राज्यसभा में बीजेपी की ताकत घटी: बजट सत्र के अहम विधेयकों पर प्रभाव

16 जुलाई 2024
राज्यसभा में बीजेपी की ताकत घटी: बजट सत्र के अहम विधेयकों पर प्रभाव

राज्यसभा में बीजेपी की ताकत घटी: बजट सत्र के अहम विधेयकों पर प्रभाव

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राज्यसभा में ताकत चार मनोनीत सदस्यों की सेवानिवृत्ति के बाद घट गई है। जिन सदस्यों की सेवानिवृत्ति हुई है, उनमें राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी समय अवधि पूरी कर ली है। इन सदस्यों ने बीजेपी के साथ जुड़ाव के बाद राज्यसभा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।

हालांकि, एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को अभी भी महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए आवश्यक समर्थन मिल सकता है। सात गैर-संरेखित मनोनीत सदस्यों और दो स्वतंत्र सदस्यों के साथ-साथ एआईएडीएमके (अन्नाद्रमुक) और वाईएसआरसीपी (युवा समाज टैग छाया पार्टी) जैसी सहयोगी पार्टियों के समर्थन से एनडीए मजबूत स्थिति में है।

वर्तमान स्थिति और संभावित परिणाम

सबसे पहले, हमें यह समझना होगा कि राष्ट्रपति 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए विनमित करता है, और इनकी नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर की जाती है। वर्तमान में, राज्यसभा में 19 पद खाली हैं, जिनमें जम्मू और कश्मीर तथा मनोनीत श्रेणी से चार-चार और आठ विभिन्न राज्यों से 11 पद शामिल हैं। आने वाले महीनों में इन 11 सीटों के लिए चुनाव हो सकते हैं, जिससे एनडीए के आठ सीटें जीतने की संभावना है।

साथ ही, इंडियन नेशनल कांग्रेसी अलायंस (आईएनडीआईए) ब्लॉक, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, तेलंगाना से तीन सीटें जीत सकता है। इससे कांग्रेस की सीटों की संख्या बढ़कर 27 हो जाएगी, जो कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता की स्थिति बनाए रखने के लिए आवश्यक संख्या से दो अधिक है।

इस प्रकार, राज्यसभा में बीजेपी की कमी के बावजूद, एनडीए के पास विधेयकों को पारित कराने के लिए आवश्यक समर्थन हो सकता है। हालांकि, यह समर्थन कितना प्रभावी होगा, यह आने वाले महीनों में होने वाले चुनावों और कांग्रेस जैसे प्रतिद्वंद्वी दलों के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा।

राज्यसभा में सीटों की स्थिति

राज्यसभा में सीटों की स्थिति

राज्यसभा में कुल 245 सीटें होती हैं जिनमें से 233 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चुने जाते हैं और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं। प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छह साल का होता है और हर दो साल में एक तिहाई सदस्यों की सेवानिवृत्ति होती है।

वर्तमान में राज्यसभा में बीजेपी की कुल सीटों की संख्या 92 है। चार सदस्यों की सेवानिवृत्ति के बाद यह संख्या घटकर 88 हो गई है। हाल ही में हुए चुनावों में बीजेपी ने कुछ सीटों पर जीत हासिल की है जिससे यह संख्या पुनः कुछ बढ़ सकती है, लेकिन कुल मिलाकर बीजेपी को समर्थन की आवश्यकता बनी रहेगी।

भविष्य की सीटें और संभावनाएं

आने वाले महीनों में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और राजस्थान शामिल हैं। बीजेपी की स्थिति के अनुसार, इन राज्यों में से कुछ में भगवान बनने की संभावनाएं अधिक होंगी, जबकि कुछ राज्यों में विपक्षी पार्टियों का दबदबा रहेगा।

इसके अलावा, जम्मू और कश्मीर की चार सीटें भी लंबे समय से खाली हैं और वहां राज्य का दर्जा पुनः प्राप्त होने के बाद चुनाव कराए जाने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वहां किस दल का दबदबा रहेगा।

सभी महत्वपूर्ण विधेयकों का आकलन

सभी महत्वपूर्ण विधेयकों का आकलन

बजट सत्र के दौरान महत्वपूर्ण विधेयकों का पास होना या न होना बहुत मायने रखता है। एनडीए के पास अभी भी कई ऐसे विधेयक हैं जिन्हें पास कराने का प्रयास किया जाएगा। इनमें से ज्यादातर विधेयक आर्थिक और विकास संबंधित होते हैं जो देश की तरक्की के लिए आवश्यक होते हैं।

एक प्रमुख विधेयक, जिसे बहुत की जरूरत है, वह है जीएसटी का संशोधन विधेयक। इस विधेयक का पास होना व्यापार और उद्योग के लिए महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण विधेयक भी हैं जिन्हें सत्र के दौरान पेश किए जाने की संभावना है।

सत्र का राजनीतिक परिदृश्य

राजनीतिक दृष्टि से भी यह सत्र बहुत महत्वपूर्ण होगा क्योंकि कई दलों के बीच गहमा-गहमी रहेगी। विपक्षी दल मजबूत स्थिति में रहते हुए सरकार के सभी कदमों पर नजर रखेंगे और विभिन्न मुद्दों को लेकर विरोधी रणनीति अपनाएंगे। वहीं, सरकार सहयोगी दलों के माध्यम से अपने विधेयकों को पास कराने का प्रयास करेगी।

इस राजनीतिक संघर्ष के दौरान जनता की उम्मीदें भी बनी रहेंगी कि सभी दल जनहित के मुद्दों पर एकजुट होकर काम करेंगे और देश के विकास को नई दिशा देंगे। राज्यसभा में सीटों की बदलती स्थिति और राजनीतिक समीकरणों के अनुसार यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा दल कितनी मजबूती से सामने आता है और कितना समर्थन प्राप्त करता है।

15 टिप्पणि

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    Muneendra Sharma

    जुलाई 16, 2024 AT 20:45
    अरे भाई, ये चारों मनोनीत सदस्यों की सेवानिवृत्ति तो बस एक नए अध्याय की शुरुआत है। बीजेपी की सीटें कम हुईं, पर एनडीए का जोर नहीं टूटा। अब तो राजनीति असली तौर पर राज्यों में जीत और हार की कहानी बन गई है। 😊
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    Anand Itagi

    जुलाई 17, 2024 AT 21:51
    कांग्रेस के लिए ये बहुत बड़ा मौका है अगर वो अपने आपको एकजुट नहीं कर पाए तो फिर भी ये सब बस शोर होगा
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    Sumeet M.

    जुलाई 18, 2024 AT 19:52
    कांग्रेस को बस इतना याद रखना चाहिए कि जब तक वो अपनी अहंकारी नीतियों से नहीं निकलेंगे, तब तक भारत आगे बढ़ेगा और वो पीछे रह जाएंगे!!! बीजेपी की ताकत कम हुई तो क्या हुआ? देश का विकास तो बढ़ रहा है!!!
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    Kisna Patil

    जुलाई 19, 2024 AT 10:48
    ये सब बस एक राजनीतिक नाटक है। लोगों को बस एक बात समझनी है - जिस दल का नेतृत्व देश के लिए काम करे, वो जीतेगा। नहीं तो सीटें बदल जाएंगी, पर जनता की भूख नहीं बदलेगी। देश को विकास चाहिए, न कि राजनीतिक नाटक।
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    ASHOK BANJARA

    जुलाई 20, 2024 AT 09:27
    इतिहास दिखाता है कि राज्यसभा में बहुमत का मतलब अक्सर बहुत कम होता है। विधेयक पास होने के लिए तो वो भी जरूरी है, लेकिन उसके बाद वो विधेयक जनता के लिए काम करेगा या नहीं - ये तो अलग सवाल है। जब तक हम नीतियों को जनहित के आधार पर नहीं बनाएंगे, तब तक सीटों का बदलना बस एक शोर होगा।
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    Sahil Kapila

    जुलाई 20, 2024 AT 20:36
    अरे ये सब तो बस नाटक है भाई ये बीजेपी वाले तो अपनी ताकत बढ़ाने के लिए जम्मू कश्मीर में चुनाव करवाने की बात कर रहे हैं जबकि वहां अभी तक जनता को अपना दर्जा नहीं मिला अब ये क्या बकवास है
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    Rajveer Singh

    जुलाई 21, 2024 AT 16:04
    कांग्रेस के लोग अभी भी अपने गुरुओं की छाया में बैठे हैं। वो जो कहते हैं कि बीजेपी ने देश को बर्बाद कर दिया, वो खुद जब सत्ता में थे तो क्या किया? जीएसटी का जो विधेयक है वो उन्होंने बनाया था और अब वो इसका विरोध कर रहे हैं? ये बेइमानी है।
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    Ankit Meshram

    जुलाई 23, 2024 AT 01:44
    सीटें कम हुईं तो क्या? देश चल रहा है। बस इतना ही बात है।
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    Shaik Rafi

    जुलाई 24, 2024 AT 09:31
    एक व्यक्ति के राजनीतिक दृष्टिकोण को बदलने के लिए उसे अपने अंदर की चीजों को समझना पड़ता है। राज्यसभा की सीटें बदल रही हैं, पर वो चीज जो वास्तविक बदलाव लाती है - वो है जनता का विश्वास। अगर वो विश्वास बना रहा, तो एक सीट कम होना भी नहीं बदलता।
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    Ashmeet Kaur

    जुलाई 25, 2024 AT 19:21
    महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में जो चुनाव हो रहे हैं, वो बहुत महत्वपूर्ण हैं। वहां की जनता अपनी आवाज उठा रही है। अगर हम उनकी आवाज सुनेंगे, तो ये बस एक राजनीतिक चक्र नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत होगी।
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    Nirmal Kumar

    जुलाई 26, 2024 AT 05:53
    ये सब बहुत अच्छा है कि लोग अब अपने राज्यों के बारे में सोच रहे हैं। देश का विकास तो राज्यों से ही शुरू होता है। बीजेपी के लिए अब राज्यों की जनता के साथ बातचीत करना जरूरी हो गया है।
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    Sharmila Majumdar

    जुलाई 26, 2024 AT 21:28
    ये जो बीजेपी की सीटें कम हुईं वो तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन ये बात भी ध्यान में रखनी है कि जब तक कांग्रेस अपने अंदर के विवादों को नहीं सुलझाएगा, तब तक वो वास्तविक विकल्प नहीं बन सकता।
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    amrit arora

    जुलाई 27, 2024 AT 09:54
    मैं इस बात पर विचार करता हूं कि क्या राज्यसभा का वास्तविक उद्देश्य सिर्फ बहुमत बनाना है या ये एक ऐसा संस्थान है जो देश के लिए गहरे विचारों को शामिल करे? जब हम विधेयकों को तेजी से पास करने की बात करते हैं, तो क्या हम उनकी गुणवत्ता को भूल रहे हैं? विकास के लिए बस बहुमत नहीं, बल्कि विचारों की गहराई चाहिए।
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    Ambica Sharma

    जुलाई 27, 2024 AT 17:02
    ये सब बहुत दर्दनाक है... मैं तो बस ये चाहती हूं कि कोई भी दल अपने लोगों के लिए काम करे... न कि सिर्फ सीटों के लिए... मैं रो रही हूं...
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    Muneendra Sharma

    जुलाई 28, 2024 AT 00:44
    अरे भाई, ये जो अंतिम टिप्पणी लिखी गई वो बिल्कुल सही है। जनता को बस एक बात चाहिए - जीवन बेहतर हो। न कि सीटों का खेल। अगर हम इसी दिशा में बढ़ेंगे, तो राज्यसभा की सीटें बदलने से ज्यादा महत्वपूर्ण बात होगी - जनता का विश्वास।

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