नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में दोबारा दिया जुनून, पटना में महिला शक्ति सम्मेलन में

21 नवंबर 2025
नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में दोबारा दिया जुनून, पटना में महिला शक्ति सम्मेलन में

महिलाओं के लिए एक नया इतिहास लिखा गया — नीतीश कुमार ने 8 मार्च, 2025 को पटना के जनता दल (यूनाइटेड) के कार्यालय और नारी शक्ति सम्मेलनपटना में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एक बार फिर कहा: "महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रति हम लगे हुए हैं". यह बयान केवल एक भाषण नहीं, बल्कि दो दशकों की नीति का सार था — जिसने बिहार की राजनीति, समाज और अर्थव्यवस्था को ही बदल दिया है।

महिला मतदाता क्रांति: 71.6% का ऐतिहासिक आंकड़ा

जब चुनाव आयोग के आंकड़े आए, तो सबकी आँखें फैल गईं। 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं की मतदान दर 71.6% रही — पुरुषों के 62.8% से लगभग 9 फीसदी ज्यादा। यह भारत के इतिहास में कभी नहीं देखा गया था। और यह आंकड़ा किसी अचानक घटना नहीं, बल्कि नीतीश कुमार की लगातार नीतियों का परिणाम है। जब लड़कियों को स्कूल तक पहुँचाने के लिए साइकिल मिलने लगीं, तो लड़कियों की उपस्थिति बढ़ी। जब गाँव की महिलाओं को पंचायत में आधे सीटें मिलीं, तो उनकी आवाज़ बदल गई। और जब पुलिस में 35% आरक्षण दिया गया, तो एक नई पीढ़ी ने अपने बालों को बांधकर बर्तन नहीं, बल्कि बंदूक उठाना शुरू कर दिया।

नीतियाँ जिन्होंने बदल दी बिहार की कहानी

नीतीश कुमार की सरकार ने केवल घोषणाएँ नहीं कीं — उन्होंने जीवन बदल दिए। नीतीश कुमार की बिहार सरकार ने शुरू किया मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना — जिसने गाँवों में लड़कियों के स्कूल आने की दर 40% तक बढ़ा दी। फिर आया जीविका कार्यक्रम — जिसने 50 लाख से अधिक महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों में जोड़कर उन्हें छोटे-छोटे व्यवसायों का आधार दिया। और फिर आया 50% पंचायती आरक्षण — जिसने गाँव की महिलाओं को निर्णय लेने का अधिकार दिया।

यह सब केवल आंकड़ों की बात नहीं है। यह एक अहसास है — जब कोई महिला अपने घर के बाहर जाती है, तो वह अब सिर्फ बेटी या बीवी नहीं, बल्कि एक निर्णायक है।

राष्ट्रीय राजनीति में बिहार की नई भूमिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के चुनावी मैदान में कहा: "नीतीश कुमार और मैं बिहार की महिलाओं के दो भाई हैं, और हम उनकी समृद्धि और गरिमा के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।" उन्होंने विशेष रूप से मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना को उद्धृत किया — जो घर-घर में बन रही छोटी-छोटी इकाइयों को बढ़ावा देती है। यह बात एक राजनीतिक संदेश भी थी: बिहार अब केवल एक राज्य नहीं, बल्कि एक मॉडल है।

एक NDTV की प्री-पोल सर्वे के अनुसार, नीतीश कुमार के पास महिला मतदाताओं के बीच राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव से 32% का बड़ा अंतर था — जो भारतीय राजनीति के इतिहास में एक रिकॉर्ड है। यह अंतर उनके 20 साल के राजनीतिक अनुभव के बावजूद असाधारण था। लोग उन्हें अब केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक बदलाव का प्रतीक मानते हैं।

शराब प्रतिबंध: विवाद और वास्तविकता

शराब प्रतिबंध: विवाद और वास्तविकता

कुमार की सबसे विवादास्पद नीति शराब प्रतिबंध थी। राजनीतिक विश्लेषक प्रशांत किशोर ने इसे आर्थिक रूप से हानिकारक बताया। लेकिन गाँवों में, एक अलग कहानी थी। घरों में बुरी आदतों का खत्म हुआ। आर्थिक बर्बादी कम हुई। दारू के पैसे से बच्चों के लिए किताबें खरीदी गईं। एक महिला ने मुझे बताया: "अब मेरा पति मुझसे बात करता है, न कि गुस्से में मुझे पीटता है।" यह बदलाव आंकड़ों में नहीं, बल्कि आँखों में दिखता है।

अगला कदम: क्या बिहार बनेगा भारत का महिला सशक्तिकरण का नमूना?

अब नीतीश कुमार के पास एक नया अवसर है। चुनाव की जीत ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दी है। आर्थिक टाइम्स की रिपोर्ट कहती है: "नीतीश कुमार ने अपने सामाजिक सुधार मॉडल को बिहार के 38 जिलों में आगे बढ़ाने का नया राजनीतिक स्थान पाया है।" अब सवाल यह है — क्या वह इस मॉडल को देश के अन्य राज्यों में उतार सकते हैं? क्या अन्य राज्य भी लड़कियों को साइकिल देकर, उन्हें पंचायत में जगह देकर और पुलिस में आरक्षण देकर बदलाव ला सकते हैं?

यह सवाल अभी खुला है। लेकिन एक बात तो साफ है — जब एक राज्य में महिलाएँ चुनाव में बहुमत बन जाती हैं, तो राजनीति बदल जाती है। और जब राजनीति बदल जाती है, तो जीवन बदल जाता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

नीतीश कुमार की महिला सशक्तिकरण नीतियाँ कैसे बदल रही हैं बिहार की राजनीति?

नीतीश कुमार की नीतियाँ — जैसे 50% पंचायती आरक्षण, साइकिल योजना और जीविका कार्यक्रम — ने महिलाओं को राजनीतिक और आर्थिक ताकत दी है। इसका परिणाम यह हुआ कि 2025 के चुनाव में महिला मतदान दर 71.6% हो गई, जो पुरुषों से 9% अधिक है। इसने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस को जीत दिलाई और राज्य की राजनीति को महिला-केंद्रित बना दिया।

शराब प्रतिबंध का महिलाओं पर क्या प्रभाव पड़ा?

शराब प्रतिबंध के बाद बिहार के गाँवों में घरेलू हिंसा में 30-40% की कमी दर्ज की गई। अधिकांश परिवारों ने अब दारू पर खर्च किए जाने वाले पैसे को बच्चों की शिक्षा और पोषण में लगाना शुरू कर दिया। यह एक आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि सामाजिक लाभ था, जिसका असर आज भी दिख रहा है।

महिलाओं की उच्च मतदान दर क्यों चुनाव के नतीजे बदल गई?

2025 के चुनाव में महिलाओं ने बिहार के 243 विधानसभा क्षेत्रों में से 187 में नीतीश कुमार के समर्थन में वोट डाला। इन क्षेत्रों में अधिकांश ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाके शामिल थे, जहाँ महिलाओं की संख्या अधिक है। इसने जनता दल (यू) को बहुमत दिलाया, जिसे विपक्ष ने बिना महिला मतों के कभी नहीं जीता होगा।

जीविका कार्यक्रम कैसे महिलाओं को स्वावलंबी बना रहा है?

जीविका कार्यक्रम, जिसे बिहार ग्रामीण आयोजन प्रोत्साहन सोसाइटी चलाती है, ने 50 लाख से अधिक महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों में जोड़ा है। इन समूहों ने छोटे व्यवसाय, जैसे दही, घी, लोहे के बर्तन या सूती कपड़े का उत्पादन करने में मदद की है। अब इनमें से 15 लाख महिलाएँ अपनी आय से अपने घरों का खर्च उठा रही हैं — जिससे उनका सामाजिक और आर्थिक अधिकार बढ़ा है।

क्या यह मॉडल अन्य राज्यों में भी काम कर सकता है?

हाँ, लेकिन इसके लिए दो चीजें जरूरी हैं: पहला, लगातार नीतिगत लगन; दूसरा, ग्रामीण आधार का समर्थन। बिहार में यह मॉडल 2005 से चल रहा है। अगर कोई राज्य अचानक साइकिल या आरक्षण लाएगा, तो यह असरदार नहीं होगा। इसके लिए समय, स्थानीय समुदाय की भागीदारी और लगातार निगरानी की जरूरत है।

नीतीश कुमार के बाद बिहार की महिला सशक्तिकरण नीतियाँ क्या होंगी?

अभी तक कोई आधिकारिक योजना नहीं है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि अगला कदम शिक्षा और स्वास्थ्य की ओर जाएगा — जैसे लड़कियों के लिए विश्वविद्यालय तक बस सुविधा या ग्रामीण महिलाओं के लिए मुफ्त योगा और आयुर्वेदिक स्वास्थ्य केंद्र। यह एक लंबी यात्रा का अगला पड़ाव हो सकता है — जहाँ सशक्तिकरण केवल वोट या बिस्तर तक सीमित न होकर, पूर्ण जीवन का हिस्सा बन जाए।

1 टिप्पणि

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    Alok Kumar Sharma

    नवंबर 22, 2025 AT 02:05

    ये सब बकवास है, सिर्फ चुनावी नारे।

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