देशभर में बिगड़ा मौसम का मिजाज, पूर्वोत्तर और राजस्थान पर सबसे ज्यादा असर
भारत के कई हिस्सों में जुलाई 2025 का महीना अलग ही अंदाज में दस्तक दे रहा है। एक ओर राजधानी दिल्ली, लखनऊ और पटना समेत ज्यादा तापमान वाले शहरों में दिनभर पारा 35 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना हुआ है, वहीं दूसरी तरफ आसमान से बरसने वाले पानी ने पूर्वोत्तर इलाकों और राजस्थान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
मौसम विभाग ने साफ कर दिया है कि पूर्वोत्तर राज्यों – असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा – में आने वाले हफ्ते में झमाझम बारिश की पूरी संभावना है। कई जगहों पर बाढ़ के हालात भी बन सकते हैं। उधर, राजस्थान के जयपुर, अलवर, सीकर और आसपास के जिलों में भी रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। यानी, अगले कुछ दिनों में भारी से बहुत भारी बारिश गिरने वाली है, जिससे जनजीवन भी प्रभावित हो सकता है।
मुंबई-कोलकाता में तेज़ बारिश और पूरे देश में उमस: क्या रहेगी स्थिति?
मौसम के खेल में मुंबई और कोलकाता जैसे तटीय शहर भी पीछे नहीं हैं। कोलकाता में पूरे जुलाई महीने में बारिश 350 mm तक पहुंचने की संभावना है। मौसम की पहली ही बारिश के कारण कई इलाकों में जलभराव, ट्रैफिक जाम जैसा नजारा दिखा। मुंबई में 31 जुलाई के आसपास रूक-रूककर बारिश होती रहेगी, जिससे सड़कों पर पानी भरने की दिक्कत और ज्यादा हो सकती है।
ज्यादातर शहरों में तापमान 35 डिग्री के आसपास ही रहेगा, लेकिन इसी के साथ हवा में नमी भी 90% तक जा सकती है। इसका मतलब, गर्मी से कम राहत मिलेगी और भीषण उमस परेशान करती रहेगी। ऐसे हालात में बच्चों और बुजुर्गों को खास सावधानी बरतनी चाहिए।
- पानी के बहाव वाले इलाकों में जाने से बचें।
- बरसाती मौसम में घर से बाहर निकलते वक्त छाता या रेनकोट रखना फायदेमंद रहेगा।
- बिजली उपकरणों का सावधानी से इस्तेमाल करें, क्योंकि तेज़ बारिश में शॉर्ट सर्किट का डर रहता है।
मौसम विभाग की सलाह है कि मौसम अलर्ट और स्थानीय प्राधिकरण की ताजा जानकारी पर नजर रखें, क्योंकि हालात कभी भी बदल सकते हैं। इस बार मॉनसून जोरदार है, जिससे खेती-किसानी को राहत मिल सकती है लेकिन जनजीवन में कुछ दिनों का खलल जरूर आ सकता है।
Nirmal Kumar
अगस्त 2, 2025 AT 05:28ये मौसम तो अब सिर्फ बारिश नहीं, बल्कि एक अनियंत्रित राज्य है। पूर्वोत्तर में बाढ़, राजस्थान में बारिश का झटका - दोनों ही तरफ जीवन अटक गया है। लेकिन ये सब तो पहले भी हुआ है, बस अब मीडिया इसे बड़ा बना रहा है।
Ambica Sharma
अगस्त 3, 2025 AT 01:13मैंने आज सुबह अपने बच्चे को स्कूल छोड़ा और वो भीग गया... और फिर भी लोग कहते हैं 'मॉनसून अच्छा है'। अच्छा है? जब घर का बिजली का बोर्ड फूट गया तो अच्छा था?
Hitender Tanwar
अगस्त 3, 2025 AT 09:15रेड अलर्ट? अरे भाई, ये सब तो हर साल होता है। जब तक सरकार ड्रेनेज को नहीं सुधारती, तब तक ये नाटक चलता रहेगा।
Sharmila Majumdar
अगस्त 3, 2025 AT 15:37आप सब बारिश की बात कर रहे हैं, लेकिन क्या किसी ने देखा कि जयपुर में आज बारिश के बाद नालियों में फेंका गया कचरा पानी के साथ बह रहा है? ये नहीं देखना भी एक अपराध है।
Ravi Kumar
अगस्त 5, 2025 AT 00:47मैंने असम में एक गाँव जाने का फैसला किया था, लेकिन बारिश के कारण रोड बंद हो गया। वहाँ के लोग कह रहे थे - 'हम तो इसे जन्म से जानते हैं, लेकिन शहर वाले अब तक अलर्ट देख रहे हैं?' असली जिंदगी तो गाँव में है, न कि मीडिया पर।
amrit arora
अगस्त 5, 2025 AT 16:17क्या हमने कभी सोचा कि ये असंगठित बारिश और गर्मी का ये अजीब मिश्रण किस चीज़ का परिणाम है? शहरीकरण, जंगलों की कटौती, नदियों का बंद कर देना - ये सब एक ही नाम से जुड़े हैं: अनदेखा। हम बारिश को दोष देते हैं, लेकिन अपने जीवनशैली को नहीं।
Shivateja Telukuntla
अगस्त 6, 2025 AT 04:28कोलकाता में बारिश के बाद लोग अपने घरों के बाहर बैठे चाय पीते हैं। ये जो लोग बारिश को दुख मानते हैं, वो शायद उस खुशी को नहीं जानते जो बारिश के बाद हवा में आती है।
Muneendra Sharma
अगस्त 7, 2025 AT 15:51मैंने आज एक बच्चे को देखा जो बारिश में नाच रहा था - उसकी माँ डर रही थी, लेकिन बच्चा खुश था। शायद हम बड़े होकर भूल गए कि बारिश का मतलब बस दुख नहीं, बल्कि जीवन का एक नया स्वर भी हो सकता है।
rashmi kothalikar
अगस्त 9, 2025 AT 07:49ये सब बारिश की वजह से नहीं, बल्कि लोगों की लापरवाही की वजह से हो रहा है। जो लोग नालियों में कचरा फेंकते हैं, उन्हें जेल भेज देना चाहिए।
Shailendra Thakur
अगस्त 10, 2025 AT 17:39मैंने अपने दोस्त को फोन किया जो राजस्थान में है - उसने कहा, 'हम यहाँ बारिश के बाद नहाते हैं, और फिर घर पर गरम चाय पीते हैं। ये तो जीवन का एक अलग अंदाज़ है।' शायद हमें भी इस तरह से सोचना चाहिए।
Gowtham Smith
अगस्त 12, 2025 AT 05:26मॉनसून की वजह से किसानों को फायदा हो रहा है? ये बकवास है। ज्यादातर फसलें बाढ़ में बह गईं। अब भी लोग सरकार के लिए जयकार कर रहे हैं? ये तो राष्ट्रीय धोखेबाजी है।
Kisna Patil
अगस्त 12, 2025 AT 16:11मैं अपने गाँव में बारिश के दिनों में नदी के किनारे बैठकर देखता हूँ कि बच्चे कागज के नाव बनाकर उड़ाते हैं। ये नाव दूर तक जाती हैं - और फिर गायब हो जाती हैं। शायद हम भी ऐसे ही हैं - बारिश के बीच भटकते हुए, लेकिन अपने रास्ते ढूंढते हुए।
pritish jain
अगस्त 13, 2025 AT 12:29मौसम विभाग के अलर्ट अक्सर अतिशयोक्ति से भरे होते हैं। रेड अलर्ट जारी करने से जनता को डराने का मन होता है, न कि सही जानकारी देने का। ये भ्रम का खेल है।
Anand Itagi
अगस्त 14, 2025 AT 23:30असम में बाढ़ के बाद लोगों को घर बनाने के लिए सहायता नहीं मिली लेकिन दिल्ली में एक नए बस स्टॉप के लिए 50 करोड़ खर्च हो गए। ये तो असली समस्या है
vinoba prinson
अगस्त 16, 2025 AT 17:25क्या आपने कभी सोचा कि ये बारिश शायद एक अंतर्राष्ट्रीय जलवायु अनुबंध का परिणाम है? या शायद हमारे अपने उद्योगों की अनियंत्रित विकास नीति का? ये सवाल कोई नहीं पूछता।
Sumeet M.
अगस्त 18, 2025 AT 10:51मॉनसून का जोरदार होना एक राष्ट्रीय उपलब्धि है? नहीं! ये तो जलवायु आपातकाल है! अगर आप इसे सकारात्मक नहीं देख पा रहे हैं, तो आप देशभक्त नहीं, अनभिज्ञ हैं।