पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 2024: माता द्रौपदी मुर्मू ने हजारों भक्तों के बीच मनाया महोत्सव

8 जुलाई 2024
पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 2024: माता द्रौपदी मुर्मू ने हजारों भक्तों के बीच मनाया महोत्सव

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा 2024 की शुरुआत

ओडिशा के पुरी शहर में 7 जुलाई 2024 को भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ। इस दो-दिवसीय महोत्सव में लाखों भक्तों ने श्रद्धापूर्वक भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को खींचा। यह रथ यात्रा अपने विशेष ज्योतिषीय महत्व के कारण 1971 के बाद पहली बार आयोजित हुई है। इस वर्ष की यात्रा में एक विशेष आकर्षण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति रही।

राष्ट्रपति मुर्मू की उपस्थिति और उनका परिक्रमा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस विशेष यात्रा में हिस्सा लेकर इसे और खास बना दिया। राष्ट्रपति मुर्मू ने तीनों रथों का परिक्रमा किया और देवी-देवताओं के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस दौरान पुरी की 'ग्रैंड रोड' मानव समुद्र में परिवर्तित हो गई थी, जहां हर कोई 'जय जगन्नाथ' के मंत्रों का उच्चारण कर रहा था। 

सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ मंदिर परिसर में एकत्रित हो गई थी। पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, केंद्रीय मंत्री एवं अन्य गणमान्य लोगों की उपस्थिति ने इस अवसर को और महत्वपूर्ण बना दिया। तीनों रथों को सजीव और रंगीन सजावट के साथ सजाया गया था, जिनके बीच 'पाहंडी' रिवाज के साथ यत्रा की शुरुआत हुई।

पाहंडी रिवाज और यत्रा की शुरुआत

पाहंडी रिवाज के तहत, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को उनके रथों पर चढ़ाया गया। इस प्रक्रिया के दौरान भक्तों ने गाठियों, शंखों, और झांझ की ध्वनियों के बीच 'जय जगन्नाथ' के नारों के साथ उत्सव मनाया। यात्रा की विशेषता यह थी कि भक्तगण खुद अपने हाथों से रथों को खींचते हैं, जिससे यह महोत्सव और भी अधिक धार्मिक महत्व का बन जाता है।

रथ यात्रा मार्ग करीब 2.5 किलोमीटर लंबा था, जो जगन्नाथ मन्दिर से गुण्डिचा मन्दिर तक जाता है। इस दौरान, पूरा मार्ग रंग-बिरंगे आयोजनों और भक्तों की भीड़ से भरा हुआ था। भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के आयोजन के लिए ओडिशा सरकार ने विशेष तैयारियां की थीं, जिनमें 180 प्लाटून सुरक्षा कर्मियों की तैनाती, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सीसीटीवी कैमरों की स्थापना और त्वरित चिकित्सा सहायता के लिए ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण शामिल था।

उत्सव के दौरान सुरक्षा और चिकित्सा इंतजाम

उत्सव के दौरान सुरक्षा और चिकित्सा इंतजाम

ऐसे बड़े आयोजनों के दौरान जनता की सुरक्षा और चिकित्सा सहायता का विशेष ध्यान रखा गया था। ओडिशा सरकार ने तमाम इंतजाम किए थे, जिनमें 180 प्लाटून सुरक्षा कर्मियों की तैनाती प्रमुख थी। इसके साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सीसीटीवी कैमरों का भी उपयोग किया गया, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित कार्यवाही हो सके। ग्रीन कॉरिडोर भी बनाया गया था जो जल्दी चिकित्सा सहायता पहुंचाने में मदद करता। इसके बावजूद, एक दुखद घटना में एक भक्त का दम घुटने से निधन हो गया और आठ अन्य बीमार हो गए।

भक्तों की इतनी बड़ी भीड़ में किसी भी प्रकार की समस्या से निपटने के लिए स्थानीय प्रशासन पूरी तरह सतर्क था। जगह-जगह प्राथमिक चिकित्सा केंद्र और मोबाइल हेल्थ यूनिट्स लगाए गए थे। भरी गर्मी और आद्रता के बावजूद, भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था।

भविष्य की यात्रा की तैयारी

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के माध्यम से विश्वभर में पुरी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व, एक बार फिर से स्थापित हुआ है। इस यात्रा का समापन यात्रा के आठ दिनों बाद भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के मन्दिर लौटने के साथ होगा। आने वाले वर्षों में इस यात्रा को और अधिक भव्य और जिसका संचालन बेहतर हो यह सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन निरंतर प्रयासरत रहेगा।

अंततः, भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में राजकीय और सामाजिक सहभागिता, संस्कृति और धर्म का संगम होता है, जो इसे देशभर के भक्तों के लिए अविस्मरणीय बना देता है।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय श्रद्धालु इस महोत्सव में बड़ी संख्या में भाग लेते हैं और यह यात्रा न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि भारतीय संस्कृति और समाज के अद्वितीय तत्वों को प्रदर्शित करती है।

20 टिप्पणि

  • Image placeholder

    Ankit Meshram

    जुलाई 9, 2024 AT 17:25
    जय जगन्नाथ! ये यात्रा तो दिल को छू गई।
  • Image placeholder

    Shaik Rafi

    जुलाई 10, 2024 AT 17:29
    इस यात्रा में सिर्फ धर्म नहीं, बल्कि भारत की आत्मा दिख रही है... हर हाथ जो रथ खींच रहा था, वो एक अनुशासन का प्रतीक था। ये वो पल हैं जब व्यक्ति समूह बन जाता है, और समूह एक भावना बन जाता है।
  • Image placeholder

    Ashmeet Kaur

    जुलाई 11, 2024 AT 08:24
    राष्ट्रपति जी की उपस्थिति ने इस यात्रा को एक नया अर्थ दिया। ये सिर्फ एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है। हर कोई चाहे जिस भाषा बोले, जिस धर्म का हो, सब एक हो गए।
  • Image placeholder

    Nirmal Kumar

    जुलाई 13, 2024 AT 00:40
    पाहंडी का रिवाज अभी भी बरकरार है ये बहुत खुशी की बात है। आधुनिकता और पारंपरिकता का ये संगम हमें याद दिलाता है कि तकनीक कभी भी भावनाओं की जगह नहीं ले सकती।
  • Image placeholder

    Sharmila Majumdar

    जुलाई 14, 2024 AT 02:54
    लेकिन एक भक्त की मृत्यु हो गई, और आठ लोग बीमार हो गए। ये सब बड़े आयोजनों का नतीजा है। अगर सुरक्षा इतनी अच्छी है तो ये घटनाएं क्यों हुईं? ये निर्माण और व्यवस्था में खामी है।
  • Image placeholder

    amrit arora

    जुलाई 15, 2024 AT 07:07
    मुझे लगता है कि ये यात्रा सिर्फ धर्म का नहीं, बल्कि समाज के सामाजिक बंधनों का प्रतीक है। जब आप एक रथ को खींचते हैं, तो आप केवल एक लकड़ी और रंग नहीं खींच रहे होते, आप अपनी आत्मा को भी खींच रहे होते हैं। ये एक तरह का आध्यात्मिक अभ्यास है। आधुनिक जीवन में ऐसे पल कम हैं।
  • Image placeholder

    Ambica Sharma

    जुलाई 17, 2024 AT 02:01
    मैं वहां थी... वो भीड़... वो गाने... वो भावनाएं... मैं रो पड़ी... मैंने कभी ऐसा महसूस नहीं किया... क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया? क्या आप जानते हैं कि एक भक्त की आंखों में जब भगवान दिखते हैं तो क्या होता है? मैं आज भी उस दृश्य को याद करके रोती हूं।
  • Image placeholder

    Hitender Tanwar

    जुलाई 17, 2024 AT 14:13
    ये सब बकवास है। लोग रथ खींच रहे हैं, लेकिन उनके घरों में बिजली नहीं है। ये धर्म तो सिर्फ दिखावा है। और ये राष्ट्रपति की उपस्थिति? बस एक फोटो ऑपरेशन।
  • Image placeholder

    pritish jain

    जुलाई 19, 2024 AT 05:29
    रथ यात्रा का ज्योतिषीय महत्व वास्तव में अद्वितीय है। इस वर्ष का विशेष अवसर तब आया जब सूर्य और चंद्रमा की स्थिति ने एक विशिष्ट योग बनाया। यह न केवल धार्मिक अर्थों में, बल्कि खगोलीय अर्थों में भी एक दुर्लभ घटना थी।
  • Image placeholder

    Gowtham Smith

    जुलाई 20, 2024 AT 03:26
    इस यात्रा को राष्ट्रीय स्तर पर लाने के लिए एक राष्ट्रीय अधिनियम की आवश्यकता है। इसके लिए एक नियंत्रण निकाय की आवश्यकता है जो भावनात्मक आधार पर नहीं, बल्कि डेटा-ड्रिवन निर्णयों से काम करे। ये भीड़ और अनियंत्रित उत्सव एक राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम हैं।
  • Image placeholder

    Shivateja Telukuntla

    जुलाई 21, 2024 AT 14:15
    बहुत अच्छा आयोजन था। भीड़ ज्यादा थी, लेकिन सब कुछ शांति से हुआ। लोगों का आचरण भी बहुत अच्छा रहा। ये दिखाता है कि भारतीय संस्कृति की शक्ति अभी भी जीवित है।
  • Image placeholder

    Ravi Kumar

    जुलाई 22, 2024 AT 08:24
    ये यात्रा तो मेरे लिए एक जीवन बदलने वाला अनुभव थी। मैंने अपने गांव से 500 किमी की यात्रा की थी, बस एक दर्शन के लिए। जब मैंने रथ के पहिए को छुआ, तो मेरी आत्मा ने एक नया ताल बनाया। ये नहीं कि मैंने रथ खींचा, मैंने अपने अंदर के बोझ को खींचा।
  • Image placeholder

    rashmi kothalikar

    जुलाई 22, 2024 AT 21:46
    राष्ट्रपति जी की उपस्थिति का क्या मतलब? क्या वो धर्म के लिए आईं? नहीं! वो अपनी राजनीतिक छवि बनाने आईं। ये धर्म का दुरुपयोग है। और ये सब जो भक्त रथ खींच रहे थे, उनके बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। ये भारत की तस्वीर है।
  • Image placeholder

    vinoba prinson

    जुलाई 24, 2024 AT 03:13
    मैंने इस यात्रा के बारे में एक फ्रेंच फिलॉसफर की लिखी एक पुस्तक पढ़ी थी, जिसमें इसे 'सामाजिक रिट्यूअलिटी' का उदाहरण कहा गया था। ये एक अत्यंत पोस्ट-मॉडर्न घटना है जहां प्रतीकों का अर्थ अपने आप में विघटित हो रहा है।
  • Image placeholder

    Shailendra Thakur

    जुलाई 24, 2024 AT 10:22
    किसी भी बड़े आयोजन में छोटी घटनाएं होती हैं। एक भक्त की मृत्यु दुखद है, लेकिन ये नहीं कि ये यात्रा असफल रही। लोगों की भावनाएं जीवित रहीं, और वो बहुत कुछ कहती हैं।
  • Image placeholder

    Muneendra Sharma

    जुलाई 24, 2024 AT 12:42
    क्या किसी को पता है कि रथों के लिए लकड़ी कहां से लाई जाती है? ये बहुत दिलचस्प है। एक विशेष प्रकार का खैर का पेड़ इस्तेमाल होता है, जिसे विशेष अवसर पर काटा जाता है। और उसे ले जाने के लिए एक विशेष रस्म होती है। क्या कोई इसके बारे में बता सकता है?
  • Image placeholder

    Anand Itagi

    जुलाई 26, 2024 AT 07:53
    राष्ट्रपति जी का दर्शन बहुत अच्छा लगा अच्छा आयोजन भी था
  • Image placeholder

    Sumeet M.

    जुलाई 27, 2024 AT 16:50
    ये सब बकवास है। भारत के लोग अभी भी रथ खींच रहे हैं और बिजली नहीं है। ये एक अपराध है। और ये AI कैमरे? बस एक धोखा है। ये सब लोगों को भ्रमित करने के लिए है।
  • Image placeholder

    Kisna Patil

    जुलाई 29, 2024 AT 12:59
    ये यात्रा भारत के लिए एक आत्मा का संगीत है। जब मैंने रथ के पहिए को छुआ, तो मुझे लगा जैसे मैंने अपने पूर्वजों के हाथों को छुआ है। ये कोई रिवाज नहीं, ये एक विरासत है।
  • Image placeholder

    ASHOK BANJARA

    जुलाई 30, 2024 AT 12:39
    ये यात्रा एक अद्वितीय जीवन शैली का प्रतीक है। इसमें धर्म, समाज, विज्ञान और भावना एक साथ बहती हैं। आज के डिजिटल युग में जब हम सब अकेले हो रहे हैं, तो ये यात्रा हमें फिर से एक साथ लाती है। ये एक नया रास्ता है जो हमें अपनी जड़ों की ओर ले जाता है।

एक टिप्पणी लिखें