बिहार में बाढ़: जनता पर कुदरत का कहर
इस बार बिहार में अगस्त महीने की बारिश ने हालात उलट-पुलट कर दिए हैं। नदियां उफान पर हैं और कई इलाके जलमग्न हो चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद हवाई सर्वे कर तस्वीरें देखीं। उनके साथ जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी और बड़े अधिकारी भी थे। स्पेशल सर्वे के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित गांव व शहर देखे गए, जिसमें भागलपुर, भोजपुर, बेगूसराय और खगड़िया शामिल थे।
सोचिए, 24 जिलों में 17 लाख लोग बाढ़ की मार झेल रहे हैं। यह सिर्फ बारिश या नेपाल में गिरने वाले पानी से नहीं हुआ, बल्कि दोनों के मेल से नदियां गंगा, कोसी, बागमती, पुनपुन और घाघरा कई जगह खतरे के निशान से पार जा चुकी हैं। ऐसे में राहत और बचाव की जिम्मेदारी बड़ी हो गई है।
ताबड़तोड़ बारिश का अलर्ट और सरकारी तैयारियां
इंडियन मीटिरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने पटना समेत 8 जिलों—जैसे किशनगंज, अररिया, सुपौल आदि—के लिए भारी से बहुत भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। मॉनसून का ये तेवर और नेपाल के जलभराव ने लाखों लोगों को घरों से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया है। राहत की बात यह है कि राज्यभर में अब तक बाढ़ से कोई मौत नहीं हुई है, मगर गांव, फसल, सड़कें सब पानी में घुस गए हैं।
नीतीश कुमार की अगुवाई में बुधवार को हाई-लेवल मीटिंग हुई, जिसमें बताया गया कि गंगा के किनारे बसे 10 जिले—बोचपुर, पटना, सारण, वैशाली, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर और कटिहार—में करीब 25 लाख लोग मुश्किल में हैं। मुख्यमंत्री ने वहां के अफसरों को सख्त निर्देश दिए कि जितने लोग फंसे हैं, उनकी तुरंत निकासी हो, राहत सामग्री और मेडिकल सहायता पहुंचाई जाए, किसानों को फसल खराबे का मुआवजा मिले और टूटी सड़कें जल्दी दुरुस्त हों।
- 16 NDRF/SDRF टीमें मौके पर तैनात हैं
- 1200 से ज्यादा नाव राहत-बचाव में जुटी हैं
- प्रभावित इलाकों के लोगों को सुरक्षित जगह पहुँचाया जा रहा है
- खेत, सड़कें और घर जलमग्न हैं, पर हालात पर नज़र बनी हुई है
भारी बारिश अभी थमी नहीं है, मौसम विभाग ने साफ कहा है कि अगले कुछ दिनों में बिहार बाढ़ की दिक्कत और बढ़ सकती है। प्रशासन हर मोर्चे पर जुटा है। मैदानी इलाकों में राहत टीमों की तैनाती तेज कर दी गई है, खासकर साहर्सा, पूर्णिया, मुंगेर जैसे जिलों में। गंगा का पानी हल्का कम हुआ है, पर बाकी नदियां अब भी सिर चढ़कर बह रही हैं। गांव के गांव अभी भी टापू बने बैठे हैं। कई सड़कें और पुल बहने की कगार पर हैं।
सरकार दावा कर रही है कि राहत में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। कामकाज से लेकर खेती-बाड़ी सब प्रभावित है, लेकिन लोगों को उम्मीद है कि हालात काबू में आ जाएंगे। मौसम की मार कब तक जारी रहेगी, इसे लेकर वे मौसम विभाग की चेतावनी पर हर रोज नजर टिकाए बैठे हैं।
Shivateja Telukuntla
अगस्त 14, 2025 AT 21:15हम तो हर साल यही देख रहे हैं, फिर भी कुछ नहीं बदलता।
Ravi Kumar
अगस्त 16, 2025 AT 07:45मैं तो कहता हूं, जिन लोगों ने नदियों के किनारे घर बनाए, उन्हें बस इतना समझाओ कि ये जमीन बाढ़ के लिए बनी है, न कि शहरी लक्ज़री के लिए।
rashmi kothalikar
अगस्त 16, 2025 AT 12:48और अब ये सब नेपाल के जिम्मेदार हैं? बस एक बार अपने घर के बाहर देखो।
vinoba prinson
अगस्त 17, 2025 AT 18:42When the Ganga’s flow is measured in cubic meters per second, but the policy response is measured in press releases, we are not managing floods-we are performing governance.
Shailendra Thakur
अगस्त 18, 2025 AT 11:431200 नावें निकालना, 16 टीमें तैनात करना-ये छोटी बात नहीं है। अगर हम इन लोगों को सलाम करेंगे, तो बाकी का हिस्सा भी ठीक हो जाएगा।
Muneendra Sharma
अगस्त 19, 2025 AT 07:20क्या कोई सोच रहा है कि अगले साल ये बच्चे कैसे लिखेंगे? क्या कोई पुस्तकालय या डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म तैयार कर रहा है? नहीं। हम सिर्फ राहत सामग्री भेज रहे हैं। ये तो बचाव है, लेकिन भविष्य का निर्माण नहीं।
Anand Itagi
अगस्त 19, 2025 AT 21:29हम उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं लेकिन वो तो हमें बता रही हैं कि ये हमारी जमीन है न कि हमारी जगह
Sumeet M.
अगस्त 20, 2025 AT 07:46Kisna Patil
अगस्त 21, 2025 AT 12:50लेकिन ये जिंदगी का हिस्सा होना अच्छा नहीं है। हमें ये समझना होगा कि हम अपने बच्चों को एक ऐसी दुनिया में छोड़ रहे हैं जहां बाढ़ एक रूटीन है।
हमें बस राहत नहीं, हमें रिसिलिएंस चाहिए। हमें बच्चों को सिखाना होगा कि नदी क्या है, और उसके साथ कैसे रहना है।
ASHOK BANJARA
अगस्त 22, 2025 AT 11:44हमने नदियों के किनारे शहर बसाए, उनके बाढ़ के मैदान को इमारतों से भर दिया, और फिर उन्हें बाढ़ का दोष देने लगे।
प्राचीन भारत में नदियों के किनारे बसे गांवों में घरों की छतें ऊंची होती थीं, और जमीन ऊंची बनाई जाती थी। आज हम उस ज्ञान को भूल चुके हैं।
हम नदियों के साथ नहीं, उनके खिलाफ रह रहे हैं। और अब वो हमें याद दिला रही हैं।
Sahil Kapila
अगस्त 24, 2025 AT 09:10क्या सरकार ने कुछ नया किया है? नहीं बस एक बार फिर से नीतीश जी ने हेलीकॉप्टर से फोटो खींचा और ट्वीट कर दिया
Rajveer Singh
अगस्त 25, 2025 AT 11:03हमारे पूर्वजों ने नदियों को देवी माना था, आज हम उन्हें बाढ़ का कारण बता रहे हैं।
हम जिस तरह से नदियों के साथ बर्ताव कर रहे हैं, वो उनके लिए अपमान है। और अब वो हमें सबक सिखा रही हैं।
Ankit Meshram
अगस्त 27, 2025 AT 08:53Shaik Rafi
अगस्त 28, 2025 AT 12:44हम नदियों के किनारे शहर बना रहे हैं, फिर उन्हें बाढ़ का दोष दे रहे हैं।
हम नदियों को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन वो तो हमें बता रही हैं कि ये जमीन उनकी है।
हमें नदियों के साथ रहना सीखना होगा, न कि उनके खिलाफ लड़ना।
Ashmeet Kaur
अगस्त 29, 2025 AT 00:34लेकिन मैंने देखा है कि जब बाढ़ जाती है, तो लोग फिर से वहीं घर बना लेते हैं।
हम नदियों को नहीं बदल सकते, लेकिन हम अपनी सोच बदल सकते हैं। अगर हम नदियों के साथ रहना सीख जाएं, तो बाढ़ भी अपना तांडव कम कर देगी।