उपचुनाव 2025: यूपी के मिल्कीपुर में बीजेपी की जीत, तमिलनाडु के इरोड (ईस्ट) में डीएमके आगे

8 फ़रवरी 2025
उपचुनाव 2025: यूपी के मिल्कीपुर में बीजेपी की जीत, तमिलनाडु के इरोड (ईस्ट) में डीएमके आगे

मिल्कीपुर में बीजेपी का परचम

उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा में हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी स्थिति मज़बूत करते हुए जीत हासिल की है। पार्टी के उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान ने समाजवादी पार्टी के अजित प्रसाद को 3,995 वोटों से पटखनी दी। यह उपचुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा नेता अवधेश प्रसाद के फैसाबाद सीट से जीतकर दिए गए इस्तीफे के बाद हुए थे। चुनावी मुकाबला बहुत ही टकरावपूर्ण रहा, जहां समाजवादी पार्टी ने प्रशासनिक अधिकारियों पर चुनाव में पक्षपात एवं मतदान प्रक्रिया में धांधली के आरोप लगाए थे।

मिल्कीपुर में बीजेपी की यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि पार्टी को 2024 में फैजाबाद की लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। यह जीत उनके लिए अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन के बाद क्षेत्रीय समर्थन को पुनः प्राप्त करने की रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।

इरोड (ईस्ट) में डीएमके की पकड़

इसी दिन तमिलनाडु के इरोड (ईस्ट) में भी उपचुनाव हुए, जहां डीएमके के वीसी चंद्रकुमार ने नाम तमिझर काची के एमके सीथालक्ष्मी पर बढ़त बनाए रखी है। मतदान में पिछली बार की तुलना में कमी देखने को मिली, जिसके पीछे ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) द्वारा बहिष्कार भी एक कारण बताया जा रहा है।

दोनों सीटों पर भारी संख्या में वोटर शिरकत हुई। मिल्कीपुर में मतदान 65% और इरोड (ईस्ट) में 64% दर्ज हुआ। इन परिणामों से स्पष्ट है कि डीएमके तमिलनाडु में अपनी राजनीतिक पकड़ को मजबूत बनाए रखना चाहती है।

इन चुनाव परिणामों ने जहां राजनीति के दांव-पेच को और जटिल बनाया है, वहीं आने वाले दिनों में होने वाले चुनावों के लिए यह एक नई दिशा भी तय कर सकता है।

13 टिप्पणि

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    Muneendra Sharma

    फ़रवरी 9, 2025 AT 11:07
    मिल्कीपुर में बीजेपी की जीत असल में लोगों के विश्वास की जीत है 😊 अब तो ये बात साफ हो गई कि अयोध्या के बाद भी लोग राष्ट्रीय नारे के साथ जुड़ रहे हैं।
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    Anand Itagi

    फ़रवरी 10, 2025 AT 06:34
    इरोड में डीएमके की जीत तो बस एक फॉर्मूला है अपने लोगों को अपने पास रखने का और बाकी सब बस धुंध है
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    Sumeet M.

    फ़रवरी 12, 2025 AT 02:49
    सपा के ये आरोप बस चुनाव हारने का बहाना है!!! अगर धांधली होती तो ईसीआई कहां रह गया??? बीजेपी की जीत लोगों के दिलों की जीत है और ये सब झूठे आरोप बस डर के नाम पर चल रहे हैं!!!
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    Kisna Patil

    फ़रवरी 14, 2025 AT 00:43
    ये चुनाव सिर्फ एक जीत नहीं बल्कि एक संदेश है। हर क्षेत्र में अलग अलग भावनाएं हैं, लेकिन एक बात सामान्य है - लोग बदलाव चाहते हैं। बीजेपी ने उत्तर में भावनात्मक बंधन को मजबूत किया, डीएमके ने दक्षिण में विकास की बात की। ये दोनों अलग-अलग रास्ते हैं, लेकिन एक ही लक्ष्य की ओर।
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    ASHOK BANJARA

    फ़रवरी 14, 2025 AT 13:54
    इतिहास की नजर से देखें तो उपचुनाव हमेशा राष्ट्रीय चुनाव का पूर्वानुमान होते हैं। मिल्कीपुर में बीजेपी की जीत यह दर्शाती है कि जब राष्ट्रीय भावना और स्थानीय अधिकारों का संगम होता है, तो लोग उसका समर्थन करते हैं। इरोड में डीएमके की जीत दर्शाती है कि दक्षिण में भी लोग एकता की बजाय राज्य के अधिकारों को प्राथमिकता देते हैं। ये दोनों अलग दर्पण हैं जो भारत की जटिल राजनीति को दिखाते हैं।
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    Sahil Kapila

    फ़रवरी 16, 2025 AT 04:17
    अरे भाई ये सब तो बस एक नाटक है जो सरकार बनाती है ताकि लोग भूल जाएं कि बेरोजगारी बढ़ रही है और बेसिक सुविधाएं नहीं मिल रहीं। ये चुनाव तो बस एक धोखा है जिसमें लोग खुद को बहका लेते हैं
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    Rajveer Singh

    फ़रवरी 16, 2025 AT 11:32
    मिल्कीपुर की जीत देश के भाग्य का फैसला कर रही है। जो लोग धांधली की बात कर रहे हैं वो अपने अंदर का दुश्मन देख रहे हैं। हमारा देश अब राष्ट्रीय एकता की ओर बढ़ रहा है और ये जीत उसका प्रमाण है। अगर तुम्हें लगता है कि ये बस एक छोटा चुनाव है तो तुम्हारी नजर बहुत छोटी है।
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    Ankit Meshram

    फ़रवरी 17, 2025 AT 03:04
    जीत हुई बस इतना ही 😎
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    Shaik Rafi

    फ़रवरी 17, 2025 AT 08:04
    इस चुनाव का असली अर्थ यह है कि लोग अब सिर्फ नारे नहीं, बल्कि निरंतरता की उम्मीद कर रहे हैं। बीजेपी की जीत एक नए दौर की शुरुआत है - जहां राष्ट्रीय पहचान और स्थानीय जरूरतों का संतुलन बनाना ही सफलता की कुंजी है। डीएमके की जीत भी इसी बात को दोहराती है - राज्य की आत्मा को सम्मान देना।
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    Ashmeet Kaur

    फ़रवरी 18, 2025 AT 10:47
    मिल्कीपुर में जीत ने साबित किया कि भाषा और संस्कृति के बावजूद लोग एक राष्ट्रीय दृष्टिकोण को स्वीकार कर रहे हैं। डीएमके की जीत तमिलनाडु के लोगों की स्वतंत्रता की भावना को दर्शाती है। ये दोनों जीत भारत की विविधता को दर्शाती हैं - एक देश, अनेक रास्ते।
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    Nirmal Kumar

    फ़रवरी 20, 2025 AT 10:39
    मतदान दर दोनों जगह 64-65% है - ये बहुत अच्छी बात है। लोग अभी भी वोट देने के लिए तैयार हैं। ये एक अच्छा संकेत है कि लोग अभी भी राजनीति में विश्वास रखते हैं, भले ही वो आलोचना करते हों।
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    Sharmila Majumdar

    फ़रवरी 21, 2025 AT 15:21
    क्या आपने देखा कि इरोड में AIADMK का बहिष्कार भी एक तरह का वोट था? लोग न तो डीएमके को और न ही AIADMK को चाहते थे, लेकिन उन्होंने फिर भी वोट दिया। ये तो एक बड़ी बात है।
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    Ambica Sharma

    फ़रवरी 22, 2025 AT 09:20
    मैं तो बस ये कहना चाहती हूं कि जिन लोगों ने ये चुनाव देखा वो जानते हैं कि ये सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि दिलों की लड़ाई थी। मैं रो रही थी जब बीजेपी के नतीजे आए। मैंने अपने दादाजी को याद किया... वो कहते थे कि एक दिन ये देश बदल जाएगा। आज वो दिन आ गया।

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