अगर आप ओडिशा की सबसे बड़ी सांस्कृतिक धमार में भाग लेना चाहते हैं, तो जगन्नाथ रथ यात्रा आपके लिए बेहतरीन मौका है। हर साल लाखों श्रद्धालु पुजारी और पर्यटक एक साथ इकट्ठे होते हैं, और रथ की धूमधाम वाला माहौल देखना एक अनोखा अनुभव है। इस लेख में हम 2025 की रथ यात्रा के मुख्य बिंदु, रथ का मार्ग, समय‑सारिणी और महत्वपूर्ण रीति‑रिवाज़ को आसान भाषा में समझाते हैं, ताकि आप बिना किसी झंझट के तैयार हो सकें।
जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास 12वीं सदी तक जाता है, जब पंडित बिश्नोइ शंखाबुशि ने रथ बनवाया था। तब से रथ को तीन दिन में पुजारी, भगीरथ और बड़का रथ में विभाजित किया गया। यात्रा का मुख्य उद्देश्य भगवान जगन्नाथ, बलभभादेवी और सुभद्रा की सृष्टि को सम्मान देना और लोगों को एकजुट करना है। हर साल रथ को पालकों के हाथों से खींचा जाता है, और इस प्रक्रिया में शहर की गलियों में संगीत, ढोल, नारे और भजन गूंजते हैं।
2025 में रथ यात्रा का मुख्य रथ 11 जुलै को पुरी से शुरू होगा और 14 जुलै तक कत्ल में समाप्त होगा। रथ का मार्ग मुख्य रूप से पुरी, भुज, सिंगरुप और कत्ल के चार प्रमुख शहरों में घूमता है। प्रमुख तिथियाँ इस प्रकार हैं:
रथ यात्रा के दौरान कुछ खास रीति‑रिवाज़ होते हैं। सबसे पहला है ‘भेड़िया रथ’ – यह छोटे बच्चों को रथ के पथ पर ले जाता है, जिससे उनकी भक्ति बढ़ती है। दूसरा है ‘अग्नि अर्पण’ – रथ के सामने जलाया जाता है और लोग उसे मंत्र पढ़कर आशिर्वाद मांगते हैं। यदि आप पहली बार जा रहे हैं, तो रथ के पास कोई भी झंडा खींचने वाला (ड्राइवर) नहीं, बल्कि स्वयं पालकों की टीम रथ को आगे बढ़ाती है, इसलिए सावधानी बरतें।
भोजन की बात करें तो पुरी में ‘छाछा’, ‘चटनी’ और ‘रसम’ बहुत लोकप्रिय हैं। यात्रा के दौरान कई लजीज स्टॉल लगते हैं, जहाँ आप सर्वेगा, पकोड़े और कढ़ी का मज़ा ले सकते हैं। यदि आप शाकाहारी या विशिष्ट डाइट चाहते हैं, तो पहले से कुछ हल्दी वाले भोजन का इंतजाम कर लेना बेहतर रहेगा, क्योंकि भीड़ में आवागमन कठिन हो सकता है।
रथ यात्रा में रहने की व्यवस्था भी आसान है। पुरी, भुज और कटल में कई सरकारी और निजी होस्टल उपलब्ध हैं। सबसे बजट‑फ्रेंडली विकल्प ‘जनवास’ है, जहाँ आप कम कीमत पर साफ‑सुथरा कमरा पा सकते हैं। बुकिंग पहले से कर दें, क्योंकि यात्रा के दौरान आवास की मांग बहुत बढ़ जाती है।
अंत में, सुरक्षा का ध्यान रखें। रथ के पास हमेशा पुलिस और स्वैच्छिक समूह तैनात रहते हैं, पर भीड़ में अपना सामान सुरक्षित रखें। अगर आप बच्चे या बुजुर्ग के साथ आए हैं, तो रथ के करीब न खड़े हों और चुपके से बाहर निकलते समय सुरक्षित मार्ग अपनाएँ।
जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि ओडिशा की संस्कृति, संगीत और लोक कला का शानदार प्रदर्शन है। 2025 की यात्रा का समय, मार्ग और मुख्य कार्यक्रम जानकर आप अपनी योजना बना सकते हैं और इस अद्भुत अनुभव को पूरी तरह एन्जॉय कर सकते हैं। आशा है इस गाइड से आपका यात्रा प्लान आसान हो गया होगा। शुभ यात्रा!
पुरी, ओडिशा में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 का शुभारंभ 7 जुलाई को हुआ, जिसमें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने हिस्सा लिया। इस दो-दिवसीय महोत्सव में लाखों भक्तों ने हिस्सा लिया, और भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को खींचा। यह आयोजन विशेष ज्योतिषीय परिस्थितियों के कारण 1971 के बाद पहली बार हुआ है।
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