जब हम खेल देखते हैं तो अक्सर शारीरिक शक्ति की बात होते हैं, लेकिन दिव्यांग खिलाड़ी हमें बताते हैं कि मन की शक्ति कितनी बड़ी होती है। इनके पास भी वही जुनून, अभ्यास और मेहनत होती है, बस अलग चुनौतियां होती हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि ये खिलाड़ी कैसे शुरू करते हैं, किन कठिनाइयों का सामना करते हैं और सफलता पाने के लिए कौन‑से साधन अपनाते हैं।
सबसे पहले तो ये समझना जरूरी है कि फुटबॉल, तैराकी या एथलेटिक्स जैसे खेल में शामिल होने के लिए किसी को पूरी तरह फिट होना ज़रूरी नहीं। कई बार स्कूल या कम्युनिटी सेंटर में मिली प्रोग्राम्स के कारण ही किसी को मौका मिलता है। यहाँ कोच, फ़िजिकल थैरेपिस्ट और साथियों का समर्थन बहुत काम करता है। शुरुआती चरण में छोटी‑छोटी प्रैक्टिस से ताक़त बढ़ती है और आत्म‑विश्वास बनता है।
1. यथार्थ लक्ष्य सेट करें – बहुत बड़े लक्ष्य से डर लग सकता है, इसलिए छोटे‑छोटे लक्ष्य बनाओ और एक‑एक करके उन्हें हासिल करो। 2. सही उपकरण चुनें – चाहे व्हीलचेयर हो या प्रोस्टेटिक पैर, अपने खेल के हिसाब से उपयुक्त गियर लेना फायदेमंद रहता है। 3. नियमित ट्रेनिंग – हर दिन 30‑40 मिनट की कंडीशनिंग या टेक्निक शॉट बहुत असर देती है। 4. मन की देखभाल – तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन या छोटे‑छोटे ब्रेक मदद करते हैं। 5. समुदाय से जुड़ें – पैरालिम्पिक या राष्ट्रीय स्तर के क्लब में शामिल होकर आप अनुभव और मोटीवेशन दोनों पा सकते हैं।
इन टिप्स को अपनाकर कई दिव्यांग एथलीट ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर धूम मचाई है। उनका सफर हमें सिखाता है कि असली बाधा खुद के मन में रहती है, ना कि शारीरिक सीमा में।
अगर आप या आपका कोई जानकार नई शुरुआत करना चाहता है तो सबसे पहले स्थानीय खेल क्लब या डिसएबिलिटी वॉलंटियर्स से संपर्क करें। कई जगहों पर मुफ्त ट्रायल क्लासेस और फ्री कंसल्टेशन भी मिलते हैं। याद रखें, पहला कदम ही सबसे बड़ा बदलाव लाता है।
आगे बढ़ते हुए, कई खिलाड़ी सोशल मीडिया पर अपनी ट्रेनिंग रूटीन और डाइट शेयर करते हैं। इससे आपको सही फ़ूड प्लान और व्यायाम रूटीन का आइडिया मिल सकता है। साथ ही, विभिन्न स्कॉलरशिप और फंडिंग स्कीम भी उपलब्ध हैं, जो ट्रेनिंग खर्च कम करने में मदद करती हैं।
निचोड़ यह है कि दिव्यांग खिलाड़ी सिर्फ़ अपने शारीरिक हालात से नहीं, बल्कि खुद की दृढ़ इच्छा से जीतते हैं। उनकी कहानियां पढ़कर हमें भी अपने रोज़मर्रा की चुनौतियों से बेहतर तरीके से निपटना सीखना चाहिए। चाहे आप खिलाड़ी हों या नहीं, ये टिप्स आपके जीवन में ऊर्जा और सकारात्मक दिशा लाएंगे।
व्हीलचेयर बास्केटबॉल पैरालंपिक्स के सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से अनुसरण किए जाने वाले खेलों में से एक है। इस खेल की शुरुआत 1946 में अमेरिका में हुई थी, जिसे द्वितीय विश्व युद्ध के घायल सैनिकों के पुनर्वास के लिए डिज़ाइन किया गया था। आज, व्हीलचेयर बास्केटबॉल में 100 से अधिक देश भाग लेते हैं।
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