ओडिशा के पुरी शहर में 7 जुलाई 2024 को भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। इस दो-दिवसीय महोत्सव में लाखों भक्तों ने श्रद्धापूर्वक भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को खींचा। यह रथ यात्रा अपने विशेष ज्योतिषीय महत्व के कारण 1971 के बाद पहली बार आयोजित हुई है। इस वर्ष की यात्रा में एक विशेष आकर्षण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति रही।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विशेष यात्रा में हिस्सा लेकर इसे और खास बना दिया। राष्ट्रपति मुर्मू ने तीनों रथों का परिक्रमा किया और देवी-देवताओं के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान पुरी की 'ग्रैंड रोड' मानव समुद्र में परिवर्तित हो गई थी, जहां हर कोई 'जय जगन्नाथ' के मंत्रों का उच्चारण कर रहा था।
सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ मंदिर परिसर में एकत्रित हो गई थी। पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, केंद्रीय मंत्री एवं अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने इस अवसर को और महत्वपूर्ण बना दिया। तीनों रथों को सजीव और रंगीन सजावट के साथ सजाया गया था, जिनके बीच 'पाहंडी' रिवाज के साथ यत्रा की शुरुआत हुई।
पाहंडी रिवाज के तहत, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को उनके रथों पर चढ़ाया गया। इस प्रक्रिया के दौरान भक्तों ने गाठियों, शंखों, और झांझ की ध्वनियों के बीच 'जय जगन्नाथ' के नारों के साथ उत्सव मनाया। यात्रा की विशेषता यह थी कि भक्तगण खुद अपने हाथों से रथों को खींचते हैं, जिससे यह महोत्सव और भी अधिक धार्मिक महत्व का बन जाता है।
रथ यात्रा मार्ग करीब 2.5 किलोमीटर लंबा था, जो जगन्नाथ मन्दिर से गुण्डिचा मन्दिर तक जाता है। इस दौरान, पूरा मार्ग रंग-बिरंगे आयोजनों और भक्तों की भीड़ से भरा हुआ था। भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के आयोजन के लिए ओडिशा सरकार ने विशेष तैयारियां की थीं, जिनमें 180 प्लाटून सुरक्षा कर्मियों की तैनाती, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सीसीटीवी कैमरों की स्थापना और त्वरित चिकित्सा सहायता के लिए ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण शामिल था।
ऐसे बड़े आयोजनों के दौरान जनता की सुरक्षा और चिकित्सा सहायता का विशेष ध्यान रखा गया था। ओडिशा सरकार ने तमाम इंतजाम किए थे, जिनमें 180 प्लाटून सुरक्षा कर्मियों की तैनाती प्रमुख थी। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सीसीटीवी कैमरों का भी उपयोग किया गया, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्यवाही हो सके। ग्रीन कॉरिडोर भी बनाया गया था जो जल्दी चिकित्सा सहायता पहुंचाने में मदद करता। इसके बावजूद, एक दुखद घटना में एक भक्त का दम घुटने से निधन हो गया और आठ अन्य बीमार हो गए।
भक्तों की इतनी बड़ी भीड़ में किसी भी प्रकार की समस्या से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन पूरी तरह सतर्क था। जगह-जगह प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और मोबाइल हेल्थ यूनिट्स लगाए गए थे। भरी गर्मी और आद्रता के बावजूद, भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था।
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के माध्यम से विश्वभर में पुरी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, एक बार फिर से स्थापित हुआ है। इस यात्रा का समापन यात्रा के आठ दिनों बाद भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के मन्दिर लौटने के साथ होगा। आने वाले वर्षों में इस यात्रा को और अधिक भव्य और जिसका संचालन बेहतर हो यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन निरंतर प्रयासरत रहेगा।
अंततः, भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में राजकीय और सामाजिक सहभागिता, संस्कृति और धर्म का संगम होता है, जो इसे देशभर के भक्तों के लिए अविस्मरणीय बना देता है।
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय श्रद्धालु इस महोत्सव में बड़ी संख्या में भाग लेते हैं और यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि भारतीय संस्कृति और समाज के अद्वितीय तत्वों को प्रदर्शित करती है।