भारत और चीन के बीच सीमा विवाद लंबे समय से चला आ रहा है, जिसमें समय-समय पर तनातनी बढ़ती रही है। 2020 में, पूर्वी लद्दाख में स्थिति उस समय गंभीर हो गई जब चीनी सेना ने एलएसी के नजदीक कई स्थानों पर घुसपैठ कर ली। इसके कारण भारत और चीन की सेनाओं के बीच कई बार टकराव हुए और स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। इस मुद्दे का समाधान दोनों ही देशों के लिए अनिवार्य था क्योंकि इससे सिर्फ सीमाई असुरक्षा बढ़ रही थी, बल्कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों पर भी असर पड़ रहा था।
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर कई दौर की वार्ताएं हुईं। आरम्भिक दौर में राजनयिक स्तर पर बातचीत की गई लेकिन तभी से इस विषय पर उच्च स्तरीय वार्ता की आवश्यकता महसूस हुई। विदेश सचिव विक्रम मिसरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए। इन प्रयासों का परिणाम भविष्य की वार्ताओं और दोनों देशों के सैन्य संबंधियों के प्रयासों से उच्चतम स्तर का समाधान निकला।
इस समझौते के तहत दोनों देशों ने सहमति जताई कि सीमापार से होने वाली गतिवधियों को समाप्त किया जाएगा, जोकि सीमाओं की सुरक्षा बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त, पुराने पेट्रोलिंग के नियमों के अनुसार सेना की तैनाती होगी। इस कार्यवाही से सीमाई तनाव में कमी आएगी और 2020 के पहले की स्थिति को बहाल किया जाएगा। इसके अलावा समझौते में यह भी तय किया गया कि भविष्य में किसी भी तरह की अनैतिक गतिविधि की स्थिति में भी वार्ता के जरिए समाधान की कोशिश की जाएगी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने समझौते की सराहना की और कहा कि चीन इस बात का सम्मान करता है। उन्होंने यह भी माना कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को पुनर्स्थापित किया जा सकेगा। समझौते पर सहमति बनने के बाद अब दोनों ही देशों के लिए केंद्र बिन्दु यह है कि इसे सफलतापूर्वक लागू किया जाए। इसके साथ ही, संभावना जताई जा रही है कि आगामी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस विषय पर विस्तृत चर्चा होगी।
यह समझौता केवल सैन्य ही नहीं बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी अहम माना जा रहा है क्योंकि इससे दोनों देशों के औद्योगिक और आर्थिक संबंधों में सुधार की संभावनाएं बढ़ी हैं। हालांकि, इसे सीमाई क्षेत्रों में वास्तविक तौर पर लागू करना निश्चय ही कई चुनौतियों का सामना करेगा। दोनों देशों के सैनिकों की पेट्रोलिंग गतिविधियों को सही प्रकार से संचालित करने की आवश्यकता होगी ताकि सीमाई क्षेत्रों में शांति स्थापित रहे।
इस समझौते से पहले हुए घटनाओं को देखते हुए, विश्लेषकों का मानना है कि भारत और चीन के बीच आगे भी इसी तरह की बातचीत और सुनिश्चित रिश्ते बनाए रखने की दिशा में कदम उठाने होंगे, जिससे कि दोनों देशों के बीच सच्चे अर्थों में सहकारिता और मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित हो सके।
Nirmal Kumar
अक्तूबर 22, 2024 AT 21:28ये समझौता असल में बड़ी बात है। लद्दाख में जो तनाव था, वो कई सालों से बरकरार था। अब जब दोनों तरफ से वापसी का फैसला हुआ है, तो उम्मीद है कि अब सीमा पर शांति बनी रहेगी। ये न सिर्फ सैन्य बल्कि आर्थिक रूप से भी फायदेमंद होगा।
Hitender Tanwar
अक्तूबर 23, 2024 AT 06:37बस बातचीत से कुछ नहीं होता। चीन ने पहले भी कई बार वादे किए थे और फिर घुसपैठ कर दी। ये समझौता कागज पर तो अच्छा लग रहा है, लेकिन असल में क्या होगा, ये तो देखना होगा।
Sharmila Majumdar
अक्तूबर 25, 2024 AT 00:58आप सब भूल रहे हो कि ये समझौता बिल्कुल नया नहीं है। 2013 में भी ऐसा ही कुछ हुआ था, और फिर चीन ने एलएसी के नजदीक नए बुनियादी ढांचे बना दिए। इस बार भी वही चलेगा। देश को आँखें खोलकर देखना चाहिए।
amrit arora
अक्तूबर 26, 2024 AT 16:45इस समझौते को बस एक तात्कालिक विराम समझना गलत होगा। ये एक नए तरीके की शुरुआत है - जहाँ दो विशाल शक्तियाँ अपने अहंकार को थोड़ा नीचे रखकर सामान्य वास्तविकता की ओर बढ़ रही हैं। ये अपने आप में एक दर्शन है: शक्ति का उपयोग नहीं, बल्कि समझौते का उपयोग। अगर इसे लगातार बढ़ाया जाए, तो एशिया के लिए एक नया आधार बन सकता है।
Ambica Sharma
अक्तूबर 26, 2024 AT 21:49मैं तो बस रो रही हूँ। इतने सालों बाद अंत में शांति आ रही है। बस ये चाहिए था। बच्चों के लिए एक शांत भविष्य चाहिए। धन्यवाद दोनों देशों को।
pritish jain
अक्तूबर 28, 2024 AT 03:452020 के बाद से जो तनाव था, उसके बाद ये पहली बार है जब दोनों तरफ से समान रूप से वापसी का फैसला हुआ है। ये वास्तविक दूरी कम करने की ओर एक कदम है। अगर ये लागू हो गया, तो अगला कदम व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान होना चाहिए।
Gowtham Smith
अक्तूबर 29, 2024 AT 07:31इस समझौते का एकमात्र उद्देश्य भारत को निर्बल बनाना है। चीन ने अभी तक 800+ पोस्ट बनाए हुए हैं जो एलएसी के अंदर आते हैं। ये समझौता बस एक नियमित घुसपैठ के लिए लीस देने का नाम है। अगर आपको लगता है कि ये शांति है, तो आपको अपनी आँखें खोलनी चाहिए।
Shivateja Telukuntla
अक्तूबर 29, 2024 AT 23:33मैंने अभी तक जो भी विश्लेषण पढ़े, उनमें से ज्यादातर बहुत भावुक या आक्रामक थे। लेकिन अगर हम देखें कि दोनों तरफ के सैन्य नेता एक साथ बैठकर बातचीत कर रहे हैं, तो ये एक अच्छा संकेत है। अब बस इंतजार करना है कि ये लागू होता है या नहीं।
Ravi Kumar
अक्तूबर 30, 2024 AT 20:09भाई, ये समझौता तो बस एक अच्छी खबर है! लेकिन ये बात नहीं कि हम चीन को भरोसा कर लें। हमारी सेना को अपनी जगह पर बने रहना चाहिए। लेकिन ये बातचीत का मौका है - अब देश को इसे गले लगाना चाहिए। जब तक हम शांति के लिए कोशिश कर रहे हैं, तब तक इसे खराब नहीं करना चाहिए।
rashmi kothalikar
अक्तूबर 31, 2024 AT 21:58क्या आप जानते हैं कि चीन ने लद्दाख में एक नया रेलवे ट्रैक बनाया है? और अब ये समझौता? ये सिर्फ एक धोखा है। हमारी सेना ने बहुत कुछ दिया, और अब ये बातचीत करके भी जीत नहीं पाएगी। ये समझौता अपराध है।
vinoba prinson
नवंबर 1, 2024 AT 01:06अगर आप राजनीतिक विश्लेषण के लिए एक उच्च स्तरीय सिद्धांत चाहते हैं, तो ये समझौता एक निर्माणात्मक अंतर्राष्ट्रीय सामाजिक अनुबंध का उदाहरण है, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ व्यापारिक स्थिरता के लिए एक नए नियमावली का निर्माण हो रहा है। इसका अर्थ है कि विश्व व्यवस्था में एक गहरा स्थानांतरण हो रहा है।
Shailendra Thakur
नवंबर 1, 2024 AT 23:37ये बहुत अच्छी खबर है। अब बस इंतजार करना है कि दोनों तरफ से इसे सही तरीके से लागू किया जाए। अगर ये लागू हो गया, तो लद्दाख के लोगों को फिर से अपनी जमीन पर आजादी मिलेगी। ये एक छोटा कदम है, लेकिन बहुत बड़ा।
Muneendra Sharma
नवंबर 2, 2024 AT 21:18मैं इस समझौते को बहुत अच्छा समझ रहा हूँ। लेकिन एक बात जो मुझे उलझा रही है - अगर चीन फिर से घुसपैठ कर दे, तो हम क्या करेंगे? क्या इस समझौते में कोई दंड या नियंत्रण तंत्र है? ये जानना जरूरी है।
Anand Itagi
नवंबर 4, 2024 AT 10:06अच्छा हुआ इस समझौते का अब बस देखना है कि वास्तविकता में क्या होता है। लेकिन ये तो एक शुरुआत है। अगर दोनों तरफ ईमानदारी से काम करेंगे तो ये लंबे समय तक चल सकता है। बस आशा करता हूँ।
Sumeet M.
नवंबर 4, 2024 AT 22:27ये समझौता? ये तो बस एक बहाना है! चीन ने अभी तक 12,000+ ट्रैक्टर्स, 800+ टैंक, 15+ नए बुनियादी ढांचे, और 500+ सैनिक बेस बनाए हुए हैं! और अब ये बातचीत? ये तो बस एक भ्रम है! भारत को अपनी सीमा को तुरंत दुरुस्त करना चाहिए, न कि चीन के साथ बातचीत करना! ये समझौता एक आत्महत्या है!