गैरसैंण के सरकारी आदर्श इंटर कॉलेज मेहलचौरी ने 50 साल पूरे कर लिए हैं। आधी सदी की ये यात्रा सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं रही, बल्कि इस कॉलेज ने इलाके में सामाजिक बदलाव की कहानी भी लिखी है। स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के पहले दिन स्कूल परिसर में खास उत्साह देखा गया। मंच पर रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, जिसमें स्थानीय पारंपरिक नृत्य और गीतों ने सबका ध्यान खींचा।
स्कूल के पूर्व छात्र जब मंच पर पहुंचे तो अपनी पढ़ाई के दिनों की यादें साझा कीं। इनमें कई ऐसे चेहरे थे, जो आज समाज में खास मुकाम रखते हैं। उन्होंने कॉलेज की प्राथमिकताओं, चुनौतियों और उपलब्धियों को अपने किस्सों के साथ बांटा। शिक्षक और स्थानीय अधिकारी भी पहुंचे, जिनकी मौजूदगी ने कार्यक्रम को और खास बना दिया।
कार्यक्रम का सबसे खास हिस्सा रहा कॉलेज के वरिष्ठ शिक्षकों का सम्मान। कई ऐसे शिक्षक, जिन्होंने अपनी पूरी सेवा एक ही संस्था को दे दी, उन्हें स्मृति चिन्ह देकर बधाई दी गई। छात्र-छात्राओं ने भाषण और नाटक के ज़रिए कॉलेज की उपलब्धियों का बखूबी चित्रण किया। यह मंच बच्चों के लिए अपना टैलेंट दिखाने का बेहतरीन मौका भी बन गया।
मेहलचौरी इंटर कॉलेज की शुरुआत एक छोटे स्कूल के रूप में हुई थी, लेकिन दशकों में इसने हजारों बच्चों का भविष्य संवारा। आज सिर्फ गैरसैंण ही नहीं, बल्कि आस-पास के गांवों से भी बच्चे यहीं पढ़ने आते हैं। मूलभूत सुविधाएं जुटाने, शिक्षकों की कमी जैसे कई पड़ाव आए, लेकिन स्थानीय लोगों और प्रशासन की कोशिशों से कॉलेज लगातार आगे बढ़ता रहा।
आज इस कॉलेज ने कई डॉक्टर, इंजीनियर, अध्यापक और सरकारी कर्मचारी तैयार किए हैं—जो समाज के अलग-अलग हिस्सों में अपनी पहचान बना रहे हैं। विद्यालय के सशक्त परीक्षा परिणामों ने क्षेत्र में जागरूकता और शिक्षित समाज खड़ा करने में योगदान दिया है। क्षेत्र में खेल-कूद, विज्ञान, सांस्कृतिक कार्यक्रम—हर फील्ड में कॉलेज के बच्चों की पहचान है।
स्वर्ण जयंती के इस अवसर ने इलाके के लोगों को अपने स्कूल की पुरानी यादों से जोड़ दिया। इंटर कॉलेज का ये सफर सबूत है कि जब शिक्षा संस्थान और समाज साथ चलते हैं तो न केवल पढ़ाई, बल्कि पूरे इलाके की तस्वीर बदल सकती है।