कांग्रेस ने 23 नवंबर, 2025 को एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया, जो 2026 के तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के लिए डीएमके के साथ सीट साझाकरण की बातचीत करेगी। यह फैसला सिर्फ एक तकनीकी कदम नहीं, बल्कि एक साफ संदेश है — कांग्रेस डीएमके के साथ गठबंधन में रहेगी, और कोई भी अन्य विकल्प अभी नहीं। इस समिति की अगुवाई गिरीश चोडंकर करेंगे, जो आईसीसी के तमिलनाडु और पुडुचेरी के इन-चार्ज हैं। यह बात तमिलनाडु कांग्रेस समिति (टीएनसीसी) ने आधिकारिक तौर पर पुष्टि की।
गठबंधन का अंतिम संकल्प
इस घोषणा के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा, "इससे गठबंधन के बारे में अफवाहें खत्म हो जाएंगी, और राज्य में गठबंधन की एकता साफ दिखेगी।" उनके बयान ने उस भ्रम को खत्म कर दिया जो अभी तक टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर फैल रहा था — कि कांग्रेस अभिनेता विजय की पार्टी तमिलगा वेत्रि काजागम (टीवीके) के साथ बातचीत कर रही है।
टीएनसीसी अध्यक्ष के. सेल्वपेरुन्थगई ने एक जनसभा में, जिसमें डीएमके के नेता उधयानिधि स्टीलिन भी मौजूद थे, स्पष्ट किया: "कांग्रेस तमिलनाडु में डीएमके के साथ ही रहेगी।" यह बयान न सिर्फ एक राजनीतिक संकल्प था, बल्कि एक दर्शन था — कांग्रेस अपनी गणना डीएमके के साथ करेगी, और नए बलों के साथ खेलने का जोखिम नहीं उठाएगी।
बिहार के नतीजों ने कांग्रेस की बातचीत की ताकत कम कर दी
इस समिति का गठन नवंबर 2025 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के बाद हुआ, जिसमें कांग्रेस ने अपनी पारंपरिक ताकत को खो दिया। डीएमके के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, "बिहार के नतीजों ने कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरियों को उजागर कर दिया।" अब वे कह रहे हैं — कांग्रेस के पास अब अधिक सीटों की मांग करने की कोई ताकत नहीं।
2021 के विधानसभा चुनाव में डीएमके ने 96 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 48 सीटों पर चुनाव लड़कर 34 सीटें पाईं। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में दोनों पार्टियों का गठबंधन तमिलनाडु की सभी 39 सीटें जीत गया — कांग्रेस ने अपने नौ सीटों के साथ अपनी विश्वसनीयता साबित की। यह विजय उसी गठबंधन की ताकत का प्रमाण है।
टीवीके के साथ गठबंधन की अफवाहें: बेमेल और बेकार
कुछ तमिल मीडिया ने दावा किया कि टीवीके ने एक सर्वे किया है जिसमें कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए जनसमर्थन अच्छा रहा। लेकिन टीवीके के उप महासचिव सी.टी.आर. निर्मल कुमार ने इसे "पूरी तरह असत्य" बताया। और फिर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का जवाब था — वे इस बारे में "सोच भी नहीं रहे थे"।
कांग्रेस के अंदर एक विभाजन है। एक फ्रेंक्शन डीएमके के साथ जुड़े रहने का समर्थन करता है, जबकि दूसरा नए चेहरों — जैसे टीवीके — के साथ बातचीत करने की ओर झुक रहा है। लेकिन अब तक का फैसला स्पष्ट है: डीएमके के साथ जुड़े रहना ही सबसे सुरक्षित रास्ता है।
2026 के लिए रणनीति: कम सीटें, लेकिन अधिक स्थिरता
कांग्रेस की योजना अब अधिक सीटें मांगने की नहीं, बल्कि अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने की है। उनके पास अब बहुत कम बातचीत का दबाव है। डीएमके अपने राज्य में एकाधिकारी है — उनके पास राज्य के अधिकांश वोटर और संगठन हैं। कांग्रेस अब सिर्फ एक साथी है, न कि एक समान साझीदार।
इसलिए उनकी रणनीति अब यह है: अपनी पिछली 34 सीटों के आधार पर कुछ अतिरिक्त सीटें मांगना, लेकिन इसे एक अनुरोध के रूप में नहीं, बल्कि एक आवश्यकता के रूप में प्रस्तुत करना। उनका दावा होगा — हमने 2024 में लोकसभा की सभी नौ सीटें जीतीं, हम तमिलनाडु के लिए अपनी पहचान बनाए हुए हैं।
अगले चरण: अप्रैल तक फैसला
चुनाव मई 2026 में होने वाले हैं। इसलिए समिति को अप्रैल तक सीटों का विभाजन तय करना होगा। इस बीच, डीएमके अपने आंतरिक चुनावी योजनाओं पर काम कर रहा है — विशेष रूप से उन इलाकों पर जहां कांग्रेस की उपस्थिति अब भी मजबूत है, जैसे तिरुचिरापल्ली, तिरुनेलवेली और कोयम्बटूर।
एक बात अब स्पष्ट है: कांग्रेस ने अपनी राजनीतिक आत्मा को डीएमके के साथ जोड़ दिया है। अब बाकी सब कुछ समय का सवाल है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
2026 के चुनाव में कांग्रेस को कितनी सीटें मिल सकती हैं?
2021 में कांग्रेस ने 34 सीटें जीती थीं। अब उनकी गणना इसी आधार पर है। डीएमके के अनुसार, वे कांग्रेस को 30-35 सीटें देने की योजना बना रहे हैं, लेकिन यह निर्भर करेगा कि कांग्रेस कितनी बड़ी बातचीत करती है। बिहार के नतीजों के बाद, अधिकतम 37 सीटों की उम्मीद भी बहुत ज्यादा होगी।
क्या टीवीके के साथ कांग्रेस का कोई गठबंधन संभव है?
नहीं। टीवीके के नेता ने अफवाहों को खारिज कर दिया है, और कांग्रेस के नेताओं ने इसे अनदेखा कर दिया है। विजय की पार्टी के पास अभी तक कोई संगठनात्मक आधार नहीं है, और कांग्रेस के लिए उनके साथ जुड़ना एक जोखिम भरा कदम होगा।
डीएमके क्यों चाहता है कांग्रेस को अपने साथ रखे?
डीएमके को एक राष्ट्रीय गठबंधन के तहत चुनाव लड़ना है — INDIA गठबंधन का हिस्सा बने रहने के लिए। कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जो तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्तर पर पहचानी जाती है। इसके अलावा, कांग्रेस के वोटर डीएमके के लिए एक विश्वसनीय समर्थन बनते हैं, खासकर मध्यम वर्ग और हिंदी भाषी समुदायों में।
क्या कांग्रेस इस गठबंधन से बाहर निकल सकती है?
अभी के लिए नहीं। बिहार के बाद कांग्रेस की राष्ट्रीय ताकत कमजोर हो चुकी है। तमिलनाडु में अगर वे डीएमके से अलग हो गए, तो वे खुद को एक अस्तित्वहीन पार्टी में बदल देंगे। यह एक ऐसा जोखिम है जिसे वे अब नहीं उठा सकते।
2026 के चुनाव का नतीजा किस पर निर्भर करेगा?
डीएमके के नेतृत्व और कांग्रेस की समर्थन शक्ति पर। अगर डीएमके का राज्य में नेतृत्व स्पष्ट रहा, तो गठबंधन 100+ सीटें जीत सकता है। लेकिन अगर कांग्रेस की अपनी विश्वसनीयता गिरी, तो यह गठबंधन एक अस्थिर अलायंस बन सकता है।
इस गठबंधन का केंद्रीय सरकार पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
अगर डीएमके-कांग्रेस गठबंधन बरकरार रहा, तो भारतीय जनता पार्टी के लिए दक्षिण भारत में अपना प्रभाव बनाए रखना और भी मुश्किल हो जाएगा। यह गठबंधन INDIA गठबंधन की एक मजबूत अवस्था का प्रतीक है, जो 2029 के लोकसभा चुनाव के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है।
raja kumar
नवंबर 25, 2025 AT 18:24डीएमके के साथ गठबंधन करना अब कांग्रेस के लिए एकमात्र तरीका है। बिहार के बाद उनकी कोई और ऑप्शन नहीं बची। अगर वो अलग हुए तो तमिलनाडु में उनकी कोई पहचान नहीं रह जाएगी।