Navratri 2025 में रंगों का आध्यात्मिक महत्व
डूबर-डूबर नाच, धाम-धूमधाम और दहकों के साथ आने वाले Navratri 2025 की थाली में Navratri 2025 रंग का विशेष स्थान है। हर दिन माँ दुर्गा के अलग रूप की पूजा होती है और साथ ही एक निश्चित रंग को धारण किया जाता है, जो प्रतिज्ञा, ऊर्जा और आशीर्वाद को बढ़ाता है। इस परम्परा न केवल धार्मिक भावना को सशक्त बनाती है, बल्कि मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करती है।
रंगों की शक्ति को वैज्ञानिक भी मान्यता दे रहे हैं; वे मनोदशा, हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर पर असर डालते हैं। इसलिए जब भक्त इन विशेष रंगों को पहनते हैं तो वे अपने अंदर की शुद्धता, उत्साह तथा शांति को बाहरी रूप में प्रतिबिंबित कर पाते हैं।
प्रत्येक दिन का रंग और उसका प्रतीकात्मक अर्थ
नीचे नौ दिन के रंगों की सूची दी गई है, जिसमें उनके आध्यात्मिक प्रभाव और पहनने के तरीके भी बताए गए हैं:
- दिन 1 – 22 सितम्बर (सप्ताह) – सफ़ेद (शैलपुत्री): शुद्धि, शांति और निरंतरता का प्रतीक। सफ़ेद कपड़े पहनने से मन को शांति मिलती है और दिव्य ऊर्जा को आकर्षित किया जाता है।
- दिन 2 – 23 सितम्बर (मंगल) – लाल (ब्रह्मचारिणी): प्रेम, ऊर्जा और सक्रियता का रंग। लाल पोशाक से उत्साह बढ़ता है और भक्त की भक्ति प्रबल होती है।
- दिन 3 – 24 सितम्बर (बुध) – रॉयल ब्लू (चंद्रघंटा): समृद्धि, शान्ति और गंभीरता का प्रतिनिधित्व। गहरा नीला पहनने से मन स्थिर रहता है और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- दिन 4 – 25 सितम्बर (गुरु) – पीला (कुशमांडा): आशा, उज्ज्वलता और ज्ञान का रंग। पीले वस्त्र से सकारात्मक सोच विकसित होती है और अज्ञानता पर प्रकाश पड़ता है।
- दिन 5 – 26 सितम्बर (शुक्र) – हरा (स्कंदमाता): विकास, शांति और माँत्व का प्रतीक। हरे रंग से घर में शांति और समृद्धि आती है।
- दिन 6 – 27 सितम्बर (शनि) – ग्रे (कट्यायनी): संतुलन, स्थिरता और निरपेक्षता। ग्रे पहनने से भावनाओं में संतुलन बना रहता है और बुराई से लड़ने की शक्ति मिलती है।
- दिन 7 – 28 सितम्बर (रवि) – नारंगी (कालरात्रि): उत्साह, रचनात्मकता और आध्यात्मिक जागृति। नारंगी रंग नकारात्मकता को दूर करता है और परिवर्तन लाता है।
- दिन 8 – 29 सितम्बर (सोम) – मोतिया हरा (महा गौरी): विशिष्टता, पुनर्जन्म और करुणा। इस अनोखे हरे रंग से माँ की दया और नवीनीकरण का अनुभव होता है।
- दिन 9 – 30 सितम्बर (मंगल) – गुलाब (सिद्धिदात्रि): प्रेम, सहानुभूति और अद्भुत शक्तियों का रंग। गुलाबी पोशाक से सुख, शांति और इच्छाओं का पूर्णत्व मिलता है।
इन रंगों को पहनते समय साधारण कपड़े, साड़ी, लहंगा या चूड़ीदार पूजारी पोशाक का चयन किया जा सकता है। साथ ही, इन रंगों की सादगी से जुड़ी छोटी-छोटी सजावट, जैसे कि बंधन, बैंड या टिका, भी पूजा में आकर्षण बढ़ाते हैं।
रंगों के साथ-साथ कई और रीति-रिवाज भी निभाए जाते हैं – व्रत, भजन, जमिया और गरबा। इन गतिविधियों का संगीतमय माहौल इन रंगों को और भी जीवंत बना देता है, जिससे पूरी परिवार में एकता और आनंद का माहौल बनता है।
अंत में, Navratri का हर दिन सिर्फ रंग नहीं, बल्कि आत्मा को पुनर्जीवित करने का एक अवसर है। जब आप इन रंगों को अपनाते हैं, तो न केवल आप परम्परा का सम्मान करते हैं, बल्कि अपनी मनोदशा, स्वास्थ्य और सामाजिक संबंधों में भी सकारात्मक बदलाव महसूस करते हैं।