क्रिकेट कोच बनना सिर्फ खेल समझना नहीं, बल्कि खिलाड़ियों को सही दिशा दिखाना है। अगर आप जुनून से भरे हैं और युवा टैलेंट को बढ़ावा देना चाहते हैं, तो ये गाइड आपके लिए है।
सबसे पहले, बेसिक प्रमाणपत्र ले लें। राज्य या बोर्ड की कोचिंग सर्टिफिकेशन काफी मदद करती है। फिर, स्थानीय क्लब या स्कूल में असिस्टेंट कोच के तौर पर काम शुरू करें। इससे आप मैदान पर हाथ‑से‑हाथ अनुभव जुटा सकते हैं।
दूसरा, अपने ज्ञान को अपडेट रखें। हाल के मैचों की रणनीतियों, नई तकनीकों और फिटनेस रेजिमेन को फॉलो करें। बॉब सिम्पसन जैसे दिग्गज कोचों की पढ़ी गयी बायोग्राफी या उनकी कोचिंग सत्रों से बहुत कुछ सीख सकते हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया को 80‑90 के दशक में कई जीत दिलवाईं, और यही डायनेमिक सोच हर कोच को अपनानी चाहिए।
हर खिलाड़ी की जरूरत अलग होती है। बॉलिंग कोच को स्पिन, फ़ास्ट बॉल या स्विंग की बारीकियों पर काम करना पड़ता है, जबकि बैटिंग कोच को शॉट चयन और पोज़िशनिंग पर ध्यान देना चाहिए। अभ्यास सत्रों में छोटे‑छोटे लक्ष्य सेट करें, जैसे “एक ओवर में 12 रन” या “तीन बॉल्स में स्विंग सुधार”। इससे खिलाड़ी देखेंगे कि प्रगति कैसे होती है और मोटिवेटेड रहेंगे।
फिटनेस और मानसिक शक्ति भी कोचिंग का हिस्सा है। योग, मेडिटेशन या सरल स्ट्रेचिंग रूटीन शामिल करें। जब खिलाड़ी थका हुआ महसूस करता है, तो उसकी बात सुनें और सही ब्रेक या रिकवरी प्लान दें।
अंत में, संवाद कौशल मजबूत रखें। स्पष्ट, पॉज़िटिव फीडबैक दें, और कभी भी नीचे नहीं गिरने दें। अगर आपको लगता है कि आपके पास एंट्री‑लेवल कोचिंग का अनुभव नहीं है, तो फिर भी आप स्थानीय फुटनोट कोचिंग क्लासेज़ या ऑनलाइन कोर्सेज़ से सीख सकते हैं।
समाप्ति में, याद रखें कि कोचिंग एक लगातार सीखने वाली प्रक्रिया है। जीत-हार से ज्यादा आपका काम खिलाड़ियों को बेहतर इंसान बनाना है। तो तैयार हैं? अपने पहले सत्र की योजना बनाएं और मैदान पर कदम रखें।
गौतम गंभीर और डब्ल्यू वी रमन को 18 जून को भारत की पुरुष क्रिकेट टीम के मुख्य कोच पद के लिए इंटरव्यू किया गया। क्रिकेट सलाहकार समिति (CAC) ने इस प्रक्रिया को वर्चुअल माध्यम से अंजाम दिया। दोनों ने अपनी प्रस्तुतियों से समिति को प्रभावित किया। गंभीर की आईपीएल में सफलता ने उन्हें इस पद के लिए मुख्य उम्मीदवार बना दिया है, जबकि रमन की कोचिंग अनुभव ने उन्हें इंटरव्यू के लिए स्पष्टत: चयनित किया।
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