मानसिक स्वास्थ्य को आसान तरीके से बेहतर बनाएं

हर दिन के काम‑काज में दिमाग भी थक जाता है। अगर आप सही उपाय नहीं अपनाते तो छोटी‑छोटी समस्याएँ बड़ी बन सकती हैं। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं, कुछ साधारण आदतें आपके मन को साफ़ रख सकती हैं और तनाव को दूर कर सकती हैं। इस लेख में हम ऐसे ही आसान टिप्स बताएंगे जो तुरंत काम आएँगे।

दैनिक जीवन में मानसिक स्वास्थ्य कैसे बनाए रखें

सबसे पहले, नींद पर ध्यान दें। सात‑आठ घंटे की अच्छी नींद दिमाग को रीसेट करती है। अगर रात में बार‑बार उठते हैं, तो सोने से एक घंटे पहले स्क्रीन बंद करें, हल्की रौशनी रखेँ और आरामदायक माहौल बनाएँ। दूसरा, पानी पीना न भूलें। डिहाइड्रेशन से थकान और इरेक्टिविटी दोनों बढ़ती है, इसलिए दिन में कम से कम दो लीटर पानी पिएँ।

तीसरा, छोटे‑छोटे ब्रेक लें। काम के बीच में पाँच‑सात मिनट का ब्रेक मुँह में पानी पीने, खिंचाव करने या खिड़की से हवा लेने से दिमाग को रिसेट करता है। चा‍पल ही नहीं, बल्कि रूटीन में थोड़ा चलना या हल्का स्ट्रेचिंग भी मददगार होता है। चौथा, अपने विचारों को लिखें। नोटबुक या मोबाइल में रोज़ कुछ पंक्तियों में जो भी दिमाग में चल रहा है, लिख लेनी चाहिए। इससे सोच साफ़ होती है और अनावश्यक उलझन कम होती है।

आसानी से अपनाए जा सकने वाले उपाय

एक बहुत ही लोकप्रिय तरीका है माइंडफुलनेस या ध्यान। सिर्फ पाँच मिनट रोज़ बैठकर सांस पर ध्यान दें—जैसे‑जैसे आप सांस ले रहे हैं, उसके महसूस करने पर फोकस रखें। यह अभ्यास तनाव हॉरिज़न को छोटा करता है और स्पष्ट सोच देता है। दूसरा, सकारात्मक लोगों के साथ समय बिताएँ। यदि आप हमेशा नकारात्मक समाचार या गुस्से वाले लोगों के आस‑पास रहते हैं, तो आपका मन भी उसी दिशा में जाएगा। इसलिए अपने आप को हँसते‑हँसते, मददगार और प्रेरित लोगों से घेरें।

तीसरा, छोटी‑छोटी ख़ुशियों को महत्व दें। चाहे वह पसंदीदा गाना सुनना हो, एक कप चाय बनाना हो या किसी को ‘धन्यवाद’ कहना हो—इन छोटे‑छोटे सुखों को अपनाने से दिमाग में डोपामीन की रिहाई होती है, जो आपके मूड को तुरंत बेहतर बनाती है। चौथा, सोशल मीडिया का उपयोग सीमित करें। हर दिन दो घंटे से ज्यादा स्क्रॉल करने से तनाव और अवसाद बढ़ सकता है। तय करें कि आप किस समय पर चेक करेंगे और बाकी समय बाहर की दुनिया में रहें।

अंत में, अगर आप लगातार उदास या अनिद्रा से जूझ रहे हैं, तो प्रोफेशनल मदद लेने में कोई बुराई नहीं। डॉक्टर या काउंसलर से बात करने से समस्या की जड़ समझ में आती है और सही उपचार मिल जाता है। याद रखें, मानसिक स्वास्थ्य सिर्फ बीमारी नहीं, बल्कि आपकी ज़िन्दगी का एक हिस्सा है। छोटे‑छोटे कदम उठाकर आप अपना मन भी फिट रख सकते हैं, जैसे आप अपने शरीर को फिट रखते हैं।

इन आसान टिप्स को रोज़मर्रा की रूटीन में डालें और देखें कि कैसे आपका दिन हल्का और खुशहाल हो जाता है। छोटे‑छोटे बदलाव बड़े अंतर लाते हैं, बस शुरू करने में हिचकिचाएँ नहीं।

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