ब्रैम्पटन में भारतीय किरायेदार का सामान बाहर फेंकने का वीडियो वायरल, 40 लाख बार देखा गया

18 नवंबर 2025
ब्रैम्पटन में भारतीय किरायेदार का सामान बाहर फेंकने का वीडियो वायरल, 40 लाख बार देखा गया

एक 15 सेकंड का वीडियो जिसमें एक कनाडाई मकान मालिक भारतीय किरायेदार का सारा सामान घर से बाहर सड़क पर फेंक रहा है, सोशल मीडिया पर चार करोड़ से अधिक बार देखा जा चुका है। वीडियो में एक बिना कमीज के भारतीय युवक असहाय खड़ा है, जबकि मकान मालिक उसके कमरे से फर्नीचर, कपड़े, बच्चों के खिलौने और तकनीकी सामान बाहर फेंक रहा है। यह घटना ब्रैम्पटन, ओंटारियो में अक्टूबर 2024 के शुरुआती दिनों में घटी, और इसे जिस्ट नामक सोशल मीडिया हैंडल ने शेयर किया। इसके कैप्शन में लिखा था: ‘एक कनाडाई मकान मालिक ने भारतीय किरायेदार का सामान घर से बाहर फेंक दिया — उसने घर खाली करने से इनकार कर दिया था।’

किरायेदार और मकान मालिक के बीच दोहरा दावा

किरायेदार के अनुसार, उसे घर छोड़ने के लिए कोई लिखित नोटिस नहीं मिला था। वह कहता है कि उसने किराया अदा किया था, लेकिन मकान मालिक ने उसे बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के घर से बाहर निकाल दिया। दूसरी ओर, मकान मालिक का दावा है कि किरायेदार ने घर खाली करने के लिए दिए गए नोटिस को नजरअंदाज कर दिया था। इस बात का कोई साक्ष्य वीडियो में नहीं दिख रहा — बस एक असहाय व्यक्ति और उसका सामान, जो बारिश में बिखर रहा है।

कनाडा में किराएदारों के अधिकार: एक जटिल वास्तविकता

कनाडा में किराएदारों के अधिकार ओंटारियो रिजिडेंशियल रेंटल अक्ट, 2006 के तहत सुरक्षित हैं। इसके अनुसार, किसी को भी बिना लिखित नोटिस और रिजिडेंशियल टेनेंसी बोर्ड की अनुमति के घर से निकाला नहीं जा सकता। लेकिन अक्सर छोटे मकान मालिक या विदेशी निवासियों के साथ यह कानून नजरअंदाज हो जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यहां तक कि जब किरायेदार ने नोटिस का उल्लंघन किया हो, तो भी निकालने की प्रक्रिया में कम से कम 1.5 साल लग सकते हैं। जनसत्ता की रिपोर्ट में यही बात दोहराई गई — ‘ऐसे मामलों में निपटारे में लगभग 1.5 साल लगते हैं।’

सोशल मीडिया पर आक्रोश और विभाजन

वीडियो वायरल होते ही ऑनलाइन आक्रोश फैल गया। कई उपयोगकर्ताओं ने इसे ‘नस्लवादी’ और ‘अपमानजनक’ बताया। एक यूजर ने लिखा: ‘यह न सिर्फ अनुचित है, बल्कि अपराध भी है।’ दूसरे ने टिप्पणी की: ‘ये लोग सोचते हैं कि विदेशी लोगों के साथ जो भी करें, कोई नहीं देखेगा।’ लेकिन ऐसे भी लोग थे जिन्होंने इसे हास्यपूर्ण बताया — एक ने वीडियो को ‘रियलिटी शो’ कहा, और दूसरे ने लिखा: ‘अगर ये भारत में होता, तो इसका वीडियो ट्रेंड होता, लेकिन यहां भी हो रहा है।’

क्या यह सिर्फ एक व्यक्तिगत घटना है?

नहीं। ब्रैम्पटन में भारतीय समुदाय बड़ा है — लगभग 2.5 लाख लोग यहां रहते हैं। कई नए प्रवासी अपने पहले सालों में छोटे घरों में रहते हैं, जहां मकान मालिक अक्सर नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं। रिजिडेंशियल टेनेंसी बोर्ड की 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रैम्पटन में किराएदारों के खिलाफ शिकायतों में 32% मामले विदेशी निवासियों से जुड़े थे। यह आंकड़ा बताता है कि यह घटना एक अपवाद नहीं, बल्कि एक पैटर्न है।

क्या कानून बदलेगा?

अब तक कोई सरकारी एजेंसी ने इस घटना पर आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन ओंटारियो के कुछ नागरिक समूह अब एक नए अभियान की शुरुआत कर रहे हैं — ‘किराया नहीं, इंसानियत’। इसका उद्देश्य है कि किराएदारों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाए, और छोटे मकान मालिकों को अनुचित निकालने के लिए दंडित किया जाए। विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर यह वीडियो राजनीतिक दबाव बन गया, तो ओंटारियो में नोटिस देने की अवधि बढ़ाई जा सकती है — अब 20 दिन हैं, लेकिन अगले साल यह 60 दिन हो सकता है।

एक विदेशी का सपना, एक अपराधी का अवसर

भारत से लाखों लोग कनाडा जाते हैं — बेहतर शिक्षा, नौकरी और सुरक्षा की तलाश में। कुछ वहां सफल हो जाते हैं। कुछ बस एक छोटे कमरे में रहते हैं, जहां उनकी जिंदगी एक वीडियो में बदल जाती है। यह वीडियो बस एक असहाय आदमी का नहीं है — यह उस समाज का है जो अपने नियमों को तोड़कर भी उसे अपराधी बना देता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या ब्रैम्पटन में किरायेदारों को बिना नोटिस के घर से निकाला जा सकता है?

नहीं। ओंटारियो कानून के अनुसार, किसी भी मकान मालिक को किरायेदार को घर से निकालने से पहले कम से कम 20 दिन का लिखित नोटिस देना अनिवार्य है। अगर किरायेदार नोटिस का उल्लंघन करता है, तो भी रिजिडेंशियल टेनेंसी बोर्ड की अनुमति के बिना कोई भी जबरन निकाला नहीं जा सकता। इस वीडियो में दिखाई गई घटना स्पष्ट रूप से कानून का उल्लंघन है।

इस वीडियो के बाद क्या कार्रवाई हुई?

अभी तक कोई आधिकारिक कार्रवाई नहीं हुई है। ब्रैम्पटन पुलिस ने बताया कि वे घटना की जांच कर रहे हैं, लेकिन किरायेदार ने कोई शिकायत दर्ज नहीं की है। इसका मतलब है कि वह अभी तक बेघर है और न्याय की तलाश में है। अगर वह शिकायत करता है, तो मकान मालिक के खिलाफ अपराधी मामला चल सकता है।

भारतीय प्रवासी किरायेदार अक्सर किन समस्याओं का सामना करते हैं?

स्थानीय अधिकारियों के अनुसार, भारतीय प्रवासी अक्सर अज्ञात भाषा, कानूनी जागरूकता की कमी और डर के कारण अपने अधिकारों का दावा नहीं कर पाते। 2023 में ब्रैम्पटन में 32% किरायेदार शिकायतें विदेशी निवासियों से जुड़ी थीं — ज्यादातर घर छोड़ने के लिए दबाव, किराया बढ़ाने या बिजली-पानी काटने के आरोपों के साथ।

क्या इस घटना से कनाडा में कानून बदल सकते हैं?

हां, यह संभव है। इस वीडियो ने नागरिक समूहों को जगाया है, और अब ओंटारियो में किरायेदारों के अधिकारों के लिए एक नया अभियान चल रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगले 12-18 महीनों में नोटिस अवधि 20 दिन से बढ़कर 60 दिन हो सकती है, और अनियमित निकालने पर जुर्माना बढ़ाया जा सकता है।

क्या यह घटना नस्लवाद का उदाहरण है?

कई विश्लेषक इसे नस्लवादी व्यवहार का एक उदाहरण मानते हैं। अधिकांश भारतीय प्रवासी गरीब या मध्यमवर्गीय होते हैं, और उनके साथ अक्सर अलग व्यवहार किया जाता है। एक अध्ययन में पाया गया कि विदेशी नाम वाले लोगों को किराए के लिए घर देने में 40% अधिक अस्वीकृति होती है। यह वीडियो इसी असमानता का दृश्य साक्ष्य है।

किरायेदार अब क्या कर सकता है?

वह रिजिडेंशियल टेनेंसी बोर्ड के तहत शिकायत दर्ज कर सकता है। अगर वह साबित कर सके कि उसे नोटिस नहीं मिला, तो उसे नुकसान का मुआवजा मिल सकता है — शायद 5,000 से 10,000 कनाडाई डॉलर तक। इसके अलावा, उसे स्थानीय सहायता संगठनों, जैसे Brampton Tenant Resource Centre, से संपर्क करना चाहिए।