भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की राज्यसभा में ताकत चार मनोनीत सदस्यों की सेवानिवृत्ति के बाद घट गई है। जिन सदस्यों की सेवानिवृत्ति हुई है, उनमें राकेश सिन्हा, राम शकल, सोनल मानसिंह और महेश जेठमलानी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी समय अवधि पूरी कर ली है। इन सदस्यों ने बीजेपी के साथ जुड़ाव के बाद राज्यसभा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था।
हालांकि, एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को अभी भी महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए आवश्यक समर्थन मिल सकता है। सात गैर-संरेखित मनोनीत सदस्यों और दो स्वतंत्र सदस्यों के साथ-साथ एआईएडीएमके (अन्नाद्रमुक) और वाईएसआरसीपी (युवा समाज टैग छाया पार्टी) जैसी सहयोगी पार्टियों के समर्थन से एनडीए मजबूत स्थिति में है।
सबसे पहले, हमें यह समझना होगा कि राष्ट्रपति 12 सदस्यों को राज्यसभा के लिए विनमित करता है, और इनकी नियुक्ति सरकार की सिफारिश पर की जाती है। वर्तमान में, राज्यसभा में 19 पद खाली हैं, जिनमें जम्मू और कश्मीर तथा मनोनीत श्रेणी से चार-चार और आठ विभिन्न राज्यों से 11 पद शामिल हैं। आने वाले महीनों में इन 11 सीटों के लिए चुनाव हो सकते हैं, जिससे एनडीए के आठ सीटें जीतने की संभावना है।
साथ ही, इंडियन नेशनल कांग्रेसी अलायंस (आईएनडीआईए) ब्लॉक, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, तेलंगाना से तीन सीटें जीत सकता है। इससे कांग्रेस की सीटों की संख्या बढ़कर 27 हो जाएगी, जो कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता की स्थिति बनाए रखने के लिए आवश्यक संख्या से दो अधिक है।
इस प्रकार, राज्यसभा में बीजेपी की कमी के बावजूद, एनडीए के पास विधेयकों को पारित कराने के लिए आवश्यक समर्थन हो सकता है। हालांकि, यह समर्थन कितना प्रभावी होगा, यह आने वाले महीनों में होने वाले चुनावों और कांग्रेस जैसे प्रतिद्वंद्वी दलों के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा।
राज्यसभा में कुल 245 सीटें होती हैं जिनमें से 233 सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चुने जाते हैं और 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित किए जाते हैं। प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छह साल का होता है और हर दो साल में एक तिहाई सदस्यों की सेवानिवृत्ति होती है।
वर्तमान में राज्यसभा में बीजेपी की कुल सीटों की संख्या 92 है। चार सदस्यों की सेवानिवृत्ति के बाद यह संख्या घटकर 88 हो गई है। हाल ही में हुए चुनावों में बीजेपी ने कुछ सीटों पर जीत हासिल की है जिससे यह संख्या पुनः कुछ बढ़ सकती है, लेकिन कुल मिलाकर बीजेपी को समर्थन की आवश्यकता बनी रहेगी।
आने वाले महीनों में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उनमें उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, गुजरात, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और राजस्थान शामिल हैं। बीजेपी की स्थिति के अनुसार, इन राज्यों में से कुछ में भगवान बनने की संभावनाएं अधिक होंगी, जबकि कुछ राज्यों में विपक्षी पार्टियों का दबदबा रहेगा।
इसके अलावा, जम्मू और कश्मीर की चार सीटें भी लंबे समय से खाली हैं और वहां राज्य का दर्जा पुनः प्राप्त होने के बाद चुनाव कराए जाने की संभावना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि वहां किस दल का दबदबा रहेगा।
बजट सत्र के दौरान महत्वपूर्ण विधेयकों का पास होना या न होना बहुत मायने रखता है। एनडीए के पास अभी भी कई ऐसे विधेयक हैं जिन्हें पास कराने का प्रयास किया जाएगा। इनमें से ज्यादातर विधेयक आर्थिक और विकास संबंधित होते हैं जो देश की तरक्की के लिए आवश्यक होते हैं।
एक प्रमुख विधेयक, जिसे बहुत की जरूरत है, वह है जीएसटी का संशोधन विधेयक। इस विधेयक का पास होना व्यापार और उद्योग के लिए महत्वपूर्ण होगा। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण विधेयक भी हैं जिन्हें सत्र के दौरान पेश किए जाने की संभावना है।
राजनीतिक दृष्टि से भी यह सत्र बहुत महत्वपूर्ण होगा क्योंकि कई दलों के बीच गहमा-गहमी रहेगी। विपक्षी दल मजबूत स्थिति में रहते हुए सरकार के सभी कदमों पर नजर रखेंगे और विभिन्न मुद्दों को लेकर विरोधी रणनीति अपनाएंगे। वहीं, सरकार सहयोगी दलों के माध्यम से अपने विधेयकों को पास कराने का प्रयास करेगी।
इस राजनीतिक संघर्ष के दौरान जनता की उम्मीदें भी बनी रहेंगी कि सभी दल जनहित के मुद्दों पर एकजुट होकर काम करेंगे और देश के विकास को नई दिशा देंगे। राज्यसभा में सीटों की बदलती स्थिति और राजनीतिक समीकरणों के अनुसार यह देखना दिलचस्प होगा कि कौन सा दल कितनी मजबूती से सामने आता है और कितना समर्थन प्राप्त करता है।