हर दिन ट्रेन यात्रा भारत में लाखों लोगों की ज़रूरत बनती है, लेकिन कभी‑कभी असामान्य परिस्थितियों के कारण ट्रेन हादसे होते हैं। इस पेज पर हम हाल के ट्रैन हादसों की वजह, कैसे बचें और रेलवे की सुरक्षा पहल पर चर्चा करेंगे। पढ़ते ही आप खुद को और अपने साथियों को सुरक्षित रखने के आसान उपाय जान पाएँगे।
पिछले तीन महीनों में कई बड़े ट्रेन हादसे हुए हैं। कुछ में तेज़ बारिश ने ट्रैक कबाड़ कर दिया, तो कुछ में तकनीकी खराबी या मानव त्रुटि के कारण ब्रेक फेल हो गया। उदाहरण के तौर पर, दिल्ली‑एनसीआर में अचानक बवंडर ने कुछ ट्रेनों को रुकने नहीं दिया, जिसके कारण दो ट्रेनें टकरा गईं। इसी तरह, पश्चिमी भारत में एक फ्रीट ट्रेन को ट्रैक पर जमी हुई बर्फ़ ने रोक दी, जिससे पीछे वाला पेसेंजर ट्रेन धकेल दिया गया।
इन घटनाओं के बाद जांच में पाया गया कि अधिकांश दुर्घटनाएँ रुकी नहीं हुई सिग्नल, तेज़ गति और कम visibility के कारण हुईं। अक्सर ट्रैक का रख‑रखाव समय पर नहीं हो पाता, जिससे ट्रैक में दरारें या ढीले बोल्ट बन जाते हैं।
अगर आप रोज़ ट्रैन से यात्रा करते हैं, तो इन आसान टिप्स को अपनाएँ:
जब कोई ट्रेन दुर्घटना होती है, तो सबसे बड़ा सवाल सुरक्षित निकलना है। अपने सीट के पास एक छोटी फ़्लैशलाइट और एक बेसिक फर्स्ट‑एड किट रखना एक समझदारी भरा कदम है। साथ ही, ट्रेन की आधिकारिक एप्प या वेबसाइट पर रीयल‑टाइम अपडेट चेक करते रहें।
रेलवे विभाग भी कई नई सुरक्षा पहल कर रहा है। ऐसे में ऑटोमैटिक ब्रेकिंग सिस्टम, डिजिटल सिग्नलिंग और ट्रैक मॉनिटरिंग ड्रोन्स का इस्तेमाल बढ़ रहा है। इन तकनीकों से ट्रैन हादसों को कम किया जा सकता है, लेकिन इनका सही उपयोग करने के लिए यात्री भी सजग रहना ज़रूरी है।
अंत में, याद रखें कि ट्रेन दुर्घटना अक्सर छोटी‑छोटी लापरवाही से शुरू होते हैं। अगर आप खुद सावधान रहें और सही सुरक्षा उपाय अपनाएँ, तो जोखिम काफी घटाया जा सकता है। ट्रैन हादसे की खबरें पढ़ते रहें, तैयार रहें और यात्रा का आनंद उठाएँ।
17 अगस्त, 2024 को साबरमती एक्सप्रेस के 20 डिब्बे उत्तर प्रदेश के कानपुर और भीमसेन स्टेशनों के बीच पटरी से उतर गए। यह ट्रेन वाराणसी से अहमदाबाद जा रही थी। इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ है। दुर्घटना का कारण पटरी पर रखी गई वस्तु से इंजन का टकराना बताया जा रहा है। मौके पर रेलवे ने सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया।
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