हरियाणा के करनाल जिले के बेगमपुर गाँव में 11 नवंबर 1991 को जन्मे नीरज गोयत भारतीय मुक्केबाजी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नाम बनकर उभरे हैं। नीरज ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एसडी मॉडल स्कूल में प्राप्त की और उसके बाद आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट में 2006 में मुक्केबाजी की शिक्षा लेना शुरू किया। वहाँ उन्होंने अपनी दसवीं कक्षा की पढ़ाई भी पूरी की। उनके इस निर्णय ने उनके जीवन को एक नया मोड़ दिया।
नीरज ने 2007 में जूनियर नेशनल में कांस्य पदक जीतकर अपनी शुरुआत की। अगले साल 2008 में, उन्होंने युवा राष्ट्रीय में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। इसके बाद उन्होंने 2010 में ऑल इंडिया सुपर कप में रजत पदक जीता और इसी वर्ष ए.के मिश्रा टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। 2011 के राष्ट्रीय खेलों में उन्होंने रजत पदक जीता और 2012 के वरिष्ठ राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी वही उपलब्धि हासिल की।
नीरज ने 2014 में एक नए इतिहास की रचना की जब वे ऐसे पहले व्यक्ति बने जो चीन में पूर्व डब्ल्यूबीए विश्व चैम्पियन झू कैन को परास्त कर सके। यह जीत उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने में सहायक रही। नीरज गोयत पहले भारतीय प्रोफेशनल बॉक्सिंग खिलाड़ी हैं जिन्होंने 2016 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए वेनेज़ुएला में आयोजित क्वालीफाइंग में भाग लिया और ब्रॉन्ज मेडल जीता।
नीरज ने डब्ल्यूबीसी एशिया का खिताब तीन बार जीता है और 2017 में उन्हें डब्ल्यूबीसी एशिया के 'ओनरेरी बॉक्सर ऑफ द ईयर' पुरस्कार से नवाजा गया। उनकी सफलता की गाथा यहीं नहीं रुकी। 2016 के समर ओलंपिक में उनकी भागीदारी भारत के लिए एक गर्व का पल था।
हाल ही में, नीरज गोयत को माइक टायसन और जेक पॉल जैसे दिग्गजों के साथ एक ही इवेंट में मुकाबला करने का अवसर मिला। एटी एंड टी स्टेडियम, टेक्सास में आयोजित इस इवेंट में, उन्होंने विंडरसन नून्स के खिलाफ रिंग में उतरी। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम का सीधा प्रसारण नेटफ्लिक्स पर किया गया, जिसे भारत सहित दुनियाभर के मिलियन लोग ने देखा।
नीरज ने इस मौके पर अपने आप को और अपने देश को गौरवांवित महसूस किया। उन्होंने कहा, "मैं इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में भाग लेने पर अत्यंत उत्साहित हूँ। मेरे परिवार, मेरे देश और मुझ पर नजर रखने वाले सभी भारतीयों की उम्मीदें मेरी सबसे बड़ी ताकत हैं।"
नीरज गोयत ने अपने जीवन में कठिन परिश्रम और समर्पण के बल पर इस मुकाम को हासिल किया है। उनके युवा सिखाने और अन्य उभरते मुक्केबाजों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। भविष्य में वे और अधिक अंतरराष्ट्रीय खिताब जीतने की और भारत को गौरवांवित करने की दिशा में लगातार प्रयासरत रहेंगे।
अब दुनिया की नजरें इस होनहार भारतीय बॉक्सर पर हैं और वो एक ऐसे मुक्केबाज के रूप में जाने जा रहे हैं जिन्होंने अपनी मेहनत और योगदान से भारतीय मुक्केबाजी को ऊँचाईयों तक पहुंचाया। उनका सफर हर उभरते भारतीय खिलाड़ी के लिए एक प्रेरणा है।