सिख धर्म 15वीं सदी में पंजाब के सरदार कबूलपुर में गुरु नानक देव जी ने स्थापित किया था। उनका संदेश अलग‑थलग नहीं, बल्कि सबको बराबर मानने वाला था। उन्होंने दो मुख्य सिद्धान्त बताए – एक भगवान में विश्वास और दूसरा सभी मनुष्यों के साथ समान व्यवहार।
सिख धर्म में पाँच मुख्य सिद्धान्त हैं – नाम जपना, सेवा, समानता, ईमानदारी और सिखो का संग। नाम जपना मतलब हर दिन ख़ुदा का नाम याद करना, इससे मन शान्त रहता है। सेवा का मतलब है बिनशर्त मदद करना, चाहे वो सामुदायिक भोजन (लांगर) हो या किसी को मदद का हाथ बढ़ाना।
समानता में जात, लिंग, धर्म की कोई भूमिका नहीं है। सिख गुरुद्वारे में सभी लोग एक ही बेंच पर बैठते हैं। ईमानदारी का मतलब है रोज़मर्रा की जिंदगी में सच्चाई और मेहनत से काम लेना। इन सिद्धान्तों को रोज़मर्रा के जीवन में अपनाना ही सिख धर्म की असली ताकत है।
आज के भारत में सिख धर्म ने सामाजिक, राजनैतिक और सांस्कृतिक कई क्षेत्रों में अहम योगदान दिया है। हर साल 13 अप्रैल को गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म दिवस (गुरु पारब) मनाया जाता है, जहाँ पूरे देश में धूप-दीया जलते हैं और कीर्तन होते हैं। पंजाब से बाहर भी सिख समुदाय मिलजुलकर लांगर चलाते हैं, जिससे जरूरतमंदों को मुफ्त खाना मिलता है।
सिख धर्म की पहचान उसके कड़े पंचावती (पाँच कपड़े) – कुर्ता, पैंट, दाढ़ी, केश (केस) और कड़ा (लोहे की कड़ी) से होती है। ये न केवल धार्मिक प्रतिबद्धता दर्शाते हैं, बल्कि रोज़मर्रा में आत्म-सम्मान और साहस की भी याद दिलाते हैं।
सिख इतिहास में कई वीर योद्धा रहे हैं, जैसे महाराणा प्रताप के साथ फतेह सिंह और जलालुदीन मिर्जा की लड़ाइयाँ। इनके साहस की कहानियाँ आज भी स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं और युवाओं को प्रेरणा देती हैं।
सिख धर्म की शिक्षाएँ आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं – समानता, सेवा, और शांति। चाहे आप गाढ़े हिमालय की पहाड़ियों में हों या महानगर के स्काईलाइन के नीचे, सिख धर्म की मूल बातों को अपनाकर हर कोई बेहतर जीवन जी सकता है।
यदि आप सिख धर्म के बारे में और जानना चाहते हैं, तो स्थानीय गुरुद्वारा का दौरा करें, जहाँ आप लांगर में बैठकर सिख भोजन का स्वाद ले सकते हैं और गुरुओं की बानी सुन सकते हैं। यह अनुभव शब्दों से ज्यादा गहरी समझ देता है।
सिख धर्म का संदेश सरल है – “इक ओंकार” यानी एक ही परमेश्वर, और “सर्वभौमिक प्रेम”। यही दो वाक्य हमारे रोज़मर्रा के काम‑काज को आसान बनाते हैं और हमें एकजुट रखते हैं।
सिख धर्म के बारे में पढ़ते‑पढ़ते आप महसूस करेंगे कि यह सिर्फ एक धर्म नहीं, बल्कि एक जीवन‑शैली है। इसका मूल उद्देश्य इंसान को सच्चा, सुरक्षित और सामाजिक रूप से जिम्मेदार बनाना है।
आखिर में यह कहा जा सकता है कि सिख धर्म का हर सिद्धान्त, हर रीति‑रिवाज़, और हर त्यौहार हमें याद दिलाता है कि हम सब एक बड़े मानव परिवार का हिस्सा हैं। इसे समझना और अपनाना ही असली सिखी बनाता है।
गुरु नानक देव जी की 555वीं जयंती के अवसर पर, इस लेख में उनके जीवन, शिक्षाओं और अवदानों का विस्तृत वर्णन है। उन्होंने समानता, सेवा, और ईश्वर के प्रति भक्ति का संदेश दिया। गुरु नानक जयंती को कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो 2024 में 15 नवंबर को आ रहा है। यह लेख एक लाख संदेश, शुभकामनाएँ और चित्र प्रस्तुत करता है जिन्हें इस विशेष पर्व पर साझा किया जा सकता है।
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