एम्स्टर्डम में हुए यूरोपा लीग फुटबॉल मैच के बाद उभरी यहूदी-विरोधी झड़पों की घटनाएं अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बन गई हैं। अयाक्स और मक्काबी तेल-अवीव के बीच हुए इस मैच के बाद हिंसा की लहर फैल गई, जिसने ना केवल डच शहर में बल्कि पूरे विश्व में यहूदी समुदाय के भीतर चिंता बढ़ा दी। रिपोर्ट्स के अनुसार, अयाक्स ने 5-0 से मैच जीतते ही विभिन्न क्षेत्रों में संघर्ष और झड़पें शुरू हो गईं।
डच प्रधानमंत्री डिक शॉफ ने इन झड़पों को 'पूर्णतः अस्वीकार्य' बताते हुए यहूदी-विरोधी हमलों की निंदा की। उन्होंने इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को आश्वासन दिया कि दोषियों को सजा दिलाने के लिए तत्परता से कार्य किया जाएगा। प्रधानमंत्री शॉफ ने इन हिंसक घटनाओं से गहरे सदमे की भावना व्यक्त की और इज़राइली नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के अपने प्रयासों को दोहराया।
इज़राइल प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने इन घटनाओं को अत्यंत गंभीरता से लिया और कई रेस्क्यू विमानों को न्यूनीकरण के लिए भेजे जाने का आदेश जारी किया। एम्स्टर्डम में इज़राइली दूतावास ने आरोपी समूह को निर्दोष इज़राइली नागरिकों को निशाना बनाने वाला भीड़ करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि मक्काबी के सैंकड़ों प्रशंसकों पर स्टेडियम छोड़ने के दौरान हमला किया गया।
इन हिंसक घटनाओं के मद्देनजर इज़राइल राष्ट्रपति यित्जक हरज़ोग ने इन झड़पों को 'यूरोप के लिए संकट' के रूप में देखा। उन्होंने डच सरकार से आग्रह किया कि वे यहूदियों और इज़राइली नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। साथ ही, इज़राइली सैन्य बल ने एम्स्टर्डम में फंसे इज़राइली नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए विशेष कार्ययोजना लागू की। इस योजना में मेडिकल टीमें और रेस्क्यू विमान शामिल थे।
इन झड़पों के पूर्वाग्रह में एम्स्टर्डम के मेयर फेमके हालेसेमा ने सुरक्षा कारणों से स्टेडियम के पास प्रस्तावित प्रो-फिलिस्तीनी प्रदर्शन को रोक दिया था और उसे अन्यत्र स्थानांतरित कर दिया गया था। इस फैसले का उद्देश्य संभावित हिंसा को रोकना था, लेकिन इसके बावजूद झड़पें हो गईं।
वर्तमान वैश्विक माहौल ने यहूदी-विरोधी विचारधारा के बढ़ते मामलों को उजागर किया है। पिछले कुछ समय में, इज़राइल का ईरान समर्थित गुटों के साथ चल रहे संघर्ष और नागरिक मौतों से जुड़ी खबरों ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में गहरी चिंताओं को जन्म दिया है।
इस घटना ने यहूदी समुदाय में गहरे डर और चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय अधिकारियों और अंतरराष्ट्रीय नेताओं को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ऐसी घटनाएं भविष्य में सेहतमंद समुदायिक संबंधों में बाधक न बनें।