स्टेज खचाखच भरा था, आखिरी सेगमेंट चल रहा था, तालियां थमती ही थीं कि भीड़ सन्न रह गई—मलयालम अभिनेता और टीवी होस्ट Rajesh Keshav (राजेश केशव), 49, मंच पर अचानक गिर पड़े। यह घटना रविवार रात, 24 अगस्त 2025, को कोच्चि के एक होटल में पब्लिक प्रोग्राम के दौरान हुई। चंद सेकेंड में आयोजक और मौजूद मेडिकल स्टाफ ने सुरक्षा घेरे में लेते हुए उन्हें तुरंत अस्पताल भेजा।
राजेश को एर्नाकुलम के लेकशोर हॉस्पिटल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने इमरजेंसी एंजियोप्लास्टी की। डॉक्टरों ने साफ किया कि कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक एक ही बात नहीं हैं—हार्ट अटैक तब होता है जब धमनियों में ब्लॉकेज से खून का प्रवाह रुकता है, जबकि कार्डियक अरेस्ट दिल की इलेक्ट्रिकल प्रणाली बिगड़ने से अचानक दिल की धड़कन थम जाने पर होता है। कई मामलों में हार्ट अटैक कार्डियक अरेस्ट को ट्रिगर कर देता है, इसलिए संदेह होने पर त्वरित एंजियोप्लास्टी की जाती है।
हादसे के बाद से राजेश ICU में हैं और वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं। बुधवार, 27 अगस्त 2025, को अस्पताल के अधिकारियों ने बुलेटिन जारी कर बताया कि दिल की कार्यक्षमता में सुधार दिख रहा है, लेकिन दिमागी गतिविधि आंशिक रूप से प्रभावित है। चिकित्सकीय टीम के मुताबिक अगले 72 घंटे बेहद अहम हैं—इसी अवधि में समझ आएगा कि रिकवरी की दिशा क्या लेती है।
इवेंट में मौजूद फिल्ममेकर प्रथाप जयलक्ष्मी ने सोशल मीडिया पर भावुक संदेश लिखा—जो कभी हर मंच को ऊर्जा से भर देता था, आज मशीनों के सहारे सांस ले रहा है। उन्होंने फैंस से दुआएं करने की अपील की। इस खबर के सामने आते ही केरल की फिल्म और टीवी इंडस्ट्री से समर्थन संदेशों की बाढ़ आ गई। को-आर्टिस्ट, तकनीकी टीम के सदस्य और हजारों दर्शकों ने सोशल मीडिया पर उम्मीद और हिम्मत का संदेश साझा किया।
राजेश केशव ने मलयालम टीवी पर एंकरिंग से पहचान बनाई। टॉक शोज़ और रियलिटी फॉर्मैट्स में उनकी सहज बातचीत और स्वाभाविक हाजिरजवाबी ने उन्हें हर घर तक पहुंचाया। बाद में उन्होंने फिल्मों में सपोर्टिंग रोल्स किए और स्क्रीन पर मौजूदगी से असर छोड़ा। टीवी और फिल्मों के बीच उनकी सहज आवाजाही ने उन्हें एक अलग जगह दिलाई—यही वजह है कि उनकी सेहत से जुड़ी ये खबर सिर्फ एक व्यक्ति की लड़ाई नहीं, पूरे मनोरंजन जगत की चिंता बन गई है।
अब तक सामने आए तथ्यों से जो तस्वीर बनती है, वह तेज और समन्वित मेडिकल रिस्पॉन्स की है। लाइव इवेंट में बेहोश होने के तुरंत बाद प्राथमिक सहायता, अस्पताल तक तेज ट्रांसफर, फिर एंजियोप्लास्टी—यह वही चेन ऑफ सर्वाइवल है जो कार्डियक अरेस्ट के मामलों में जीवन और मौत के बीच फर्क बना देती है।
हॉस्पिटल में इस वक्त फोकस दो चीजों पर है—दिल की स्थिरता और दिमाग की सुरक्षा। कार्डियक अरेस्ट के बाद दिमाग को प्रभावित होने का खतरा रहता है क्योंकि शरीर को कुछ समय तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। ऐसे में ICU में वेंटिलेटरी सपोर्ट, दवाओं से ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को स्थिर रखना, और जरूरत हो तो बॉडी टेम्परेचर को कंट्रोल करने जैसे कदम उठाए जाते हैं। अगले कुछ दिनों में डॉक्टर न्यूरोलॉजिकल असेसमेंट, ब्रेन मॉनिटरिंग और इमेजिंग जैसी जांचों से समझेंगे कि रिकवरी की संभावनाएं कितनी हैं।
परिवार और टीम का फोकस इस समय अफवाहों से दूर रहकर विश्वासयोग्य मेडिकल अपडेट्स पर है। अस्पताल ने भी अपील की है कि लोग संयम रखें, और अनावश्यक अनुमान न लगाएं। इंडस्ट्री के साथी कलाकारों ने अस्पताल स्टाफ की त्वरित कार्रवाई की सराहना की है—लाइव इवेंट में ऐसी आपात स्थितियों में टीमवर्क ही सबसे बड़ी ताकत बनता है।
कार्डियक अरेस्ट अचानक होने वाली स्थिति है—दिल की धड़कन या तो रुक जाती है या इतनी अनियमित हो जाती है कि शरीर को खून नहीं मिल पाता। कुछ सेकेंड में व्यक्ति बेहोश हो सकता है, सांस उखड़ सकती है। यहां हर मिनट मायने रखता है। हार्ट अटैक से फर्क यह कि हार्ट अटैक ब्लॉकेज आधारित आपात स्थिति है, जो कभी-कभी कार्डियक अरेस्ट को जन्म दे सकती है, पर दोनों एक नहीं हैं।
कई बार इमरजेंसी रूम में पहुंचते ही डॉक्टर एंजियोप्लास्टी का फैसला लेते हैं—खासकर तब, जब ईसीजी या क्लिनिकल संकेत बताते हैं कि किसी धमनी में ब्लॉकेज है। एंजियोप्लास्टी में कैथेटर के जरिए ब्लॉकेज वाली धमनी में पहुंचकर उसे बॉलून से खोला जाता है और जरूरत पड़े तो स्टेंट लगाया जाता है। इससे दिल की मांसपेशियों को खून की सप्लाई बहाल होती है और आगे की क्षति का खतरा घटता है।
कार्डियक अरेस्ट के बाद शुरुआती 24–72 घंटे अक्सर सबसे अहम होते हैं। इस दौरान:
इवेंट आयोजकों के लिए यह घटना एक बड़ा सबक भी है। बड़े वेन्यू पर AED (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर) उपलब्ध होना चाहिए, स्टाफ को बेसिक लाइफ सपोर्ट (BLS) की ट्रेनिंग मिलनी चाहिए, और इमरजेंसी रिस्पॉन्स की ड्रिल्स नियमित होनी चाहिए। जब AED शुरुआती मिनटों में इस्तेमाल होता है, तो कई मामलों में जीवित बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
दर्शकों के लिए एक सरल याद: अगर कोई व्यक्ति अचानक गिर जाए और सांस या नाड़ी का पता न चले, तो तुरंत अलार्म बजाइए—इमरजेंसी नंबर पर कॉल कीजिए, पास में AED हो तो मंगाइए, और जब तक मदद न पहुंचे, प्रशिक्षित व्यक्ति सीपीआर शुरू करे। गलतफहमी यह है कि ‘शायद खुद उठ जाएगा’—ऐसे मिनट गंवाना खतरनाक हो सकता है।
राजेश केशव की बात करें तो इंडस्ट्री में उनका सफर मेहनत और भरोसे का रहा है। टीवी पर उनकी एंकरिंग ने उन्हें लोगों के घर-घर तक पहुंचाया, और फिल्मों में सपोर्टिंग किरदारों से उन्होंने रेंज दिखाई। सेट पर समय के पाबंद, और स्टेज पर दर्शकों से जोड़ने की उनकी कला ने उन्हें अलग पहचान दी। यही वजह है कि आज फैंस से लेकर फिल्म यूनिट्स तक हर कोई उनकी सेहत को लेकर अपडेट देख रहा है और दुआ कर रहा है।
अस्पताल का अगला औपचारिक बुलेटिन कब आएगा, यह मेडिकल टीम तय करेगी, लेकिन संकेत साफ हैं—स्थिति नाजुक है और हर घंटा अहम। दिल थोड़ा बेहतर जवाब दे रहा है, पर दिमाग की गतिविधि को लेकर डॉक्टर एहतियात बरत रहे हैं। ऐसी परिस्थितियों में जल्दबाज़ी से कोई ठोस बयान देना सही नहीं माना जाता। टीम का ध्यान इलाज, मॉनिटरिंग और समय पर फैसलों पर है।
इस बीच सोशल मीडिया पर चल रहे संदेशों में दो बातें कॉमन हैं—उम्मीद और सम्मान। साथी कलाकार राजेश के प्रोफेशनलिज्म को याद कर रहे हैं, दर्शक उनके टीवी मोमेंट्स और फिल्मों के दृश्य साझा कर रहे हैं, और सबकी एक ही कामना है: वे लौटें, और फिर से स्टेज पर उसी ऊर्जा के साथ दिखें।