सरिपोधा शनिवारम मूवी रिव्यू: नानी और एसजे सूर्या की एक्शन ड्रामा पर दर्शकों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

29 अगस्त 2024
सरिपोधा शनिवारम मूवी रिव्यू: नानी और एसजे सूर्या की एक्शन ड्रामा पर दर्शकों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं

परिचय

तलुगु फिल्म 'सरिपोधा शनिवारम' ने सिनेमाघरों में अपनी जगह बना ली है और दर्शकों से मिलीजुली प्रतिक्रियाएं बटोरी हैं। फिल्म के मुख्य कलाकार नानी और एसजे सूर्या ने एक्शन दृश्यों से सजाए गए इस ड्रामा में मुख्य भूमिका निभाई है। विवेक आत्रेय द्वारा निर्देशित इस फिल्म ने अपनी कहानी और प्रदर्शन की वजह से दर्शकों का ध्यान खींचा है।

फिल्म की कहानी और प्रदर्शन

'सरिपोधा शनिवारम' एक एक्शन-ड्रामा है जिसमें नानी ने नायक की भूमिका निभाई है, जबकि एसजे सूर्या ने खलनायक की भूमिका निबाही है। फिल्म की शुरुआत से अंत तक कई तीव्र और रोमांचक क्षण हैं जिनमें नानी और एसजे सूर्या के बीच की टकराव दर्शकों को बांधे रखते हैं।

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी मजबूत अभिनय प्रदर्शन है। नानी और एसजे सूर्या ने अपने पात्रों को बखूबी निभाया है। दोनों के बीच के मुकाबले और टकराव के दृश्य दर्शकों को खासा पसंद आए हैं। फिल्म के इंट्रोडक्शन, इंटरवल और क्लाइमैक्स को दर्शकों ने खूब सराहा है। इन दृश्यों में दर्शकों को उच्च-ऑक्टेन का मनोरंजन मिलता है।

तकनीकी पहलू

फिल्म के तकनीकी पहलुओं की बात करें तो इसकी बैकग्राउंड म्यूजिक और गानों की भी काफी तारीफ हो रही है। फिल्म के संगीत ने दृश्यों में जान डाल दी है। इसके साथ ही फिल्म के कॉमेडी तत्वों ने भी दर्शकों को प्रसन्न किया है।

आलोचना

हालांकि, फिल्म को पूरी तरह से तारीफ नहीं मिली है। कुछ दर्शकों ने इसकी लंबी अवधि और पूर्वानुमेयता की आलोचना की है। फिल्म की 2.5 घंटे की अवधि को कुछ दर्शकों ने बेवजह लंबा पाया है और सुझाव दिया है कि फिल्म को 15 मिनट कम किया जा सकता था ताकि इसका अनुभव बेहतर हो सके।

दर्शकों ने फिल्म की थकावट भरी कहानी और कथा की परिवर्तनशीलता पर भी इंगित किया है। कुछ ट्वीट्स में दर्शकों ने फिल्म को उबाऊ बताकर इसकी दूसरे भाग पर और ध्यान देने की आवश्यकता बताई है। उन्होंने कहा है कि अगर दूसरा भाग और बेहतर होता तो यह फिल्म 100 करोड़ की कमाई कर सकती थी।

निष्कर्ष

'सरिपोधा शनिवारम' उन फिल्मों में से एक है जो अपने एक्शन दृश्यों और शानदार अभिनय प्रदर्शन की वजह से दर्शकों को प्रभावित करती है लेकिन इसकी लंबाई और कहानी की सामान्यता कुछ दर्शकों को निराश कर सकती है। फिल्म चाहे जैसे भी हो, इसे एक बार देखना तो बनता है। फिल्म के समर्थकों का मानना है कि यह एक मजबूत व्यावसायिक दौर का आनंद लेगी।

अंत में, 'सरिपोधा शनिवारम' एक संतोषजनक एक्शन ड्रामा है जिसमें अपने विशेष क्षण हैं। हालांकि, यह कुछ मामलों में पिछड़ती भी है। यह फिल्म एक बार देखने योग्य है और दर्शकों के बीच चर्चा का विषय बन गई है।

6 टिप्पणि

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    Sumeet M.

    अगस्त 30, 2024 AT 00:24
    ये फिल्म? बस एक बड़ा धोखा है! नानी का अभिनय तो बढ़िया है, लेकिन ये पूरी कहानी एक बोरिंग रिमाइंडर है 2018 की उसी तरह की फिल्म का! एसजे सूर्या ने तो बस गुस्सा दिखाया, कोई नया एंगल नहीं! और ये 2.5 घंटे? बस एक बेकार का वक्त बर्बाद करने का नाम है! इसे देखने वाले लोग अपनी जिंदगी का एक दिन बर्बाद कर दिया!
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    Kisna Patil

    अगस्त 31, 2024 AT 13:41
    इस फिल्म में जो भी अच्छा है, वो अभिनय है। नानी के चेहरे पर जो भाव आते हैं, वो किसी नाटक के बराबर हैं। और एसजे सूर्या का खलनायक बनना एक कला है। लेकिन ये फिल्म जो बनाई गई है, वो एक भारतीय फिल्म की तरह नहीं, बल्कि एक बाजार की तरह है। दर्शकों को इंटरवल में चिप्स और कोल्ड ड्रिंक्स बेचने के लिए बनाई गई है। फिल्म की लंबाई नहीं, बल्कि उसकी गहराई की कमी है।
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    ASHOK BANJARA

    सितंबर 1, 2024 AT 10:37
    हम सब इस फिल्म को देखकर अपने अपने अनुभव जोड़ रहे हैं। लेकिन क्या हमने कभी सोचा है कि ये फिल्म हमारी सामाजिक उबाऊ जिंदगी का एक आईना है? नानी का किरदार उस आदमी का प्रतीक है जो जिंदगी में बहुत कुछ छिपाता है। और एसजे सूर्या? वो हमारी अपनी आंतरिक लालच और क्रोध का चेहरा है। फिल्म की लंबाई उसी तरह है जैसे हमारी अपनी जिंदगी - लंबी, भारी, और कभी-कभी बेकार लगती है। लेकिन अगर हम इसे धीरे से देखें, तो इसमें एक गहराई है।
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    Sahil Kapila

    सितंबर 2, 2024 AT 11:22
    ये फिल्म बेहतरीन है और जो लोग इसे बोरिंग बता रहे हैं वो बस एक्शन देखने के लिए आए थे ना कि कहानी समझने के लिए। नानी का डायलॉग बाकी फिल्मों के सारे डायलॉग को दफन कर देता है। और एसजे सूर्या? उसकी आंखों में दुनिया छिपी है। लंबाई की बात? अगर तुम्हारे पास 2.5 घंटे नहीं हैं तो तुम्हें फिल्म देखने का अधिकार नहीं है। ये फिल्म एक भारतीय सिनेमा का नया नियम है। अगर तुम इसे समझ नहीं पाए तो तुम्हारी समझ की कमी है।
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    Rajveer Singh

    सितंबर 2, 2024 AT 21:30
    हिंदी में बोल रहे हो? ये फिल्म तो तेलुगु है! और तुम ये कह रहे हो कि इसकी कहानी बोरिंग है? ये भारत का सिनेमा है, जिसे अमेरिका या कोरिया से तुलना कर रहे हो। ये फिल्म तो एक धर्म है! नानी के बिना ये फिल्म क्या होती? और एसजे सूर्या का वो नज़र? वो तो एक देशभक्त का नज़र है। जो लोग इसे नहीं समझते, वो अपने देश को नहीं समझते। ये फिल्म एक राष्ट्रीय घटना है।
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    Ankit Meshram

    सितंबर 2, 2024 AT 23:44
    देख लो।

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