साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने उद्घाटन समारोह में 'विषाक्त खाइयों' की चेतावनी दी

20 जून 2024
साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने उद्घाटन समारोह में 'विषाक्त खाइयों' की चेतावनी दी

साउथ अफ्रीका के राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव

साउथ अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने अपने दूसरे उद्घाटन समारोह में देश की विषाक्त राजनीतिक खाइयों और गहरी असमानता पर चिंता जताई। यह समारोह प्रिटोरिया के यूनियन बिल्डिंग्स में आयोजित किया गया, जहां रामाफोसा ने उन चुनौतियों को स्पष्टता से स्वीकार किया जो उनके देश को विभाजित और असमान बनाए हुए हैं।

रामाफोसा ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि साउथ अफ्रीका अभी भी दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक है, जहां सामाजिक और आर्थिक विभाजन बहुत गहरे हैं। इन मुद्दों को पहचानते हुए, उन्होंने इस असमानता में सुधार के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता पर बल दिया।

ANC की गिरती जनसमर्थन और गठबंधन सरकार

1994 से सत्ता में रही ANC (अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस) ने मई के चुनावों में अपनी संसद में बहुमत खो दिया। इसके कारण, लाखों निराश वोटर्स ने अलगाववादी पार्टियों की ओर रुख किया, जो उच्च बेरोजगारी और बदतर होती सार्वजनिक सेवाओं के कारण उत्पन्न हुआ था। परिणामस्वरूप, ANC को एक कोलिशन सरकार बनाने के लिए अपने पूर्व विरोधी, प्रो-बिजनेस डेमोक्रेटिक अलायंस (DA) और अन्य चार छोटे दलों के साथ सहयोग करना पड़ा।

यह 'राष्ट्रीय एकता की सरकार' वामपंथी दलों द्वारा एक विशाल गठबंधन के रूप में आलोचना की गई है। रामाफोसा ने समारोह में इस बात को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट किया कि देश में कठोर विभाजन मौजूद हैं, जिनमें नस्लीय भेदभाव और रोजगार के अवसरों में विषमता विशेष रूप से शामिल हैं।

रोजगार और असमानता की चुनौतियां

साउथ अफ्रीका में वर्तमान में 40% से अधिक लोग बेरोजगार हैं, जो एक बहुत ही बड़ी संख्या है। तीन दशक बाद भी, जब देश ने अपने पहले पूर्ण लोकतांत्रिक चुनाव कराए थे, आर्थिक विषमता नस्लीय आधार पर बनी हुई है। इस वास्तविकता का सामना करते हुए, रामाफोसा को DA के साथ प्रशासन संभालने की जटिलताओं का सामना करना होगा, जो कि ANC की भ्रष्टाचार नीतियों के कड़े आलोचक रहे हैं और मुक्त बाजारों की वकालत करते हैं।

DA ने ANC की आर्थिक सकारात्मक कार्रवाई कार्यक्रम का भी विरोध किया है और राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा विधेयक के खिलाफ अदालत में चुनौती दी है, जिसे रामाफोसा ने चुनाव से ठीक पहले कानून में साइन किया था। यह गठबंधन अभी तक नई कैबिनेट का गठन नहीं कर पाया है, और सरकारी पदों पर बातचीत जल्द ही अंतिम रूप में पहुँचने की उम्मीद है।

गठबंधन सरकार की चुनौतियां और संभावनाएं

गठबंधन सरकार की चुनौतियां और संभावनाएं

नई गठबंधन सरकार के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें रोजगार सृजन, हिंसक अपराध का समाधान और पावर कट्स को रोकना शामिल है। हाल के वर्षों में पावर कट्स ने बड़े पैमाने पर असुविधा पैदा की है। रामाफोसा ने उद्घाटन समारोह के दौरान ANC के पिछले प्रदर्शन के प्रति नागरिकों की निराशा को स्वीकार किया।

संयुक्त राष्ट्र सरकार में ANC के पास 159 सीटें हैं जबकि DA के पास 87 सीटें हैं। इन सबके बावजूद, रामाफोसा को भी जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए काफी मेहनत करनी होगी। इसने एक दिशा में इशारा किया है कि केवल राजनीतिक इच्छाशक्ति और जागरूकता से ही साउथ अफ्रीका की गहन राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं को हल किया जा सकता है।

उद्घाटन समारोह के मुख्य आकर्षण

उद्घाटन समारोह के मुख्य आकर्षण

उद्घाटन समारोह काफी आकर्षक और भव्य था, जिसमें कई सांस्कृतिक प्रदर्शन, हेलीकॉप्टर फ्लाईओवर और 21 तोपों की सलामी दी गई। यह प्रदर्शित करता है कि साउथ अफ्रीका में राजनीतिक समारोहों की महत्वपूर्णता को कितना माना जाता है और कैसे इसे बड़े पैमाने पर उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

समारोह में RAMAFOSA ने अपने संदेश को स्पष्ट किया और नागरिकों से अपील की कि वे इस बदलाव के युग में उनके साथ सहयोग करें। उन्होंने लोगों से एकता और सहभागिता की भावना को बनाए रखने का आग्रह किया जिससे देश की गंभीर समस्याओं का समाधान हो सके।

आगे की राह और समाधान

रामाफोसा ने यह भी कहा कि वह सुधार कार्यक्रमों को लागू करने के लिए सबके साथ मिलकर काम करेंगे। इन सुधारों में सबसे महत्वपूर्ण रोजगार सृजन और आर्थिक असमानता को कम करना होगा। इसके अलावा, पावर कट्स को रोकने और सार्वजनिक सेवाओं में सुधार लाने के लिए सरकार द्वारा कठोर कदम उठाए जाएंगे।

इस प्रकार, साउथ अफ्रीका की नई गठबंधन सरकार के सामने कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन्हें प्राथमिकता के साथ हल करने की आवश्यकता है। रामाफोसा का नेतृत्व और उनकी संघर्षशील प्रवृत्ति इस बात को इंगित करती है कि वह इन चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। उद्घाटन समारोह में किए गए उनके वचन और उनकी योजना से उम्मीद की जा सकती है कि साउथ अफ्रीका भविष्य में एक स्थिर और समृद्ध राष्ट्र के रूप में उभरेगा।