IAS अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ आरोपों पर पिता ने किया बचाव, बोले- यह सब एक साजिश

14 जुलाई 2024
IAS अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ आरोपों पर पिता ने किया बचाव, बोले- यह सब एक साजिश

पूजा खेडकर के मामले की परतें: पिता ने किया बचाव

महाराष्ट्र कैडर की 2023-बैच की IAS अधिकारी पूजा खेडकर पर आरोपों की बौछार हो रही है, जिनमें अपनी शक्तियों का दुरुपयोग शामिल है। लेकिन उनके पिता दिलीप खेडकर ने दृढ़ता से इन आरोपों का खंडन किया है। पुणे सहायक कलेक्टर के रूप में नियुक्त होने से पहले पूजा पर अलग कार्यालय, कार और घर की मांग करने के आरोप लगे हैं। इसके चलते उन्हें पुणे से वाशिम स्थानांतरित कर दिया गया है। पिता का कहना है कि उनकी बेटी पर किसी भी प्रकार का दोषारोपण अनुचित है और इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

क्या है आरोप?

क्या है आरोप?

पूजा खेडकर पर आरोप हैं कि उन्होंने खुद के लिए अलग से कार्यालय, कार और घर की मांग की थी। इसके अलावा, उन पर अपने लक्जरी ऑडी कार पर बिना अनुमति के बीकन और महाराष्ट्र राज्य सरकार के प्रतीक चिन्ह लगाने का भी आरोप है। इसके बाद एक सदस्यीय समिति का गठन कर उनके आचरण और चयन प्रक्रिया की जांच की जा रही है।

ओबीसी और विकलांगता लाभ का भी आरोप

ओबीसी और विकलांगता लाभ का भी आरोप

पूजा खेडकर पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने ओबीसी और विकलांगता लाभों का दुरुपयोग कर IAS में प्रवेश पाया। यह आरोप उनकी वैज्ञानिकता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है। पूजा के पिता ने इस बात का खंडन किया है और बताया कि UPSC की कठोर नियमावली के तहत किसी भी प्रकार का धोखाधड़ी का अवसर नहीं है।

पिता का पक्ष

पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर ने कहा कि सीट की मांग करना कोई गलती नहीं है और यह मामला वर्तमान में अदालती प्रक्रिया में है। उन्होंने यह भी दावा किया कि यह सब किसी साजिश का हिस्सा हो सकता है, हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। उनका मानना है कि मामला UPSC और राज्य की जांच प्रक्रियाओं द्वारा उचित रूप से निपटाया जाएगा।

उचित जांच की मांग

पूजा के पिता ने उचित और निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि UPSC के पास कठोर नियम हैं और मेडिकल बोर्ड के तहत किसी भी प्रकार के गलत दस्तावेज प्रस्तुत करना असंभव है। यह मामला कई मुद्दों को छूता है और इसकी निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त जांच की आवश्यकता है।

पूजा के इस मामले ने न सिर्फ प्रशासनिक गलियारों में बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों में भी चर्चा का विषय बना दिया है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आने वाले दिनों में जांच क्या निष्कर्ष देती है और पूजा खेडकर किस प्रकार के आरोपों से मुक्त होती हैं।

17 टिप्पणि

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    Ambica Sharma

    जुलाई 15, 2024 AT 07:57
    ये सब बस एक बड़ा धोखा है। जब तक आम आदमी को अपना घर, कार, कार्यालय नहीं मिलता, तब तक ये लोग लक्जरी चाहते हैं। ये नियम बनाने वाले खुद तोड़ रहे हैं।
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    Hitender Tanwar

    जुलाई 15, 2024 AT 16:36
    इस तरह के मामले में जांच होनी चाहिए न कि बहस।
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    pritish jain

    जुलाई 16, 2024 AT 00:53
    संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार, सभी नागरिकों को समान अवसर और समान न्याय का अधिकार है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो दंड की आवश्यकता है; यदि नहीं, तो नाम की स्वच्छता की रक्षा की जानी चाहिए। इस मामले में कोई भी अनुमान नहीं चलेगा।
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    Gowtham Smith

    जुलाई 17, 2024 AT 16:34
    ये ओबीसी क्वोटा और विकलांगता का दुरुपयोग करके एक अहंकारी बेटी को IAS में घुसाने की कोशिश है। राष्ट्रीय नीति के खिलाफ ये खेल अस्वीकार्य है। ये लोग अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं और फिर निष्पक्षता का नारा लगाते हैं।
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    Shivateja Telukuntla

    जुलाई 18, 2024 AT 14:52
    हर मामले में जांच जरूरी है। अगर आरोप सच हैं तो कार्रवाई होनी चाहिए, अगर नहीं तो उसका नाम साफ होना चाहिए। बस इतना ही।
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    Ravi Kumar

    जुलाई 19, 2024 AT 13:05
    ये लोग जिस तरह से बात कर रहे हैं, उनकी आवाज़ में एक असली दर्द है। एक पिता जो अपनी बेटी के नाम को बचाना चाहता है, जो उसे बड़ा करने में अपनी जिंदगी लगा दी। अगर ये सब झूठ है, तो उसका नाम धुल जाएगा। अगर सच है, तो उसे न्याय मिलना चाहिए। लेकिन इस बीच, ये लोग जिस तरह से लात मार रहे हैं, वो बहुत दर्दनाक है।
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    rashmi kothalikar

    जुलाई 21, 2024 AT 12:11
    इस तरह की बेटी को IAS में डालने के लिए ओबीसी और विकलांगता का दुरुपयोग करना बस देश की आत्मा को चोट पहुंचा रहा है। ये लोग नीति के नाम पर धोखेबाजी करते हैं और फिर निष्पक्षता का नारा लगाते हैं। ये सब एक बड़ी साजिश है।
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    vinoba prinson

    जुलाई 22, 2024 AT 16:34
    असली चुनौती ये है कि क्या हम एक ऐसे व्यक्ति को न्याय दे सकते हैं जिसके पास न तो पैसा है और न ही नेटवर्क? ये मामला तो सिर्फ एक बेटी के बारे में नहीं, बल्कि एक प्रणाली के बारे में है जो अमीरों के लिए बनी है।
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    Shailendra Thakur

    जुलाई 22, 2024 AT 19:26
    हर आरोप की जांच होनी चाहिए, लेकिन जांच के दौरान नाम को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए। ये बहस अब न्याय की बजाय नाम बर्बाद करने की बात बन गई है।
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    Muneendra Sharma

    जुलाई 22, 2024 AT 21:33
    UPSC के नियम बहुत कठोर हैं। अगर ये आरोप सच होते तो शायद पहले ही उनका चयन रद्द हो चुका होता। लेकिन फिर भी, जांच होनी चाहिए। बस इतना ही।
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    Anand Itagi

    जुलाई 24, 2024 AT 05:59
    ये सब बहुत बड़ी बात है लेकिन अगर कोई गलती हुई है तो उसे सुधारना चाहिए न कि उसके खिलाफ नफरत फैलाना
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    Sumeet M.

    जुलाई 25, 2024 AT 09:34
    ये ओबीसी क्वोटा का दुरुपयोग है! ये विकलांगता का झूठा दावा है! ये सब एक अंधेरी साजिश है जिसमें राज्य और UPSC दोनों शामिल हैं! ये लोग हमारे देश को तबाह कर रहे हैं! इसका तुरंत जवाब दिया जाना चाहिए!
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    Kisna Patil

    जुलाई 26, 2024 AT 13:44
    हर जांच का उद्देश्य न्याय होना चाहिए, न कि नाम बर्बाद करना। एक पिता का दर्द बहुत बड़ा होता है। अगर बेटी ने गलती की है, तो उसे सुधारना चाहिए। अगर नहीं, तो उसका नाम साफ होना चाहिए। ये सिर्फ एक मामला नहीं, ये एक देश की नैतिकता का परीक्षण है।
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    ASHOK BANJARA

    जुलाई 26, 2024 AT 20:04
    UPSC की प्रक्रिया में कोई भी गलती नहीं हो सकती। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट, डॉक्यूमेंट्स, इंटरव्यू के रिकॉर्ड सब अभी तक अनुपलब्ध हैं। इसलिए जब तक आधिकारिक जांच का निष्कर्ष नहीं आता, तब तक ये सब बस अफवाह है। लेकिन अगर जांच में कोई गलती पाई जाती है, तो उसे न्याय के बराबर दंड देना चाहिए।
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    Sahil Kapila

    जुलाई 27, 2024 AT 12:06
    ये सब बस एक बड़ा नाटक है जिसमें राज्य सरकार और UPSC दोनों ने एक दूसरे के पीछे छुपकर अपनी गलतियां छिपाने की कोशिश की है। ये बेटी का मामला नहीं, ये एक प्रणाली का अस्तित्व है जो अमीरों के लिए बनी है। अगर ये आरोप सच हैं तो ये देश का अंत है
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    Rajveer Singh

    जुलाई 28, 2024 AT 15:14
    हम एक ऐसे देश में रहते हैं जहां एक बेटी के लिए कार और घर की मांग एक अपराध है, लेकिन एक बड़े राजनेता के लिए करोड़ों का भ्रष्टाचार बस एक बातचीत है। ये सिर्फ एक न्याय की बात नहीं, ये एक नीति की बात है जो बस एक तरफ के लिए बनी है।
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    Ambica Sharma

    जुलाई 29, 2024 AT 22:59
    अब ये सब बस एक नाटक है। जब तक आम आदमी को अपना घर नहीं मिलता, तब तक ये लोग लक्जरी चाहते हैं। ये नियम बनाने वाले खुद तोड़ रहे हैं।

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