LG इलेक्ट्रॉनिक्स आईपीओ: 90 के दशक की मारुति जैसा मौका?

14 अक्तूबर 2025
LG इलेक्ट्रॉनिक्स आईपीओ: 90 के दशक की मारुति जैसा मौका?

जब Nipun Lodha, Head of Investment Banking PL Capital ने कहा कि "LG इलेक्ट्रॉनिक्स भारत का 90‑30‑के दशक का मारुति है", तो कई निवेशकों के मन में झटका लगा। यही बात NDTV Profit के ‘Entertaining Profit’ कार्यक्रम में Tamanna Inamdar के साथ चर्चा के दौरान सामने आई। इस बातचीत की रिकॉर्डिंग 9 अक्टूबर 2025 को शाम 10:01 UTC पर प्रसारित हुई, जहाँ उन्होंने तीन‑तीन कारणों से निवेशकों को आईपीओ या लिस्टिंग के बाद शेयर खरीदने पर बल दिया।

पृष्ठभूमि: LG इलेक्ट्रॉनिक्स का भारतीय कदम

कोरिया की टेक्नोलॉजी दिग्गज LG इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया ने 2025 के मध्य में भारत के उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स व होम एप्प्लायंसेस बाजार में अपना दाम घोचा। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, यह बाजार 2027 तक लगभग 20 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इस तीव्र वृद्धि के बीच कंपनी ने अपनी स्थानीय उत्पादन क्षमता को बढ़ाने और सस्ते प्रीमियम‑सेगमेंट में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए आईपीओ किया।

ऐसे बड़े कदम का अर्थव्यवस्था और निवेशकों दोनों के लिए व्यापक मायने रखते हैं। प्ले‑बैक का दरवाजा खुला तो मौजूदा घरेलू ब्रांडों को भी नई प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा।

बुलिश केस: तीन कारणों से ‘मारुति’ की तुलना

एपिसोड के शुरुआती मिनट में Lodha ने तीन प्रमुख बिंदु बताए:

  • ब्रांड पहचान और ग्राहक विश्वास – LG का 70‑वर्ष पुराना नाम भारत में जल्दी ही भरोसे का प्रतीक बन चुका है।
  • बाजार हिस्सेदारी का विस्तार – आँकड़ों के अनुसार 2024‑25 में LG ने टीवी, रेफ्रिजेरेटर और एयर कंडिशनर में कुल मिलाकर 12 % का मार्केट शेर हासिल किया, जो अगले पाँच वर्षों में 25 % तक बढ़ सकता है।
  • स्मार्ट‑होम इकोसिस्टम – कंपनी की IoT‑आधारित प्लेटफ़ॉर्म ने निवेशकों को भविष्य की तकनीकी सेवाओं में भागीदारी का मौका दिया।

इन बिंदुओं को Lodha ने 1991 के मारुति सुजुकी आईपीओ के साथ तुलना किया। उस समय, मारुति ने 1,950 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर 80 % बाजार हिस्सेदारी हासिल कर ली थी, जिससे शुरुआती निवेशकों को दोगुना रिटर्न मिला।

बेयर केस: संभावित जोखिम एवं प्रतिस्पर्धा

दूसरी तरफ, Narendra Solanki, जो Anand Rathi Shares में हेड ऑफ फंडामेंटल रिसर्च हैं, ने मार्केट सैचुरेशन और घरेलू ब्रांडों की ताकत को जोखिम के रूप में उठाया।

वोल्टास और ब्लू स्टार जैसे भारतीय प्लेयर्स ने अपने प्रोडक्ट पोर्टफ़ोलियो को स्थानीय क्षमताओं के साथ सुदृढ़ किया है, जिससे LG को मूल्य प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। इसके अलावा, आयात शुद्धि नीतियों में संभावित बदलाव भी कंपनी की मार्जिन को प्रभावित कर सकते हैं।

निवेशकों के लिए कार्रवाई योग्य बिंदु

लोहा लोहे को काटता है, लेकिन सही जानकारी से निवेशकों को लाभ मिलता है। यहाँ कुछ ठोस कदम हैं:

  1. आईपीओ सब्सक्रिप्शन विंडो (15‑30 Oct 2025) समाप्त होने से पहले ब्रॉकर के माध्यम से एंट्री लेनी चाहिए।
  2. यदि आप विंडो मिस कर चुके हैं, तो Lodha के अनुसार लिस्टिंग के बाद 5‑10 % प्री‑मियम पर खुले बाजार में खरीदना विकल्प हो सकता है।
  3. ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) डेटा—जो KFin Technologies और NSE/BSE पर उपलब्ध है—को लगातार ट्रैक करें।
  4. कंपनी के फाइनेंसियल क्वार्टरली रिपोर्ट और IoT‑सेवा वृद्धि को नियमित रूप से मॉनिटर करें।
भविष्य की झलक: क्या LG भारत में मारुति का नया अध्याय लिखेगा?

भविष्य की झलक: क्या LG भारत में मारुति का नया अध्याय लिखेगा?

भविष्यवाणियों के अनुसार, 2028 तक भारतीय घरों में स्मार्ट‑एप्लायंसेस की हिस्सेदारी 35 % तक पहुंच सकती है। अगर LG इस ट्रेंड को सही दिशा में ले जाये, तो उसका शेयर मूल्य 5‑10 गुना तक बढ़ सकता है—बिल्कुल वही जो मारुति ने 1990‑96 में किया था।

दूसरी ओर, यदि घरेलू ब्रांड्स तकनीकी सहयोग से अपनी कीमत घटाने में सफल रहे, तो LG को ब्रेक‑इवन पॉइंट तक ही पहुँचना पड़ सकता है। इस पर विशेषज्ञ Rohit Mehta ने कहा, "सही समय पर सही प्रोडक्ट लॉन्च ही इस प्रतियोगिता में जीत का निर्णायक कारक होगा।"

सारांश और निष्कर्ष

सारांश में कहा जाए तो, LG इलेक्ट्रॉनिक्स का आईपीओ न केवल एक वित्तीय इवेंट है, बल्कि भारत के उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में एक बड़ा पारदर्शी परिवर्तन भी है। निवेशकों को बुलिश और बेयर दोनों पक्षों को समझते हुए, डेटा‑ड्रिवन निर्णय लेना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

LG इलेक्ट्रॉनिक्स आईपीओ में निवेश करने से कौन लाभान्वित होगा?

मुख्यतः दीर्घकालिक निवेशक और उन लोगों को फायदा होगा, जो भारतीय उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के तेज़ी से बढ़ते बाजार में हिस्सेदारी लेना चाहते हैं। छोटे‑मोटे रिस्क‑अवर्स निवेशक भी ग्रे‑मार्केट प्रीमियम को देख कर लिस्टिंग के बाद एंट्री ले सकते हैं।

मारुति के 1991 के आईपीओ से इस तुलना की क्या सीख है?

मारुति ने शुरुआती हाई‑ग्रोथ सेक्टर में प्रवेश करके बाजार में 80‑90 % तक कब्ज़ा किया, जिससे निवेशकों को दोगुना रिटर्न मिला। इसी तरह, यदि LG अपने ब्रांड और नवाचार को सही समय पर लागू करे, तो समान रिटर्न संभव है।

ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) डेटा कहाँ देख सकते हैं?

GMP डेटा KFin Technologies, NSE एवं BSE की आधिकारिक साइटों पर रीयल‑टाइम उपलब्ध है। निवेशकों को इसका रोज़ाना ट्रैक रखना चाहिए, क्योंकि यह शेयर की साइड‑डिमांड को दर्शाता है।

वोल्टास और ब्लू स्टार जैसे घरेलू प्लेयर्स से प्रतिस्पर्धा कितनी गंभीर है?

वोल्टास और ब्लू स्टार ने खुद को भारतीय बजट‑सेगमेंट में प्रमुख बना रखा है। उनकी किफ़ायती कीमतें और स्थानीय निर्माताओं के साथ तालमेल LG के प्री‑मियम उत्पादों के लिए एक कठिन चुनौती पेश करती है, खासकर जब कस्टमर प्राइस सेंसिटिव होता है।

आगामी पाँच वर्षों में LG के शेयर की संभावित कीमत क्या हो सकती है?

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कंपनी अपनी IoT‑इकोसिस्टम को सफलतापूर्वक स्केल करे और घरेलू प्रतिस्पर्धा को मात दे, तो 2028 तक शेयर मूल्य 5‑10 गुना तक बढ़ सकता है। लेकिन यह अनुमान बाजार की समग्र स्थितियों पर निर्भर है।

1 टिप्पणि

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    Parth Kaushal

    अक्तूबर 14, 2025 AT 01:01

    LG इलेक्ट्रॉनिक्स का आईपीओ भारतीय टेक बाजार में एक नया मील का पत्थर है। यह कदम कंपनी को स्थानीय उत्पादन संसाधन की विस्तार की अनुमति देता है। भारतीय उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स का कुल बाजार 2027 तक 20 बिलियन डॉलर तक पहुँचेगा, जिसका अर्थ है विशाल संभावित राजस्व। इस बाजार की गति में LG का 12% शेयर पहले से ही स्थापित हो चुका है और वह इसे अगले पाँच वर्षों में 25% तक ले जाना चाहता है। ब्रांड की 70 साल पुरानी विश्वसनीयता उपभोक्ताओं को भरोसा दिलाती है। साथ ही स्मार्ट‑होम इकोसिस्टम के माध्यम से कंपनी नई सेवा‑आधारित राजस्व स्रोत बना रही है। निवेशकों को यह समझना चाहिए कि यह इकोसिस्टम भविष्य की IoT सेवाओं में प्रवेश का द्वार है। हालांकि, इस विस्तार में कुछ जोखिम भी निहित हैं। घरेलू प्रतिस्पर्धी जैसे वोल्टास और ब्लू स्टार की कीमत में प्रतिस्पर्धा कड़ी हो सकती है। आयात शुद्धि नीति में बदलाव भी मार्जिन को प्रभावित कर सकता है। इसलिए आईपीओ के बाद प्री‑मियम पर शेयर खरीदने से पहले ग्रे‑मार्केट प्रीमियम डेटा को ट्रैक करना आवश्यक है। अगर कंपनी एक स्थिर उत्पादन बेस स्थापित करती है तो शेयर मूल्य 5‑10 गुना तक बढ़ सकता है। उलट अगर प्रतिस्पर्धी एग्जिक्यूटिव प्राइसिंग अपनाते हैं तो LG को ब्रेक‑इवन पॉइंट तक ही सीमित रहना पड़ेगा। अंत में, निवेशकों को डाटा‑ड्रिवन निर्णय लेना चाहिए, न कि सिर्फ भावनात्मक उछाल पर भरोसा करना चाहिए।

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