अगर आप भारत की आर्थिक और सामाजिक नीति में रुचि रखते हैं, तो नर्मला सीतारमन का नाम अवश्य सुनेंगे। वह एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री, लेखिका और प्रोफ़ेसर हैं, जो विकास, सामाजिक न्याय और सार्वजनिक नीति के विषयों पर गहरी समझ रखती हैं। उनका काम अक्सर सरकारों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों में consulted किया जाता है।
नर्मला ने हार्वर्ड से अर्थशास्त्र में पीएच.डी. की डिग्री हासिल की। उसके बाद वह गॉर्ज टाउन यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर बन गईं, जहाँ उन्होंने गरीबों के लिए आर्थिक नीतियों को सरल बनाने पर काम किया। उन्होंने विश्व बैंक, आईएनडब्ल्यू और भारत की कई राज्य सरकारों के लिए सलाह भी दी। उनके लेख अक्सर "द न्यूयॉर्क टाइम्स" और "इकोनॉमिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट" जैसे मंचों पर दिखते हैं।
नर्मला की सबसे प्रसिद्ध पुस्तक "पॉवर एंड प्रॉस्परिटी" में वह बताती हैं कि कैसे गरीबी को दूर करने के लिए नीतियों को लोगों की असली जरूरतों के हिसाब से ढाला जाए। उनका मानना है कि सिर्फ आर्थिक आंकड़ों से नहीं, बल्कि सामाजिक मानदंडों और स्थानीय सांस्कृतिक संरचनाओं को समझकर ही असरदार समाधान बनते हैं।
उनकी एक और अहम लेख में उन्होंने "डिजिटल इंडिया" के तहत डिजिटल साक्षरता को बढ़ाने की अपील की, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी ऑनलाइन रोजगार और सेवाओं का लाभ उठा सकें। इस लेख में उन्होंने बताया कि कैसे छोटे कदम—जैसे गाँव में सस्ती इंटरनेट पैकेज—बड़े बदलाव ला सकते हैं।
नर्मला अक्सर कहती हैं, "नीति बनाते समय लोगों की आवाज़ को सुनना जरूरी है, नहीं तो योजना सिर्फ कागज़ पर रहने वाले आइडिया बन जाती है।" उनका यह व्यावहारिक दृष्टिकोण नीति‑निर्माताओं को जमीन से जोड़ता है।
उनके कई इंटरव्यू और टॉक्स में यह स्पष्ट होता है कि वह विकास को "समावेशी" और "समानता‑आधारित" मानती हैं। वह महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण, पर्यावरणीय स्थिरता और शिक्षा तक समान पहुंच को विकास के मुख्य आधार मानती हैं।
अगर आप उनके कार्यों को पढ़ना चाहते हैं, तो "इकोनॉमिक टाइम्स" में उनका सिरीज़ और "हिंदी टाइम्स" में उनके कॉलम बेहतरीन शुरूआत हैं। इन लेखों में आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न राज्यों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को नीति में शामिल किया जा रहा है।
नर्मला का एक और महत्वपूर्ण योगदान है युवा वर्ग को जागरूक करना। उन्होंने कई विश्वविद्यालयों में वार्षिक वर्कशॉप्स और सिम्पोजियम आयोजित किए, जहाँ छात्र सीधे उनकी सोच से सीखते हैं। यह इंटरैक्शन न सिर्फ ज्ञान बढ़ाता है, बल्कि नई पीढ़ी को सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरित करता है।
सारांश में, नर्मला सीतारमन सिर्फ एक अकादमिक नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तनकर्ता हैं। उनके विचारों ने नीति‑निर्माण को अधिक वास्तविक, लोगों‑के‑लगभग और टिकाऊ बनाया है। अगर आप भारत की विकास यात्रा को समझना चाहते हैं, तो उनके लेख, बुक्स और भाषणों को जरूर देखिए।
भारतीय संसद का बजट सत्र 22 जुलाई, 2024 को शुरू हुआ और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने दोनों सदनों में 2024 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया। यह दस्तावेज देश की आर्थिक स्थिति का व्यापक अवलोकन प्रदान करता है और 2024-25 के बजट की तैयारी करता है। सर्वेक्षण में जीडीपी, महंगाई, रोजगार दर और राजकोषीय घाटा जैसी जानकारी सम्मिलित है।
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