नदियों खतरे के निशान: क्यों है जल संकट और हमें क्या करना चाहिए

क्या आप ध्यान देते हैं कि आज‑कल कई नदियाँ सूखती दिख रही हैं? बारिश की कमी, बेजा पानी की खपत और कचरा निपटान की बेइज़ती इत्यादि कारणों से नदियों का स्तर लगातार गिर रहा है। जब नदियों का जल स्तर घटता है, तो न केवल जल स्रोत पर असर पड़ता है, बल्कि किसान, मछुआरे और जीव जंतु भी कठिनाइयों का सामना करते हैं। इस लेख में हम देखते हैं कि नदियों को खतरा क्यों है और आप रोज़मर्रा में क्या‑क्या कर सकते हैं.

मुख्य कारण और प्रभाव

पहला कारण है अनियंत्रित बाढ़ नियंत्रण के लिए बांधों का निर्माण। बहुत सारे बांध जल को रुकाते हैं जिससे नीचे की नदियों में प्रवाह कम हो जाता है। दूसरा कारण है औद्योगिक और घरेलू कचरा नदियों में फेंकना। इससे जल प्रदूषित हो जाता है और जलीय जीव मरते हैं। तीसरा, खेती में अत्यधिक सिंचाई के लिए पानी निकालना—विशेषकर ट्यूबवेल की मदद से—नदियों के जल स्तर को कम कर देता है। इन सभी कारकों से नदियाँ धुंधली, गंदगी भरी और अंततः सूखी हो जाती हैं।

रोकथाम के सरल उपाय

हमें बड़े बदलाव नहीं चाहिए, छोटे कदम भी काफी मदद कर सकते हैं। घर में फालतू नल बंद रखें, नल से बची हुई बारिश का पानी बैरल में जमा कर रखें और पौधों को पानी दें। खेत में ड्रिप इरिगेशन जैसी तकनीक अपनाएँ, इससे पानी की बचत होती है। स्थानीय स्तर पर सफाई अभियानों में भाग लें, नालियों को साफ रखें और कचरा न फेंके। आखिर में, सरकार की योजनाओं को समर्थन दें—जैसे नदी पुनरुद्धार परियोजना—और अपने प्रतिनिधियों से जल संरक्षण के नियमों को कड़ाई से लागू करने की अपील करें।

समय की बात है, अगर हम अभी कार्य नहीं करेंगे तो बढ़ती जल कमी हमारे भविष्य को खतरे में डाल सकती है। नदियों को बचाना सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी नहीं, हर नागरिक का कर्तव्य है। छोटे‑छोटे बदलाव रख‑रखाव, जागरूकता और सामूहिक कार्रवाई से नदियों का जीवन फिर से बहाल किया जा सकता है। याद रखें, हर बूंद महत्वपूर्ण है—आपका एक कदम नदियों को फिर से जिंदा कर सकता है।

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14 अगस्त 2025

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