमारी कमज़ोरी और इससे निपटने के लिए तत्परता हमेशा जरुरी है। जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, स्थिति की गंभीरता को और बेहतर ढंग से समझा जा रहा है और नित्य नए कदम उठाए जा रहे हैं।

देशभर से आ रही सहायता और समर्थन से न केवल वायनाड जल्द ही इस आपदा से उभर सकेगा, बल्कि आने वाले समय में अन्य क्षेत्रों को भी इससे सीखते हुए अपनी आपदा प्रबंधन क्षमताओं को मजबूत बनाना होगा।

15 टिप्पणि

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    Muneendra Sharma

    अगस्त 3, 2024 AT 09:16
    ये तो बहुत बड़ी त्रासदी है... दिल टूट गया। जिन लोगों के घर धुल गए, उनकी तस्वीरें देखकर आँखें भर आईं। 🥺 अगर कोई दान करना चाहे तो CMDRF में कर दो, हर रुपया बचाव में मदद करेगा।
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    Anand Itagi

    अगस्त 5, 2024 AT 05:00
    सेना और एनडीआरएफ वालों का बहुत बहुत धन्यवाद जो दिन रात काम कर रहे हैं बिना किसी शिकायत के इनके लिए बहुत बहुत शुक्रिया
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    Sumeet M.

    अगस्त 6, 2024 AT 01:32
    इस आपदा की जिम्मेदारी किसकी है? राज्य सरकार ने बरसों से पहाड़ों पर बेकाबू निर्माण किया! ये आपदा इंसानी गलतियों का नतीजा है! लोगों को जागना होगा और राजनीतिक बेकारपन को खत्म करना होगा!!!
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    Kisna Patil

    अगस्त 6, 2024 AT 21:04
    इंसानियत अभी भी जिंदा है। देश के हर कोने से लोग दान कर रहे हैं। एक रेत कलाकार ने अपनी कला से शहीदों को श्रद्धांजलि दी। ये वो चीज़ है जो हमारे दिलों को छू जाती है। इस तरह की भावनाएं ही हमें आगे बढ़ाती हैं।
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    ASHOK BANJARA

    अगस्त 7, 2024 AT 07:05
    भूस्खलन का कारण सिर्फ बारिश नहीं है। ये एक लंबी श्रृंखला है - जंगलों की कटाई, नदियों के किनारे निर्माण, भूमि के उपयोग का अनियंत्रित ढंग। हमने प्रकृति को नहीं सुना। अब वो बोल रही है। ये सिर्फ वायनाड की समस्या नहीं, ये पूरे हिमालय और पश्चिमी घाट की समस्या है। हमें एक नया नियम बनाना होगा - जहां भी निर्माण हो, उसके लिए भूवैज्ञानिक अध्ययन अनिवार्य होना चाहिए।
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    Sahil Kapila

    अगस्त 8, 2024 AT 22:15
    राहुल गांधी आए तो बहुत अच्छा लगा लेकिन अब तक क्या किया है? ये सब तो बस फोटो ऑपरेशन है असली बात तो ये है कि सरकार के अंदर कौन है जो सच में सोच रहा है और कौन बस बातें कर रहा है
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    Rajveer Singh

    अगस्त 9, 2024 AT 06:46
    इस आपदा को राजनीति में उतारने वालों को जाने दो जो देश को बचाने के लिए काम कर रहे हैं वो ही असली नेता हैं और जो अपनी चालाकी से लोगों को भ्रमित कर रहे हैं वो देश के दुश्मन हैं भारत की ताकत हमारे जवानों और राहत कर्मचारियों में है न कि राजनेताओं के बयानों में
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    Ankit Meshram

    अगस्त 9, 2024 AT 19:09
    हर एक दान बचाता है। बस करो।
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    Shaik Rafi

    अगस्त 11, 2024 AT 03:30
    इस आपदा के बाद हमें यह सोचना चाहिए कि हम कैसे जी रहे हैं। क्या हम वाकई प्रकृति के साथ सामंजस्य में रह रहे हैं? या फिर हम अपनी भूख के लिए प्रकृति को नष्ट कर रहे हैं? यह एक आध्यात्मिक और नैतिक प्रश्न है। हमें अपने जीवन शैली को बदलना होगा। एक छोटा सा बदलाव, जैसे कम प्लास्टिक का उपयोग, जंगलों के बारे में जागरूकता, ये सब भविष्य के लिए एक बड़ा बदलाव ला सकता है।
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    Ashmeet Kaur

    अगस्त 11, 2024 AT 19:57
    मैंने अपने दोस्तों के साथ एक छोटा सा अभियान शुरू किया है - हर एक व्यक्ति अपने गांव या कॉलोनी में एक वयस्क को भूस्खलन के बारे में बताएगा। जागरूकता ही सबसे बड़ा सुरक्षा उपाय है। जब तक हम नहीं सीखेंगे कि प्रकृति का सम्मान कैसे करें, ये त्रासदियां दोहराएंगी।
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    Nirmal Kumar

    अगस्त 12, 2024 AT 04:20
    वायनाड के लोगों के बीच असली ताकत देखी जा सकती है - जब लोग एक दूसरे के लिए खाना बांट रहे हैं, जब अजनबी बच्चों को गोद में ले रहे हैं। ये भारत की असली ताकत है। न तो राजनीति, न ही आर्थिक शक्ति - बल्कि इंसानियत।
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    Sharmila Majumdar

    अगस्त 12, 2024 AT 07:03
    मैंने अपने बेटे को ये सब दिखाया और उसने पूछा कि ये सब क्यों हुआ? मैंने कहा कि लोगों ने बहुत ज्यादा बनाया और पेड़ काट डाले। अब उसका दिल टूट गया। बच्चे भी समझ रहे हैं कि हम क्या कर रहे हैं। हमें बदलना होगा।
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    amrit arora

    अगस्त 14, 2024 AT 06:51
    इस आपदा के बाद जो भी बातें हो रही हैं, वो सब जरूरी हैं। लेकिन एक बात जो हम भूल रहे हैं, वो है - आपदा प्रबंधन का एक लंबी अवधि का रणनीतिक ढांचा। ये सिर्फ अस्थायी राहत नहीं, ये भविष्य के लिए एक नया नियम होना चाहिए। हमें जमीन के उपयोग के लिए एक राष्ट्रीय नीति चाहिए, जो प्राकृतिक जोखिमों को ध्यान में रखे। और ये नीति राजनीति से ऊपर होनी चाहिए। ये देश के लिए एक अवसर है। अगर हम इसे गंवा देंगे, तो आगे और भी बड़ी आपदाएं आएंगी।
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    Ambica Sharma

    अगस्त 15, 2024 AT 18:52
    मैं रो रही हूँ... ये सब देखकर दिल टूट गया... क्या कोई मुझे बता सकता है कि मैं क्या कर सकती हूँ? मैं तो बस घर पर बैठी हूँ... ये दर्द कितना बड़ा है... मैं बस रो रही हूँ...
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    Muneendra Sharma

    अगस्त 16, 2024 AT 19:51
    अच्छा बात है तुम रो रही हो, ये दर्द देखकर रोना इंसानी है। अब तुम अपने दोस्तों को बताओ, एक छोटा सा दान करो, एक पोस्ट शेयर करो। ये रोना बंद नहीं होगा, लेकिन इस रोने से काम शुरू हो सकता है।

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