महाराष्ट्र चुनाव: भ्रष्टाचार के आरोप और राजनीतिक मैदान में नई उठापटक
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घड़ी नज़दीक आते ही राजनीतिक पारा गर्म हो गया है। इस बार चर्चा का केंद्र बने हैं भाजपा नेता और पूर्व मंत्री विनोद तावड़े। उनके खिलाफ पालघर जिले में चुनाव से पहले वोटरों को नकद पैसा बांटने के आरोप लगे हैं। ये आरोप बहुजन विकास आघाड़ी के नेता हितेंद्र ठाकुर ने लगाए हैं। ठाकुर ने दावा किया कि तावड़े तथा उनके साथियों पर 5 करोड़ रुपये नकद रूप में वितरित करने का आरोप है। इसका मकसद स्थानीय लोगों को वोट के लिए प्रभावित करना था। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के राजनीतिक परिदृश्य में विवाद गहरा गया है।
राजनीतिक विरोधियों की प्रतिक्रिया
भाजपा पर विपक्ष के हमले तीव्र हो चले हैं। कांग्रेस और शिवसेना जैसी पार्टियाँ भी इस मुद्दे पर अपना क्रामודי नज़र बना रही हैं। कांग्रेस ने इस मामले में भाजपा पर पैसे के बल पर चुनाव जीतने की कोशिश करने का आरोप लगाया है और चुनाव आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे ने भी प्रमाणों के आधार पर कार्रवाई की बात कही है। असदुद्दीन ओवैसी ने भाजपा पर करार प्रहार करते हुए सवाल किया है कि क्या यह 'वोट जिहाद या धर्म युद्ध' है।
भाजपा का पक्ष और पुलिस केस
वहीं भाजपा ने इस पूरे मामले को राजनीतिक स्टंट करार दिया है। तावड़े ने अपने ऊपर लगे आरोपों को 'आधारहीन' बताते हुए चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने सीसीटीवी फुटेज की गहन जांच की अपील भी की है। पुलिस ने तावड़े और अन्य लोगों के खिलाफ आचार संहिता के उल्लंघन और वोटरों को नकद और शराब का लालच देने का मामला दर्ज किया है। तवलींज पुलिस स्टेशन में इस मामले की गहराई से जांच की जा रही है।
मामले का असर और चुनाव आयोग का कदम
इस घटनाक्रम के बाद राज्य भर में हलचल मच गई है। चुनाव आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए महाराष्ट्र पुलिस से शिकायत की है। पुलिस ने फौरन प्रतिक्रिया देते हुए मामले की गहराई से जांच शुरू कर दी है। हालात की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने घटना स्थल के सीसीटीवी फुटेज की जांच करने का भी आदेश दे दिया है। चुनाव आयोग का यह कदम चुनावी अखाड़े में पारदर्शिता बनी रखने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम कहा जाता है।
विरोधियों की रणनीति
इस मसले पर भाजपा के विरोधी दलों की रणनीति साफ है। कांग्रेस, शिवसेना जैसे दल इस मौके को पूरी तरह भुनाने की कोशिश में हैं। वे इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की सुर्खियों में लाकर भाजपा को बैकफुट पर लाना चाहते हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता ने इस मुद्दे पर न सिर्फ भाजपा पर बल्कि चुनाव आयोग पर भी प्रश्नचिन्ह लगाया है, उनकी सवालिया निगाह है कि क्या आयोग निष्पक्षता से न्याय करेगा।
निष्पक्षता का सवाल
इस तुरुप के पत्ते के खेल में दोनों ओर से टिपण्णियाँ और कटाक्षों की बारिश हो रही है, लेकिन असल सवाल यह है कि क्या चुनाव समय पर निष्पक्षता बरकरार रहेगी। न्यायपालिका और चुनाव आयोग के निर्णय इस बात का निर्धारण करेंगे कि इस मुद्दे पर आगे क्या होगा। राजनीतिक गलियारों में गहराई पर नजर रखने वालों के मुताबिक यह मामला विधानसभा चुनावों से पहले सत्ता में आसीन सरकार के लिए न केवल समस्या खड़ी कर सकता है, बल्कि इसकी गूंज लंबे समय तक सुनी जा सकती है।
Ravi Kumar
नवंबर 21, 2024 AT 16:13rashmi kothalikar
नवंबर 22, 2024 AT 09:58vinoba prinson
नवंबर 22, 2024 AT 15:30Shailendra Thakur
नवंबर 24, 2024 AT 10:00Muneendra Sharma
नवंबर 25, 2024 AT 12:33