व्हीलचेयर बास्केटबॉल पैरालंपिक्स के सबसे रोमांचक और लोगों द्वारा पसंद किए जाने वाले खेलों में से एक है। इसकी शुरुआत 1946 में अमेरिका में हुई थी, जिसका उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के घायल सैनिकों का पुनर्वास करना और उन्हें मानसिक तनाव से राहत दिलाना था। यह खेल उन सैनिकों के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बना जिन्होंने युद्ध में अपने शरीर का हिस्सा खो दिया था लेकिन खेल के प्रति अपनी जुनून नहीं खोया था।
1945 में पहली बार व्हीलचेयर बास्केटबॉल का खेल दो अस्पतालों के बीच खेला गया था। उन दिनों में, घायल सैनिक अपनी चोटियों का इलाज कराने के दौरान बास्केटबॉल खेलते थे ताकि वे मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रह सकें। इसका उद्देश्य था ना केवल उन्हें सदमे से बाहर निकालना, बल्कि उनके जीवन में नयी ऊर्जा भरना।
1950 के दशक में इस खेल ने अधिक लोकप्रियता हासिल की और धीरे-धीरे इसे विभिन्न समुदायों में भी अपनाया गया। सैन्य अस्पतालों से यह खेल नागरिक अस्पतालों और पुनर्वास केंद्रों तक पहुँचा। इसका इतना अधिक प्रभाव हुआ कि इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता मिलने लगी।
1960 में रोम में आयोजित पैरालंपिक खेलों में पहली बार व्हीलचेयर बास्केटबॉल को शामिल किया गया। इन खेलों में अमेरिकी टीम ने दो स्वर्ण पदक जीते और इस खेल ने अपनी अलग पहचान बनाई। इसके बाद यह खेल हर पैरालंपिक में शामिल हुआ और इसकी लोकप्रियता में निरंतर वृद्धि होती गई।
इंटरनेशनल व्हीलचेयर बास्केटबॉल फेडरेशन (आईडब्ल्यूबीएफ) इस खेल की निगरानी करता है। आईडब्ल्यूबीएफ की स्थापना ने इस खेल को अंतर्राष्ट्रीय मान्यता दिलाने में अहम भूमिका निभाई। फेडरेशन विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है और खेल की नियमावली को साकार करता है ताकि सभी खिलाड़ियों को समान अवसर मिल सके।
व्हीलचेयर बास्केटबॉल के नियम पारंपरिक बास्केटबॉल से कुछ भिन्न होते हैं। खिलाड़ियों के व्हीलचेयर की गति, दिशा, और नियंत्रण के अनुसार नियम बनाए गए हैं। खिलाड़ी व्हीलचेयर पर बैठे हुए खेलते हैं लेकिन इसकी तकनीक और मानसिकता बिल्कुल उसी तरह होती है जैसे सामान्य बास्केटबॉल खेलों में होती है।
पेरिस पैरालंपिक 2024 में भी व्हीलचेयर बास्केटबॉल एक प्रमुख आकर्षण होगा। इसमें फ्रांस, अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन और अन्य देशों की टीमें भाग लेंगी। इस समय व्हीलचेयर बास्केटबॉल 100 से अधिक देशों में खेला जाता है और इसकी दर्शक संख्या में भी बारंबार वृद्धि हो रही है।
व्हीलचेयर बास्केटबॉल के खिलाड़ियों की कहानियाँ बेहद प्रेरणादायक होती हैं। ये खिलाड़ी अपनी शारीरिक चुनौतियों को पार करके हमें यह सिखाते हैं कि किसी भी कठिनाई में हार मानना कोई विकल्प नहीं होता। उनसे हमें यह भी समझ में आता है कि यदि किसी काम को करने की इच्छा प्रबल हो तो किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है।
व्हीलचेयर बास्केटबॉल की लोकप्रियता को देखते हुए कहा जा सकता है कि आने वाले समय में यह खेल और भी बड़े स्तर पर खेला जाएगा। इसके लिए और अधिक संसाधन जुटाए जा रहे हैं और नई तकनीकों का भी सम्मिलित किया जा रहा है ताकि खिलाड़ियों को और बेहतर अनुभव मिल सके।
अंत में, व्हीलचेयर बास्केटबॉल न केवल एक खेल है, बल्कि यह खिलाड़ियों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इसे देखकर हर व्यक्ति को आत्मशक्ति और साहस का अंदाजा होता है। पेरिस पैरालंपिक 2024 में इस खेल को देखने के लिए लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और यह निश्चित है कि यह खेल हमें फिर से प्रेरित करेगा और रोमांचित करेगा।