भारत-चीन सीमा समझौता: पूर्वी लद्दाख में स्थिति की बहाली पर सहमति

22 अक्तूबर 2024
भारत-चीन सीमा समझौता: पूर्वी लद्दाख में स्थिति की बहाली पर सहमति

भारत-चीन सीमा पर तनाव की पृष्ठभूमि

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है, जिसमें समय-समय पर तनातनी बढ़ती रही है। 2020 में, पूर्वी लद्दाख में स्थिति उस समय गंभीर हो गई जब चीनी सेना ने एलएसी के नजदीक कई स्थानों पर घुसपैठ कर ली। इसके कारण भारत और चीन की सेनाओं के बीच कई बार टकराव हुए और स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। इस मुद्दे का समाधान दोनों ही देशों के लिए अनिवार्य था क्योंकि इससे सिर्फ सीमाई असुरक्षा बढ़ रही थी, बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर भी असर पड़ रहा था।

समझौते की दिशा में उठाए गए कदम

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर कई दौर की वार्ताएं हुईं। आरम्भिक दौर में राजनयिक स्तर पर बातचीत की गई लेकिन तभी से इस विषय पर उच्च स्तरीय वार्ता की आवश्यकता महसूस हुई। विदेश सचिव विक्रम मिसरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। इन प्रयासों का परिणाम भविष्य की वार्ताओं और दोनों देशों के सैन्य संबंधियों के प्रयासों से उच्चतम स्तर का समाधान निकला।

समझौते की मुख्य विशेषताएं

इस समझौते के तहत दोनों देशों ने सहमति जताई कि सीमापार से होने वाली गतिवधियों को समाप्त किया जाएगा, जोकि सीमाओं की सुरक्षा बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त, पुराने पेट्रोलिंग के नियमों के अनुसार सेना की तैनाती होगी। इस कार्यवाही से सीमाई तनाव में कमी आएगी और 2020 के पहले की स्थिति को बहाल किया जाएगा। इसके अलावा समझौते में यह भी तय किया गया कि भविष्य में किसी भी तरह की अनैतिक गतिविधि की स्थिति में भी वार्ता के जरिए समाधान की कोशिश की जाएगी।

चीन की प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावनाएं

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने समझौते की सराहना की और कहा कि चीन इस बात का सम्मान करता है। उन्होंने यह भी माना कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को पुनर्स्थापित किया जा सकेगा। समझौते पर सहमति बनने के बाद अब दोनों ही देशों के लिए केंद्र बिन्दु यह है कि इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाए। इसके साथ ही, संभावना जताई जा रही है कि आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस विषय पर विस्तृत चर्चा होगी।

समझौते के प्रभाव और चुनौतियाँ

यह समझौता केवल सैन्य ही नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे दोनों देशों के औद्योगिक और आर्थिक संबंधों में सुधार की संभावनाएं बढ़ी हैं। हालांकि, इसे सीमाई क्षेत्रों में वास्तविक तौर पर लागू करना निश्चय ही कई चुनौतियों का सामना करेगा। दोनों देशों के सैनिकों की पेट्रोलिंग गतिविधियों को सही प्रकार से संचालित करने की आवश्यकता होगी ताकि सीमाई क्षेत्रों में शांति स्थापित रहे।

इस समझौते से पहले हुए घटनाओं को देखते हुए, विश्लेषकों का मानना है कि भारत और चीन के बीच आगे भी इसी तरह की बातचीत और सुनिश्चित रिश्ते बनाए रखने की दिशा में कदम उठाने होंगे, जिससे कि दोनों देशों के बीच सच्चे अर्थों में सहकारिता और मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित हो सके।