दुर्गा पूजा भारत में सबसे बड़े धार्मिक उत्सवों में से एक है। हर साल लाखों लोग माँ दुर्गा की भक्ति में एकजुट होते हैं। अगर आप पहली बार इस त्योहार को मनाने वाले हैं या बस कुछ नया सीखना चाहते हैं, तो यहाँ सबसे ज़रूरी जानकारी मिलीगी।
दुर्गा पूजा शरद ऋतु में, विक्रम संवत के आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष में आती है। 2025 में यह 20 से 24 अक्टूबर के बीच मनाई जाएगी। पाँच दिन तक चलने वाले इस पर्व में सर्वप्रथम ‘सहस्राब्दि’ की पूजा होती है, फिर ‘अष्टमी’, ‘नवमी’ और ‘दशमी’ तक के विभिन्न स्वरूप देखे जाते हैं। हर दिन का अपना मतलब है – अष्टमी पर माँ दुर्गा के आठ हाथों वाला रूप, नवमी पर माँ की शक्ति और दशमी पर बुरी शक्ति का अंत।
यह त्योहार सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। पंडाल में नौका-रायन, सांस्कृतिक कार्यक्रम और मिठाइयों की भरमार से सबको एक साथ लाता है। गाँव‑शहर की सीमाएं मिटती हैं, लोग मिल‑जुलकर दोपहर‑शाम के ‘भोग’–‘प्रसाद’ बाँटते हैं।
घर में पूजा करने वाले समय सबसे आसान ‘सात तत्त्व’ की तैयारी कर सकते हैं – धूप, दीप, नैवेद्य, लक्ष्मी, कलश, पिचकारी और वरदान। सबसे पहले कल्प (कुंड) में शुद्ध पानी भरें, उसमें नारियल के टुकड़े और फूल डालें। फिर माँ दुर्गा की मूर्ति या पिंड स्थापित करें। बैनर, झंडा और रंगीन लाइट्स से सजावट करें, इससे माहौल उत्सव भरा रहता है।
पूजा में मुख्य रूप से ‘अष्टमी’ के दिन ‘शभ’ (सूर्यास्त के बाद) को दावा किया जाता है। ‘अष्टमी’ के बाद ‘नवमी’ की ‘आरती’ में हल्दी, चंदन और फूलों का प्रयोग किया जाता है। नवमी के बाद ‘दुर्गा सप्तषष्ठी’ और ‘काली घटा’ की पूजा भी की जाती है। अंत में ‘दुर्गा विसर्जन’ (विहार) में माँ को नदी में ले जाकर स्नान कराया जाता है। यह चरण न केवल पर्यावरण के लिए अच्छा है, बल्कि सामाजिक सामंजस्य को भी बढ़ाता है।
पाक‑पान में अक्सर ‘सही’, ‘लड्डू’, ‘खजूर’, ‘गुड़ का हलवा’ और ‘बिड़िया’ बनते हैं। ये सभी भोजन ‘भोग’ के रूप में माँ को चढ़ाए जाते हैं और फिर सबको बाँटे जाते हैं। अगर आप शाकाहारी हैं तो आप चने के दाल या सब्ज़ी के साथ भी पूजन कर सकते हैं।
आजकल कई शहरों में पंडाल भी ऑनलाइन लाइव होते हैं, तो आप दूर बैठे भी इस ख़ुशी में शामिल हो सकते हैं। सोशल मीडिया पर #DurgaPuja2025 टैग से जुड़े पोस्ट देखें, इससे आपको विविध कार्यक्रमों की जानकारी मिल जाएगी।
कभी‑कभी धूप के साथ ‘उत्रंग’ (भजन) गाने से ऊर्जा बढ़ती है। आप अपने घर के सदस्य या दोस्तों को साथ लाकर इस उत्सव को और भी रोचक बना सकते हैं।
सुरक्षित रहने के लिए भी कुछ बातें ध्यान में रखें – जैसे पंडाल में अधिक भीड़ वाले समय में हाथ से एंटीसेप्टिक जेल लगाएँ, भीड़ में अपना सामान सुरक्षित रखें और फैंकड़े को सही जगह फेंकेँ। इन छोटी‑छोटी सावधानियों से आपका त्योहार सुरक्षित और आनंददायक रहेगा।
तो तैयार हो जाइए! चाहे आप घर में पूजा कर रहे हों या पंडाल में, दुर्गा पूजा आपके जीवन में खुशहाली और शांति लाएगी। इस साल के उत्सव को मनाने के लिए अपनी योजनाएँ बना लें, माँ दुर्गा को दिल से याद करें और सभी के साथ इस पावन अवसर को साझा करें।
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