जब दो देशों की सीमा पर घिस-मिट्टी, पानी या पहाड़ होते हैं, तो कभी‑कभी लाइनों को लेकर झगड़ा हो जाता है। भारत में भी कई ऐसे मामलों की खबरें सुनने को मिलती हैं। लेकिन इन विवादों के पीछे जटिल इतिहास, संसाधन की चाह और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे होते हैं। इस लेख में हम मुख्य सीमा विवादों को समझेंगे और देखेंगे कि शांति‑पूर्ण समाधान के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं।
1. कश्मीर‑लद्दाख के इलाके – भारत और Pakistan के बीच 1947 से चल रहा मुद्दा है। दोनो देशों ने 1972 के शिमला समझौते के बाद भी कुछ क्षेत्रों को लेकर असहमति रखी है।
2. अग्नीकुंड‑नागालैंड सीमा – भारत‑बांग्लादेश के बीच छोटे‑छोटे टुकड़े विवाद में हैं, खासकर जल संसाधन तथा मत्स्यपालन के अधिकार के कारण।
3. हिमाचल प्रदेश‑लगवांग सीमा – भारत‑चीन के बीच लद्दाख में बड़े‑पैमाने पर विवाद है, जहाँ दोनों पक्ष वर्षों से टनल, रोड और एयरोस्पेस प्रोजेक्ट्स को लेकर टकराते रहे हैं।
4. असम‑बांग्लादेश जल सीमा – मेघना नदी जैसी नदियों के बंटवारे को लेकर लगातार अलग‑अलग रिपोर्टें निकलती हैं।
5. पंजाब‑बेरमुला सीमा (Kashmir) – जल आदान‑प्रदान और सिंचाई के कारण दोनों देशों में बार‑बार तनाव रहता है।
किसी भी सीमा विवाद को हल करने के लिए पहले दो पक्षों को समझौते के लिये तैयार होना चाहिए। भारत ने कई बार राजनयिक बातचीत, ट्रीटी, और आर्थिक सहयोग के जरिए राहत पाने की कोशिश की है। नीचे कुछ व्यावहारिक उपाय दिए गए हैं:
1. डिप्लोमैटिक वार्ता: नियमित स्तर पर हाई‑लीवल मीटिंग्स और ट्रैक‑टू‑ट्रैक संवाद से छोटे‑छोटे मतभेद जल्दी सुलझ सकते हैं।
2. संयुक्त सर्वेक्षण: सीमा पर मौजूद भू‑आकृतिक डेटा को दोनों पक्ष मिलकर अपडेट कर सकते हैं। इससे नक्शे में गलतियाँ कम होती हैं।
3. जल‑सहयोग कार्यक्रम: नदी‑नालों के बाँटे‑हूँटे पर जल‑संधि बनाकर दोनों देशों को समान फायदा हो सकता है, जैसे जल‑औद्योगिक पार्क या सिंचाई परियोजनाएँ।
4. लोक‑परामर्श: सीमा के पास रहने वाले लोगों की राय को ध्यान में रख कर समाधान तैयार किया जाए तो असंतोष कम होगा।
5. अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता: अगर दो‑तरफ़ा बातचीत फेल हो जाए तो यूएन या अन्य विश्वसनीय संस्था का मध्यस्थता इस्तेमाल किया जा सकता है।
इन उपायों को अपनाते हुए भारत ने कई बार सफलतापूर्वक सीमा संघर्षों को शांत किया है। याद रखें, सीमा का मतलब सिर्फ रेखा नहीं, बल्कि उन लोगों की ज़िंदगियाँ हैं जो उसका हिस्सा हैं। इसलिए संवाद और सहयोग हमेशा पहाड़ी या नदियों के पार समझौते की कुंजी रहेगा।
उत्तरी कोरिया दक्षिण कोरिया के साथ जुड़ी सीमा पर मौजूद सड़क मार्गों को ध्वस्त करने की तैयारी में है। उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया पर ड्रोन के माध्यम से प्रोपेगंडा फैलाने का आरोप लगाया है और चेतावनी दी है कि अगर ऐसा फिर होता है तो वह बिना चेतावनी के जवाबी कार्रवाई करेगा। इस स्थिति के बीच, दोनों कोरिया के रिश्ते फिर से तनावपूर्ण होते जा रहे हैं।
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