एशिया कप 2025 में बांग्लादेश के दो लगातार मैचों पर शेड्यूलिंग विवाद

25 सितंबर 2025
एशिया कप 2025 में बांग्लादेश के दो लगातार मैचों पर शेड्यूलिंग विवाद

सितंबर 2025 में संयुक्त अरब अमीरात में आयोजित एशिया कप 2025 ने एक दिलचस्प विवाद को जन्म दिया है। बांग्लादेश क्रिकेट टीम को समूह चरण में दो लगातार मैच खेलने का शेड्यूल मिला है, जो पहली बार नहीं, लेकिन इस बार अंतराल बहुत कम है—केवल दो दिन। ऐसी योजना ने खिलाड़ियों, कोच और प्रशंसकों में सवाल उठाए हैं कि क्या इस गति को बनाए रखना संभव है।

शेड्यूलिंग विवाद की पृष्ठभूमि

टूर्नामेंट का कैलेंडर पहले ही घोषणा किया जा चुका था। जमैका, भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी टीमें समूह A में शामिल हैं। बांग्लादेश का पहला मैच 10 सितम्बर को दुबई में खेलने के बाद, उन्हें तुरंत 12 सितम्बर को दूसरे मैदान में खेलना पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने बताया कि इस तरह का अंतराल कभी‑कभी टुर्नामेंट की लॉजिस्टिक जरूरतों के चलते तय किया जाता है, पर यह टीमों की फिटनेस और खेल शैली पर असर डाल सकता है।

बांग्लादेश के मुख्य कोच ने कहा, “हम 48 घंटे में दो उच्च तनाव वाले वनडे मैच खेलेंगे, जिससे खिलाड़ियों की थकान बढ़ेगी। चोट लगने का खतरा भी कम नहीं है।” इस बात को देखते हुए कई विशेषज्ञों ने कहा कि दो लगातार मैचों से बॉलिंग यूनिट पर विशेष दबाव पड़ेगा, जबकि बैटिंग लाइन‑अप को रणनीति में बदलाव करना पड़ेगा।

बांग्लादेश की प्रतिक्रियाएँ और संभावित समाधान

बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB) ने तुरंत एक बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि वे शेड्यूल पर पुनर्विचार का अनुरोध करेंगे और यदि संभव हो तो एक दिन का आराम दिन जोड़ने की मांग करेंगे। कुछ खिलाड़ी, जैसे कि अमीर शॉफ़ी और मौसुम खान, ने सामाजिक मीडिया पर भी इस मुद्दे को उठाया, कहे कि “टीम को उचित विश्राम मिलना चाहिए, नहीं तो प्रदर्शन पर असर पड़ेगा।”

  • खिलाड़ियों की पुनरावृत्ति और चोट जोखिम को कम करने के लिए अतिरिक्त विश्राम दिन की मांग।
  • मैच के बीच में अभ्यास सत्र को सीमित करके थकान घटाना।
  • ICC से शेड्यूल को लचीला बनाने की अपील, विशेषकर छोटे अंतराल वाले मैचों में।
  • भविष्य के एशिया कप में समान अंतराली मैचों से बचने के लिए प्रारंभिक योजना में बदलाव।

कुल मिलाकर, बांग्लादेश की स्थिति इस बात की याद दिलाती है कि अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में शेड्यूलिंग केवल लॉजिस्टिक नहीं, बल्कि खिलाड़ियों की भलाई और खेल की क्वालिटी से भी जुड़ी होनी चाहिए। अगले हफ्तों में BCB और ICC के बीच बातचीत के परिणामों पर नज़र रखनी होगी, क्योंकि यह निर्णय न केवल बांग्लादेश की जीत की संभावनाओं को, बल्कि पूरे टुर्नामेंट की प्रतिस्पर्धात्मक भावना को भी प्रभावित करेगा।

13 टिप्पणि

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    Anand Itagi

    सितंबर 26, 2025 AT 06:51

    ये शेड्यूल बिल्कुल गलत है भाई। दो दिन में दो वनडे? खिलाड़ी इंसान हैं ना रोबोट नहीं। थकान बढ़ेगी तो चोट लगेगी और फिर टीम का नुकसान। ICC को थोड़ा इंसानियत से सोचना चाहिए।
    कभी भी ऐसा नहीं होना चाहिए।

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    Sumeet M.

    सितंबर 27, 2025 AT 16:30

    अरे ये बांग्लादेश को तो बस इतना ही चाहिए था कि उनकी टीम थक जाए और हम आसानी से उन्हें हरा दें! ये शेड्यूल बिल्कुल सही है! जब हम भारत के खिलाफ खेलते हैं तो हमारी टीम को कितना आराम मिलता है? ये बांग्लादेश की अपनी गलती है कि उनकी फिटनेस इतनी कम है।

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    Kisna Patil

    सितंबर 29, 2025 AT 00:35

    इस तरह की शेड्यूलिंग खेल के आत्मा को मार रही है। खिलाड़ियों को बस एक दिन का आराम चाहिए। ये बस एक मैच नहीं है, ये जीवन है।
    एक खिलाड़ी का शरीर उसकी जिंदगी का हिस्सा है। उसे बर्बाद करना खेल का अपमान है।
    ICC को ये समझना होगा कि क्रिकेट बस रेकॉर्ड्स और ट्रांसमिशन नहीं है।
    ये इंसानों का खेल है।

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    ASHOK BANJARA

    सितंबर 29, 2025 AT 06:12

    एक टूर्नामेंट की शेड्यूलिंग जब खिलाड़ियों के शारीरिक स्वास्थ्य को नज़रअंदाज़ करती है, तो वह टूर्नामेंट अपनी नैतिकता खो चुका होता है।
    क्रिकेट का उद्देश्य अधिकतम प्रदर्शन नहीं, बल्कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा है।
    दो दिन में दो मैच तो वैज्ञानिक रूप से असंभव है। शरीर को रिकवर करने में कम से कम 72 घंटे चाहिए।
    ये जो लॉजिस्टिक्स का बहाना बना रहे हैं, वो बस आर्थिक दबाव के आगे झुक गए हैं।
    अगर टीवी राइट्स और स्पॉन्सरशिप के लिए खिलाड़ियों की जिंदगी बलिदान करनी पड़े, तो ये खेल अपनी शुरुआत से ही विकृत हो चुका है।
    हम अपने खिलाड़ियों को बलिदान नहीं, बल्कि सम्मान देना चाहते हैं।
    इस बात को समझने के लिए ICC को अपनी नीतियों को फिर से लिखना होगा।
    क्रिकेट बस एक खेल नहीं, ये एक संस्कृति है।
    और संस्कृति में इंसान का स्थान सबसे ऊपर होता है।
    बांग्लादेश के खिलाड़ियों को ये दबाव नहीं झेलना चाहिए।
    ये न्याय का मुद्दा है।
    और न्याय का इंतज़ार लंबा हो सकता है, लेकिन ये आना ही चाहिए।

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    Sahil Kapila

    सितंबर 30, 2025 AT 17:17

    ये शेड्यूल तो बिल्कुल बेकार है और बांग्लादेश इतना कमजोर है कि इतना आराम भी नहीं ले पा रहा। ये टीम तो हर बार फेल होती है। इस बार भी वो टूर्नामेंट के बीच में गिर जाएंगे। भारत के खिलाफ खेलने से पहले वो खुद ही बाहर हो जाएंगे। ये शेड्यूल बिल्कुल बर्बर है।

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    Ankit Meshram

    अक्तूबर 1, 2025 AT 10:06

    आराम दो। बस इतना ही।

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    Shaik Rafi

    अक्तूबर 2, 2025 AT 22:22

    ये शेड्यूलिंग केवल लॉजिस्टिक्स का मुद्दा नहीं है। ये एक नैतिक चुनौती है।
    जब एक टीम को दो दिन में दो मैच खेलने को कहा जाए, तो ये बताता है कि हम खिलाड़ियों को उपकरण समझ रहे हैं, न कि इंसान।
    ये वही विचारधारा है जो खेल को व्यापार बना देती है।
    हमें याद रखना चाहिए कि एक बाउंसर भी उस खिलाड़ी के शरीर को चोट पहुंचा सकता है, तो दो दिन में दो मैच क्या करेंगे?
    क्या हम एक टूर्नामेंट की सफलता को खिलाड़ियों के बलिदान पर मापना चाहते हैं?
    ये सवाल सिर्फ बांग्लादेश के लिए नहीं, सारे खेल के लिए है।

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    Ashmeet Kaur

    अक्तूबर 3, 2025 AT 02:50

    मैं बांग्लादेश के खिलाड़ियों के लिए बहुत चिंतित हूं। ये शेड्यूल उनके लिए बहुत अधिक दबाव डाल रहा है।
    मैंने अपने दोस्तों को खेलते देखा है, जब वो बहुत थक जाते हैं तो उनका खेल बिगड़ जाता है।
    ये बस एक मैच नहीं, ये उनकी जिंदगी का हिस्सा है।
    ICC को इसे बदलना चाहिए। ये न्याय का मुद्दा है।

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    Nirmal Kumar

    अक्तूबर 4, 2025 AT 08:20

    दो दिन में दो मैच? ये तो खेल की नीति के बजाय बिजनेस की नीति है।
    आराम का अभाव चोट का कारण बनता है।
    और चोट का मतलब है टीम का नुकसान।
    ICC को ये समझना चाहिए कि लंबे समय तक टूर्नामेंट की सफलता खिलाड़ियों की स्वास्थ्य के ऊपर निर्भर करती है।
    ये बस एक दिन का अंतराल बढ़ा देना चाहिए।
    ये छोटा सा बदलाव पूरे टूर्नामेंट को बदल देगा।

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    Sharmila Majumdar

    अक्तूबर 4, 2025 AT 16:27

    मुझे लगता है बांग्लादेश को अपने खिलाड़ियों को ज्यादा तैयार करना चाहिए। ये शेड्यूल सिर्फ उनकी कमजोरी को उजागर कर रहा है। भारत और पाकिस्तान को ऐसा शेड्यूल नहीं मिला। ये अन्याय है।

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    amrit arora

    अक्तूबर 6, 2025 AT 00:50

    ये शेड्यूलिंग वाकई एक बड़ा सवाल है।
    हम सब ये भूल जाते हैं कि खिलाड़ी इंसान हैं।
    एक दिन में दो मैच खेलना उनके लिए न केवल शारीरिक रूप से कठिन है, बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत भारी है।
    ये जो लॉजिस्टिक्स का बहाना बनाया जा रहा है, वो बस एक ढकना है।
    असली बात ये है कि टूर्नामेंट को जल्दी खत्म करने के लिए टीवी राइट्स और विज्ञापनों को प्राथमिकता दी जा रही है।
    लेकिन क्या ये बर्बरता है ना? क्या हम इतने अहंकारी हो गए हैं कि खिलाड़ियों के शरीर को बलिदान करने में कोई संकोच नहीं होता?
    ये टूर्नामेंट तो खेल का उत्सव होना चाहिए, न कि एक उद्योग का अभियान।
    बांग्लादेश के खिलाड़ियों को एक दिन का आराम देना बस एक इंसानियत का काम है।
    और अगर ICC इसे नहीं मानता, तो ये टूर्नामेंट किसके लिए है?
    क्या ये खिलाड़ियों के लिए है या बिजनेस के लिए?
    मुझे लगता है ये सवाल हर क्रिकेट प्रशंसक के लिए जवाब देने वाला है।

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    Ambica Sharma

    अक्तूबर 6, 2025 AT 14:03

    मैं बांग्लादेश के खिलाड़ियों के लिए रो रही हूं। ये शेड्यूल बिल्कुल निर्मम है। क्या कोई सोचता है कि उनके पास कितना आराम है? वो तो बस खेल रहे हैं, लेकिन उनके शरीर तो टूट रहे हैं। ये बहुत दुखद है।

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    Anand Itagi

    अक्तूबर 8, 2025 AT 11:06

    मैं तो बस ये कहना चाहता हूं कि अगर ये शेड्यूल बदल गया तो ये एक बड़ी जीत होगी।
    लेकिन अगर नहीं बदला तो हम सब खिलाड़ियों के लिए अपराधी बन जाएंगे।

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