केरल में 14-वर्षीय किशोर की मस्तिष्क खाने वाले अमीबा से मौत: जानिए Naegleria Fowleri के बारे में सब कुछ

5 जुलाई 2024
केरल में 14-वर्षीय किशोर की मस्तिष्क खाने वाले अमीबा से मौत: जानिए Naegleria Fowleri के बारे में सब कुछ

केरल में मस्तिष्क खाने वाले अमीबा का आतंक

भारत के केरल राज्य के कोझिकोड जिले में एक 14-वर्षीय लड़के की मौत ने पूरे राज्य और देश को झकझोर दिया है। इस दुर्लभ और जानलेवा संक्रमण, जिसे मस्तिष्क खाने वाला अमीबा कहा जाता है, ने एक और मासूम जान ले ली। यह मामला Naegleria fowleri नामक अमीबा से जुड़ा है, जिसे अक्सर मस्तिष्क खाने वाला अमीबा कहा जाता है। यह अमीबा शरीर में प्रवेश करते ही तीव्र और घातक संक्रमण फैलाता है, जिसे प्रमुखता से प्राथमिक अमीबिक मीनिनजोसिफालाइटिस (PAM) कहा जाता है।

संक्रमण के लक्षण और प्रसार

इस संक्रमित लड़के का अस्पताल में भर्ती होने का समय 24 जून था। उसे भयंकर सिरदर्द, मतली और उल्टी की शिकायत थी। इन लक्षणों ने मेडिकल टीम को संक्रमण की ओर सचेत किया। डॉक्टरों ने संदिग्ध रूप से संक्रमण का स्त्रोत लड़के के घर के पास स्थित एक जलधारा को माना है, जिसमें वह स्नान कर रहा था। Naegleria fowleri अमीबा सामान्यतः गर्म मीठे पानी की झीलों, नदियों और गर्म झरनों में पनपता है, और कभी-कभी खराब रखरखाव वाले स्विमिंग पूल में भी पाया जा सकता है।

Aमिेबा शरीर में प्रवेश तब करता है जब व्यक्ति नाक के माध्यम से संक्रमित पानी में डुबकी लगाता है। यह सीधे मस्तिष्क के ऊतकों पर हमला करता है और संक्रमण को बहुत तेजी से फैलाता है। प्रारंभिक लक्षणों में भयंकर सिरदर्द, तेज बुखार, गर्दन का कड़ा होना, मतली और उल्टी शामिल हैं। बाद के चरणों में संक्रमण बढ़ता है और भ्रम, भटकाव, झटके, संतुलन खोना और कोमा जैसी स्थितियां देखने को मिल सकती हैं। दुख की बात यह है कि इस संक्रमण की मृत्यु दर लगभग 97% है।

Naegleria fowleri का जीवविज्ञान और संक्रमण का स्वरूप

Naegleria fowleri एक एककोशिकीय अमीबा है जो पृथ्वी के गर्म जल स्रोतों में स्वाभाविक रूप से पाया जाता है। यह अपने मेजबान के मस्तिष्क के ऊतकों को खाकर पोषण प्राप्त करता है। इस अमीबा का आकार 8 से 15 माइक्रोमीटर के बीच रहता है। मानव शरीर में प्रवेश करने पर यह नाक के म्यूकोस मेम्ब्रेन के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचता है और प्राथमिक अमीबिक मीनिनजोसिफालाइटिस (PAM) का कारण बनता है। PAM की बीमारी आमतौर पर दो से पंद्रह दिनों के भीतर प्रकट होती है और एक हफ्ते से भी कम समय में घातक हो सकती है।

प्रमुख घटनाएं: तीन महीने में तीसरी मौत

पिछले दो महीनों में केरल में यह तीसरी मौत मन में चिंता और भय की लहर पैदा करती है। इस मामले ने स्वास्थ्य अधिकारियों के बीच चेतावनी का सिग्नल बजा दिया है। सभी नागरिकों को चेतावनी दी गई है कि वे गर्म मीठे जल स्रोतों में स्नान करने से बचें और अपने व्यक्तिगत स्वच्छता पर ध्यान दें।

इलाज और रोकथाम

Naegleria fowleri से संक्रमित होने का मामला अत्यंत दुलर्भ है। हालांकि, इसके कुछ संक्रमित व्यक्तियों का इलाज कुछ दवाओं के संयोजन से किया गया है, जिसमें एम्फोटेरिसिन बी, रिफांपिन, फ्लुकनाज़ोल और मिल्टेफोसिन शामिल हैं। इन दवाओं का संयुक्त इलाज संक्रमण को नियंत्रण में रखने में सहायता कर सकता है, लेकिन फिर भी, Naegleria fowleri से ग्रस्त व्यक्तियों की जान बचाना बेहद चुनौतीपूर्ण है।

संक्रमण को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाए जा सकते हैं। जल स्रोतों का ध्यानपूर्वक रखरखाव और नियमित सफाई आवश्यक है। स्विमिंग पूल का पानी हमेशा क्लोरीनेटेड होना चाहिए और इसे समय-समय पर परीक्षण किया जाना चाहिए। नासिक झरनों और जलधाराओ में स्नान करने से बचा जाना चाहिए जहां गर्म मीठे पानी में अमीबा उपस्थित होने की संभावना हो सकती है।

सावधानी और जन जागरूकता

सावधानी और जन जागरूकता

मस्तिष्क खाने वाले अमीबा की चर्चा ने देश में एक चेतावनी की स्थिति पैदा कर दी है। इसका समाधान सबसे पहले जन जागरूकता में निहित है। जब लोग अपने आसपास के जल स्रोतों के बारे में सजग होते हैं और उचित सावधानी उपाय अपनाते हैं, तो इस घातक संक्रमण का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।

साथ ही, स्वास्थ्य विभाग को विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है कि वह लोगों को इस दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान करे। जल स्रोतों की नियमित जांच और गुणवत्ता सुनिश्चित करना भी स्वास्थ्य अधिकारियों का दायित्व बनता है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अनुसंधान

वैज्ञानिक और चिकित्सा पेशेवर इस गंभीर मुद्दे पर निरंतर अनुसंधान कर रहे हैं। Naegleria fowleri की पहचान और इसके इलाज के नए तरीकों को खोजने के लिए प्रयास जारी हैं। शोधकर्ता अब तक मिली जानकारी के आधार पर इस अमीबा के और प्रभावी नियंत्रण उपाय खोजने का प्रयास कर रहे हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि जनसंख्या में जागरूकता और उचित रोग प्रतिरोधक उपाय प्रभावी होंगे। हाल के मामलों ने हमारे स्वास्थ्य तंत्र में सुधार और बेहतर तैयारियों की जरूरत को उजागर किया है।

अंत में ...

अंत में ...

यह घटना हमें यह महसूस कराती है कि हमें अपने आस-पास के जल स्रोतों के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का पालन करना चाहिए। जबकि Naegleria fowleri संक्रमण बेहद दुर्लभ है, यह हमें प्राकृतिक जल स्रोतों का समझदारी से उपयोग करने का संदेश देता है। उम्मीद है कि स्वास्थ्य विभाग और वैज्ञानिक समुदाय इस दुर्लभ लेकिन गंभीर समस्या का समाधान तलाशने में सफल होंगे।