भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया दूसरा टेस्ट: चेतेश्वर पुजारा की बल्लेबाजी पर चेतावनी

7 दिसंबर 2024
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया दूसरा टेस्ट: चेतेश्वर पुजारा की बल्लेबाजी पर चेतावनी

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया: बैटिंग संघर्ष और पुजारा की प्रतिक्रिया

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में दूसरे टेस्ट के पहले दिन भारतीय क्रिकेट टीम ने बल्लेबाजी के दौरान अपनी उम्मीदों को निराश किया जब टीम महज 180 रनों पर सिमट गई। इस मुकाबले की शुरुआत से ही भारतीय बल्लेबाजों को ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने असहजता का सामना करना पड़ा। चेतेश्वर पुजारा, जो भारतीय टेस्ट टीम के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं, ने अपनी आलोचना के दौरान इस बल्लेबाजी प्रदर्शन को निराशाजनक बताया।

ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों की श्रेष्ठता

ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों में विशेषतौर पर उनकी लंबाई को बदलने की क्षमता को सराहा जा रहा है। उन्होंने न केवल गेंद को सही स्थानों पर डाला बल्कि अपनी मिश्रित रणनीतियों के जरिए भारतीय बल्लेबाजों को एक के बाद एक चुनौतियों में डाला। पिच से मदद ना मिलने के बावजूद उन्होंने अपने ताकत और तकनीक से भारतीय बल्लेबाजों को परेशान किया। इस संदर्भ में पुजारा ने उनकी सराहना की और यह भी कहा कि जब गेंद पिच पर काम नहीं कर रही थी तब भी उन्होंने उसके सही स्थान पर डाली।

भारतीय बल्लेबाजी की कमजोरी

पुजारा ने इस बात को स्पष्ट किया कि भारतीय गेंदबाज भी जब वही प्रभावशाली लंबाई पाने का प्रयास कर रहे थे, तो उन्हें उतनी सफलता नहीं मिली। इसका कारण, भारतीय बल्लेबाज, विशेषकर केएल राहुल और विराट कोहली की आसान आउट हो जाने की प्रकृति था। दोनों बल्लेबाज जिस लेंथ से आउट हुए, वह उनके लिए विशेष समस्याएं बनी। इसी दौरान यशस्वी जायसवाल ने पहले ही गेंद पर गोल्डन डक का सामना किया और टीम के अन्य प्रमुख खिलाड़ी जैसे विराट कोहली और रोहित शर्मा भी सिंगल-डिजिट ईनिंग्स पर ही आउट हो गए।

साझेदारी के महत्व पर जोर

पुजारा ने जोर देते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी आक्रमण का मुकाबला करने के लिए भारतीय बल्लेबाजों को साझेदारियों पर ध्यान देना होगा। लेकिन, पहले दिन की बल्लेबाजी में भारत इस मुद्दे पर असमर्थ रहा। भारतीय टीम विकेटों के लगातार गिरने से बैकफुट पर खड़ी हो गई, जिससे उन्हें खेल पर पकड़ बनाने में मुश्किल हुई। खासकर रोहित शर्मा, जिन्होंने खुद को मध्य क्रम में धकेलने का जोखिम उठाया, ताकि केएल राहुल ओपन कर सकें, और केएल ने 64 गेंदों में 37 रन बनाकर थोड़ी बहुत राहत दी।

पिंक बॉल मैच में, जिसे अक्सर अपनी अद्वितीय स्थिति की वजह से अनोखा माना जाता है, पुजारा ने उल्लेख किया कि भारत को बैक ऑफ लेंथ गेंदों के प्रति अधिक अनुकूलनशीलता दिखानी होगी। इस प्रकार का ध्यान और सुधार टीम के लिए भविष्य में बेहतर प्रदर्शन के अवसर खोल सकता है।

भारतीय क्रिकेट के लिए आगे का मार्ग

यह बहुत महत्वपूर्ण होगा कि भारतीय टीम अपनी गलतियों से सीखती है और आगे आने वाले मैचों में अपने प्रदर्शन को सुधारती है। एडिलेड की पिच पर पहले दिन की निराशाजनक ईनिंग्स के बावजूद, भारतीय टीम के पास संघर्ष करने की और वापसी करने की क्षमता है। टेस्ट श्रंखला में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए, टीम को विशेषकर बैटिंग में अधिक रणनीतिक निर्णय लेने होंगे और अपने ग्राहकों की तरह बढ़िया प्रदर्शन करना होगा। इतनी कठिनाइयों के बावजूद, क्रिकेट के खेल में अवसर हमेशा मौजूद रहता है और यह टीम द्वारा किए गए प्रयासों और रणनीतियों पर निर्भर करता है कि वे इन अवसरों का कैसे उपयोग करते हैं।

15 टिप्पणि

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    ASHOK BANJARA

    दिसंबर 8, 2024 AT 20:46

    इस मैच में हमारी बल्लेबाजी की समस्या सिर्फ बल्लेबाजों की नहीं, बल्कि हमारी टेस्ट क्रिकेट की सोच की है। हम अभी भी ओपनिंग के बाद बल्लेबाजी को एक अकेले योद्धा का काम समझते हैं। ऑस्ट्रेलिया के पास एक सिस्टम है - हर बल्लेबाज जानता है कि उसका रोल क्या है। हमारे पास तो अभी तक एक भी बैटिंग प्लान नहीं है, बस एक बड़ा नाम और एक बड़ी उम्मीद।

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    Sahil Kapila

    दिसंबर 9, 2024 AT 04:57

    पुजारा जैसे खिलाड़ी को आलोचना करना बिल्कुल बेकार है वो तो अपने दिमाग से खेलता है और हम बस उसके रन देखकर अपनी नाक मुड़ाते हैं जब वो 50 रन बनाता है तो बोलते हैं धीमा है जब 150 बनाता है तो बोलते हैं ये तो पुराने जमाने का खिलाड़ी है ये लोग अपनी बात बदलते रहते हैं

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    Rajveer Singh

    दिसंबर 9, 2024 AT 08:23

    ऑस्ट्रेलिया को देखकर लगता है कि हमारी टीम अभी भी स्कूल के बच्चे हैं। उनके पास जुनून है, हमारे पास डर है। हमारे बल्लेबाज गेंद देखकर डर जाते हैं, वो बाहर निकलते हैं तो फिर उनकी आंखें देखकर ये लगता है कि वो खेलने नहीं बल्कि बचने आए हैं। ये नहीं होगा तो भारत क्रिकेट का भविष्य नहीं बनेगा।

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    Ankit Meshram

    दिसंबर 9, 2024 AT 22:05

    हम अभी भी बैटिंग के बारे में सोच रहे हैं। बस थोड़ा सही तरीका अपनाएं और सब ठीक हो जाएगा।

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    Shaik Rafi

    दिसंबर 10, 2024 AT 00:57

    एक बात समझ लो - जब एक खिलाड़ी बल्ला घुमाता है, तो उसके पीछे एक अनुभव होता है। पुजारा जैसे खिलाड़ी की बल्लेबाजी में वो दर्द है जो हम नहीं देख पाते। वो नहीं खेल रहा है कि वो रन बनाए - वो खेल रहा है कि वो टीम को बचाए। हम उसके रन देखकर नहीं, उसके दृढ़ता को देखकर उसकी कीमत समझनी चाहिए।

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    Ashmeet Kaur

    दिसंबर 10, 2024 AT 01:52

    हमारे बल्लेबाजों को ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के खिलाफ अपने शॉट्स को बदलने की जरूरत है। वो लंबी लेंथ वाली गेंदों के खिलाफ ज्यादा एडजस्टमेंट करें। और हां, बैकफुट पर जाने की जगह फ्रंटफुट पर जाने की कोशिश करें। ये छोटी बातें बड़े अंतर ला सकती हैं।

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    Nirmal Kumar

    दिसंबर 11, 2024 AT 22:40

    एक बात साफ है - ये टीम अभी तक टेस्ट क्रिकेट की भाषा नहीं बोल पाई। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एक टेस्ट मैच खेलना है तो उसके नियम बदलने चाहिए। ये जो बल्लेबाजी हुई, वो कोई टेस्ट बल्लेबाजी नहीं थी - ये तो एक ट्रेनिंग सेशन था जिसमें कोई नियम नहीं था।

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    Sharmila Majumdar

    दिसंबर 12, 2024 AT 02:22

    क्या आपने देखा कि रोहित शर्मा ने ओपनिंग के लिए अपनी जगह छोड़ दी? वो तो अपने अनुभव के बावजूद बहुत बड़ा गलत फैसला कर रहे हैं। वो तो नंबर 3 पर बैठे होते तो बेहतर रहता। ये बात तो बहुत सालों से बताई जा रही है, लेकिन कोई सुनता नहीं।

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    amrit arora

    दिसंबर 13, 2024 AT 23:13

    हम अक्सर इस बात पर ध्यान नहीं देते कि क्रिकेट एक ऐसा खेल है जहां आपको अपने अंदर के डर को भी खेलना पड़ता है। पुजारा जैसे खिलाड़ी तो इस डर को जीतने की कोशिश कर रहे हैं - वो नहीं खेल रहे कि उन्हें रन बनाने हैं, वो खेल रहे हैं कि उनकी टीम बचे। लेकिन हम उनकी इस भावना को समझने के बजाय उनके रनों की संख्या पर निर्णय लेते हैं। ये एक असंगति है।

    हमारी टीम में एक बड़ी खामी ये है कि हम अपने खिलाड़ियों को एक रोल देते हैं, लेकिन उन्हें उस रोल के लिए तैयार नहीं करते। विराट कोहली को ओपनर बनाया गया, लेकिन उसकी तकनीक ओपनिंग के लिए नहीं बनी। ये जैसे किसी को एक बाइक दे दो और कहो इसे एयरप्लेन चलाओ।

    हमें ये समझना होगा कि बल्लेबाजी एक बात नहीं, एक प्रक्रिया है। एक गेंद देखकर फैसला नहीं लिया जा सकता। हर बल्लेबाज को अपने शॉट्स के लिए एक अलग दिमाग चाहिए। और उस दिमाग को बनाने के लिए तैयारी चाहिए - न कि बस ट्रायल और एरर।

    हम अभी भी इस बात को नहीं समझ पा रहे कि टेस्ट क्रिकेट में जीतने के लिए आपको एक दिन की बल्लेबाजी नहीं, एक श्रृंखला की बल्लेबाजी चाहिए। एक बल्लेबाज जो 50 रन बनाता है, वो टीम के लिए एक बड़ा योगदान है। और अगर वो 50 रन बनाकर भी आउट हो जाता है, तो उसका योगदान उतना ही महत्वपूर्ण है।

    हमें अपनी टीम के लिए एक नया दृष्टिकोण चाहिए - न कि बस रनों का आंकड़ा देखकर उन्हें बुरा बोलना।

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    Ambica Sharma

    दिसंबर 14, 2024 AT 07:46

    मुझे लगता है ये सब बहुत दर्दनाक है... मैं रो रही हूं। क्या हम इतने नीचे आ गए हैं? क्या हमारे बच्चे अब भी क्रिकेट खेलेंगे? मैं इतना निराश हूं कि आज रात मैं नींद नहीं आएगी।

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    Hitender Tanwar

    दिसंबर 16, 2024 AT 03:20

    पुजारा ने जो कहा वो सब ठीक है, लेकिन अब बात ये है कि उसकी बल्लेबाजी भी काम नहीं कर रही। अब वो भी बस रन बनाने के लिए नहीं आए हैं, बल्कि वक्त बर्बाद करने के लिए।

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    pritish jain

    दिसंबर 17, 2024 AT 19:58

    बल्लेबाजी के अंदर एक रणनीति होती है जो गेंद की लंबाई और पिच की स्थिति पर निर्भर करती है। भारतीय बल्लेबाजों को ये समझना होगा कि पिंक बॉल का व्यवहार लाल बॉल से अलग होता है। वो जल्दी चमकता है, और गेंदबाज उसे बैक ऑफ लेंथ पर डालते हैं। इसलिए फ्रंटफुट डिफेंस और लेट डिफेंस दोनों की जरूरत है।

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    Gowtham Smith

    दिसंबर 18, 2024 AT 19:09

    ये बल्लेबाजी एक फेल्योर है। हमारे बल्लेबाजों की टेक्निक फेल हो चुकी है। वो गेंद को बाहर नहीं निकाल पा रहे, वो बस बैक ऑफ लेंथ को डिफेंड करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन उनकी बॉडी लैंग्वेज और फुटवर्क उसके लिए अपर्याप्त है। ये एक सिस्टमिक फेल्योर है - न कि एक बार का असफलता।

    हमारे कोचिंग सिस्टम ने बल्लेबाजों को एक रूटिन दिया है - जो ओपनिंग बल्लेबाज के लिए बना है - लेकिन उसे नंबर 3 पर लगा दिया। ये जैसे किसी को एक बैग दे दो और कहो इसे एक ट्रक बना दो।

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    Shivateja Telukuntla

    दिसंबर 20, 2024 AT 08:06

    मैंने इस मैच को देखा। ऑस्ट्रेलिया ने बहुत अच्छा खेला। लेकिन हमारी टीम भी अभी बाहर नहीं निकली है। एक दिन की बल्लेबाजी टेस्ट क्रिकेट का अंत नहीं होती। अगले दिन देखते हैं।

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    Ravi Kumar

    दिसंबर 21, 2024 AT 09:02

    ये बल्लेबाजी नहीं थी - ये तो एक बार की निराशा का नाटक था। लेकिन जब तक ये टीम अपने अंदर के डर को नहीं जीतेगी, तब तक ये नाटक दोहराएगा। अब बात ये है कि क्या ये टीम बदलने के लिए तैयार है - या फिर ये नाटक अभी भी चलता रहेगा?

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