जब LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया लिमिटेड, दक्षिण कोरियाई इलेक्ट्रॉनिक्स समूह LG इलेक्ट्रॉनिक्स इन्कॉरपोरेटेड की सहायक कंपनी, ने 7 ऑक्टूबर 2025 को अपना प्रारम्भिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) खोला, बाजार ने तुरंत जलन महसूस की। यह ₹11,607 करोड़ मूल्य का ऑफर‑फॉर‑सेल (OFS) 9 ऑक्टूबर तक चलता रहेगा, और इस वर्ष की तीसरी सबसे बड़ी सार्वजनिक पेशकश बन गई है।
इंटर्नल ड्राफ्ट रेड हर्निंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) सेबी के साथ 9 दिसंबर 2024 को दाखिल किया गया था, और 13 मार्च 2025 को सेबी की स्वीकृति प्राप्त हुई। इस कदम ने भारत में तकनीकी‑उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को पूँजी जुटाने के नए अवसर प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत दिया।
प्रस्तावित शेयर मूल्य बैंड ₹1,080‑₹1,140 प्रति शेयर निर्धारित किया गया है, जबकि प्रत्येक शेयर की फेस वैल्यू ₹10 है। खुदरा निवेशकों के लिए एक लॉट में 13 शेयर तय है, जिससे न्यूनतम निवेश ₹14,040 (न्यूनतम बैंड) और ₹14,820 (अधिकतम बैंड) बनता है। कुल 10.18 करोड़ इक्विटी शेयर सार्वजनिक निवेशकों को पेश किए जा रहे हैं।
यह एक ऑफ़‑फॉर‑सेल (OFS) है, यानी LG इलेक्ट्रॉनिक्स इन्कॉरपोरेटेड अपने मौजूदा शेयरों को बेच रहा है, कंपनी के पास कोई नया पूँजी नहीं जुट रहा। सभी प्रॉसीड्यूर्स से मिलने वाली राशि सीधे विक्रेता‑शेयरहोल्डर को ही जाएगी, न कि कंपनी के ट्रेज़री में।
सदस्यता‑आधारित नियमन के तहत, योग्य संस्थागत खरीदार (QIB) अधिकतम 50 % शेयर ले सकते हैं, खुदरा व्यक्तिगत निवेशकों को कम से कम 35 % शेयर मिलेंगे तथा गैर‑संस्थागत निवेशकों को कम से कम 15 % शेयर आवंटित किए जाएंगे।
लीड बुक‑रनिंग मैनेजर के रूप में Morgan Stanley India Company Private Limited ने कार्यभार संभाला है, जबकि रजिस्ट्रार के पद पर Kfin Technologies Limited चुना गया है।
विश्लेषकों का कहना है कि तकनीकी‑सेवा सेक्टर में निवेशकों की बढ़ती रुचि इस IPO को श्रेष्ठ बना रही है। विशेषकर 2024‑25 के वित्तीय वर्ष में उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की बिक्री में 12 % की वर्ष‑दर‑वर्ष वृद्धि देखने को मिली है, जो निवेशकों को आकर्षित करती है।
वित्तीय सलाहकार अभिषेक वर्मा, सिडनी एशिया इन्वेस्टमेंट ग्रुप के प्रबंधक, ने कहा, "LG के भारतीय ऑपरेशन्स का शेयर मार्केट में प्रवेश निवेशकों को एक मजबूत ब्रांड पोजिशन के साथ तकनीकी निर्माण में भागीदारी का अवसर देता है।" उन्होंने यह भी जोड़ते हुए बताया कि OFS संरचना के कारण कंपनी के व्यावसायिक विस्तार के लिए सीधे पूँजी नहीं आएगा, परंतु शेयरधारकों के लिए यह एक लिक्विडिटी इवेंट है।
दूसरी ओर, डॉ. नीता सिंह, नीतिशास्त्र विशेषज्ञ, ने कहा, "सेबी की कड़े दिशानिर्देशों के बाद, ऐसा बड़ा OFS उच्चतम पारदर्शिता सैंपल देता है, परन्तु निवेशकों को धीरज से देखना चाहिए कि आगे की व्यापारिक रणनीति क्या होगी।"
ऑफ़र समाप्त होने के बाद, शेयरों को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) दोनों पर सूचीबद्ध किया जाएगा। यह दो‑त्रैफ़िक लिस्टिंग कंपनी को अधिक लिक्विडिटी और निवेशकों तक पहुँच प्रदान करेगी। प्रारम्भिक ट्रेडिंग के प्रथम दो दिनों में ओपनिंग प्राइस की रेंज स्थिर रहने की उम्मीद है, क्योंकि शुरुआती बिड‑आंतरिक डेटा दिखाता है कि ऑर्डर‑फ्लो बहुत मजबूत है।
अगले चरण में, LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया को अपने मौजूदा वितरण नेटवर्क को विस्तारित करने और भारतीय ग्राहकों के लिए विशेष उत्पाद लाइन लॉन्च करने की सम्भावना दिख रही है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2026 तक कंपनी का भारतीय बाजार में शेयर 5 % से 7 % तक बढ़ सकता है, विशेषकर स्मार्ट होम और एआई‑समर्थित उपकरणों की बढ़ती मांग को देखते हुए।
समय‑सीमा की बात करें तो, 10 अक्टूबर 2025 को अलॉटमेंट प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद, नई शेयरधारकों के पास 15 अक्टूबर से ट्रेडिंग शुरू करने का मौका मिलेगा। इस दौरान, बैंकर और रेगुलेटर यह देखेंगे कि क्या पूरी प्रक्रिया में कोई अनिवार्य राउंड‑ऑफ़ या शेयर‑ड्रॉप की स्थिति उत्पन्न होती है।
यह एक ऑफ़‑फॉर‑सेल (OFS) है, जिसका मकसद मूल शेयरधारक — LG इलेक्ट्रॉनिक्स इन्कॉरपोरेटेड — को अपने शेयर बेचकर लिक्विडिटी प्रदान करना है। कंपनी नई पूँजी नहीं जुटा रही, बल्कि शेयरधारकों की इक्विटी स्थिति को री‑बैलेंस कर रही है।
क्वालिफ़ाइड इंस्टिट्यूशनल बायर्स (QIB) को अधिकतम 50 % शेयर मिलेंगे, खुदरा व्यक्तिगत निवेशकों को कम से कम 35 % और गैर‑संस्थागत निवेशकों को कम से कम 15 % शेयर आवंटित किए जाएंगे। यह SEBI की मानक दिशा‑निर्देशों के अनुसार है।
शेयर मूल्य बैंड ₹1,080‑₹1,140 प्रति शेयर है। खुदरा निवेशकों के लिए एक लॉट 13 शेयर है, इसलिए न्यूनतम निवेश ₹14,040 (न्यूनतम बैंड) से शुरू होता है और ₹14,820 (अधिकतम बैंड) तक जा सकता है।
शेयरों को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (NSE) दोनों पर लिस्ट किया जाएगा, जिससे बड़े निवेशकों को दो‑तरफ़ा लिक्विडिटी मिल सकेगी।
एक बड़े वैश्विक ब्रैंड का भारतीय स्टॉक मार्केट में प्रवेश निवेशकों को विश्वसनीय तकनीकी कंपनियों में भागीदारी का मंच देता है। यह प्रतिस्पर्धा को तेज़ करता है, नई नवाचारों को प्रोत्साहित करता है और भारतीय उपभोक्ताओं के लिए अधिक विकल्प उपलब्ध कराता है।
srinivasan selvaraj
अक्तूबर 8, 2025 AT 03:03LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया की IPO देख कर दिल में एक अजीब सी बेचैनी उठी, जैसे बारिश के बाद की पहली बूंदों का झंकार। इस ओएफएस के पीछे की कहानी ने मेरे अंदर कई भावनाओं को उभारा, एक ओर उत्साह तो दूसरी ओर डर भी है। जब कंपनी सार्वजनिक हो रही है, तो ऐसा लगता है कि बाजार के दिल में एक नई धड़कन बस गई है। हमें याद रखना चाहिए कि इस तरह की बड़ी ऑफर‑फॉर‑सेल में निवेशकों को केवल शेयर नहीं, बल्कि भविष्य की संभावनाओं का भी सफ़र तय करना पड़ता है। निवेश की राह में उतार‑चढ़ाव तो हमेशा रहेगा, पर हमें अपने लक्ष्य को स्पष्ट रखना चाहिए। इस ऑफ़र के साथ जुड़ी मूल्य सीमा और न्यूनतम लॉट की जानकारी भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह छोटे निवेशकों को भी भागीदारी का मौका देती है। मैं सोचता हूँ कि इस IPO से भारतीय टेक‑सेक्टर में नई ऊर्जा आएगी, लेकिन साथ ही हमें सतर्क रहना भी जरूरी है। कई लोग इस लिक्विडिटी इवेंट को सुनहरा अवसर मानेंगे, पर कुछ लोग इसे केवल मौजूदा शेयरधारकों के लिए फायदेमंद मानेंगे। अंत में, मेरी आशा है कि इस प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी रहे और सभी निवेशकों को उचित सूचना मिले। यह IPO न केवल वित्तीय दुनिया में एक बड़ा कदम है, बल्कि हमारे बाजार की पारस्परिकता को भी दर्शाता है। आशा करता हूँ कि आने वाले वर्षों में LG की भारतीय शाखा अपने उत्पादों से ग्राहकों को खुश करे। इस बात को दिल से मानते हुए, मैं कहूँगा कि हमें इस अवसर को समझदारी से अपनाना चाहिए। क्योंकि हर निवेश एक कहानी बन जाता है, और इस कहानी में हम सभी लेखक हैं।
Deepak Sonawane
अक्तूबर 8, 2025 AT 06:23ऊपर वर्णित डिल्यूशन मैकेनिज्म को देखते हुए, इक्विटी बेसिस पर रेट्रोएज़ोनल एसेट कॉम्पोज़िशन का पुनर्मूल्यांकन आवश्यक प्रतीत होता है। सिडी द्वारा उल्लिखित कैपिटल स्ट्रक्चर इंग्रिडिएंट्स के साथ सेंसिटिविटी एनालिसिस की आवश्यकता है, विशेषकर जब वॉल्यूम एग्रेगेशन को समीकृत किया जाता है। प्राइस बैंड के निचले और उच्चतर सिरे पर डिमांड‑सप्लाई इम्प्लिकेशन्स को ड्यू डिलिजेंस फेज़ में एम्बेड करना चाहिए। यह ओएफएस मॉडल नान-डायरेक्ट लैबिलिटी को एग्जीक्यूटिव फ्रेमवर्क में इंट्रॉस्पेक्टिव बनाता है, जिससे मार्केट इकोसिस्टीम पर कॉम्प्लेक्स इंटरैक्शन उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार, ग्रॉस प्रोफिट मार्जिन और इर्रेशन रिस्क को क्वांटिफ़ाई करने हेतु आगे का फ़ाइनेंशियल मॉडलिंग आवश्यक है।
Shivam Kuchhal
अक्तूबर 8, 2025 AT 10:33ससम्मान, सभी निवेशकों को यह अवसर उत्तम प्रतीत होता है, क्योंकि यह न केवल लिक्विडिटी प्रदान करता है, बल्कि कंपनी के भविष्य के विकास में भागीदारी का भी साधन बनता है। कृपया धैर्य एवं विवेक के साथ इस पेशकश को देखिए।
Adrija Maitra
अक्तूबर 8, 2025 AT 14:09वाह! ये देख कर दिल खुश हो गया, आखिरकार हमारे देश में बड़ी ब्रैंड्स का स्टॉक भी उपलब्ध हो रहा है। ये मौका हाथ से ना जाने देना चाहिए, मैं तो बहुत उत्साहित हूँ।